wheat price hike : गेहूं के भाव में नहीं रूक रही तेजी, सरकार ने लिया बड़ा फैसला
Wheat Price : इस समय गेहूं की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं, जिससे लोगों का बजट तो प्रभावित हो ही रहा है, इसके साथ-साथ गेहूं से बने अन्य खाद्य पदार्थ भी महंगे हो गए हैं। गेहूं के दामों (wheat rate today) में हो रही इस वृद्धि ने लोगों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। इसके परिणामस्वरूप आम घरों में खपत पर असर पड़ा है और रोटी पर पड़ने वाली लागत भी पहले से कहीं ज्यादा हो गई है। सरकार और संबंधित विभाग इसे नियंत्रित करने के लिए कुछ कदम उठा रहे हैं, लेकिन स्थिति में सुधार अभी तक दिखाई नहीं दे रहा है। अब सरकार ने गेहूं के रेट (wheat rate update) नियंत्रित करने के लिए बड़ा फैसला लिया है, जानिये इस बारे में विस्तार से खबर में।

My job alarm - (wheat price today) गेहूं की कीमतों में तेजी से वृद्धि हो रही है, पिछले कई माह से देशभर में भाव एमएसपी से ऊपर चल रहे हैं। रॉकेट की गति से बढ़ी गेहूं की कीमतें (latest Wheat price) आम लोगों की चिंता का कारण बन गई हैं। हालांकि किसान ऊंचे भाव पर गेहूं बेचकर मुनाफा बटोर रहे हैं लेकिन आम जनता पर इसका आर्थिक बोझ बढ़ता जा रहा है। इस समय आटा भी महंगा हो गया है। सरकार ने गेहूं के रेट कम करने की दिशा में कदम उठाते हुए अहम निर्णय लिया है, अब देखना यह है कि यह कदम गेहूं की बढ़ती कीमतों (gehu ka rate) पर लगाम कसने में कितना कारगर होगा।
क्या है गेहूं का ताजा भाव -
सरकार द्वारा गेहूं के दाम एमएसपी से कम करने का प्रयास किया जा रहा है, जिसमें सरकार द्वारा ओपेन मार्केट सेल स्कीम (ओएमएसएस) (OMSS) योजना के तहत अधिक से अधिक गेहूं आवंटित किया जा रहा है। इससे गेहूं की कीमतों में हल्की गिरावट आई है, लेकिन फिर भी दाम एमएसपी से अधिक बने हुए हैं। इस माह की शुरुआत में गेहूं की कीमत करीब 3015 रुपये प्रति (Wheat price 13 february) क्विंटल थी, जो अब घटकर करीब 2895 रुपये हो गई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, एक महीने पहले गेहूं की कीमत लगभग 2975 रुपये प्रति क्विंटल थी और एक साल पहले 2756 रुपये प्रति क्विंटल थी, जो दोनों सालों में भाव में अधिकता को दर्शाती है। इससे स्पष्ट होता है कि बाजार में गेहूं के दाम एमएसपी (wheat MSP) से काफी ऊपर चल रहे हैं और सरकार के प्रयास लगातार विफल हो रहे हैं।
अन्य राज्यों की मंडियों में गेहूं का भाव -
कुछ राज्यों में गेहूं के दाम 3000 रुपये प्रति क्विंटल के करीब चल रहे हैं, तो कहीं इसमें मामूली अंतर है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों की मंडियों में गेहूं के दामों में हल्की गिरावट देखी गई है। यूपी में गेहूं की कीमत 2740 रुपये (Gehu ka taja bhav) प्रति क्विंटल के करीब है। यह देश का प्रमुख उत्पादक राज्य भी है। यहां एमएसपी से ऊपर रेट होना चिंताजनक है। यहां गेहूं की कीमत 10 फरवरी को थोड़ी कम होकर 2730 रुपये हो गई थी। मध्य प्रदेश में भी इस समय में दाम एमएसपी से ऊपर हैं, जो 2845 रुपये प्रति क्विंटल हैं। राजस्थान में इस समय गेहूं का भाव (gehu ka aaj ka bhav) 2765 रुपये प्रति क्विंटल बना हुआ है। इन राज्यों की मंडियों में गेहूं की कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य से ज्यादा बनी हुई हैं, जिसे सरकार कम करने की कोशिश कर रही है।
MSP से नीचे नहीं आ रहे गेहूं के रेट-
कुछ राज्यों में मार्च से और कुछ राज्यों में 1 अप्रैल से गेहूं खरीद की प्रक्रिया शुरू होने वाली है। जब तक दाम एमएसपी स्तर तक नहीं पहुंचते तब तक लोगों को राहत मिलनी मुश्किल है। मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश (wheat price in UP) से पर्याप्त खरीद संभव नहीं हो पा रही है, इस कारण बाजार में गेहूं की मांग व आपूर्ति में असंतुलन बना हुआ है। हरियाणा और पंजाब में गेहूं का मंडी (gehu ka mandi bhav) में भाव 3000 रुपये प्रति क्विंटल से भी ऊपर चल रहे हैं, जिसकी वजह से उच्च मंडी शुल्क के कारण निजी व्यापारी इन राज्यों में गेहूं की खरीद करने में रुचि रखते हैं। बाजार व मंडी भाव विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को गेहूं के दामों पर लगाम कसने के लिए ठोस व आपातकालीन योजना बनानी चाहिए।
सरकार ने लिया गेहूं बिक्री लिमिट बढ़ाने का फैसला -
केंद्र सरकार ने हाल ही में भारतीय खाद्य निगम (Food Corporation of India) को मिलर्स, प्रॉसेसिंग यूनिट्स और व्यापारियों के लिए साप्ताहिक ऑनलाइन नीलामी में प्रस्तावित मात्रा को 4 लाख टन (E-Auction wheat stock) करने की मंजूरी दी है, जो पहले 1.5 लाख टन थी। अब एफसीआई के माध्यम से अधिक गेहूं की बिक्री करने की लिमिट को बढ़ा दिया गया है ताकि गेहूं के भाव पर लगाम लग सके। इस माध्यम से दिसंबर 2024 से शुरू हुई नीलामी में अब तक 13 लाख टन गेहूं बेचा जा चुका है, जबकि 25 लाख टन का लक्ष्य रखा गया था। सरकार की ओर से नए सीजन के लिए गेहूं खरीद का लक्ष्य बढ़ाने की योजना है ताकि आगामी सीजन व वर्ष में इस तरह के हालात न बनें।