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wheat price : बुलेट की रफ्तार से बढ़ रहे गेहूं के भाव, इस कारण कम नहीं हो रहे रेट

wheat price Today :अब गेहूं के बढ़ते दाम आम लोगों के लिए परेशानी का सबब बनने लगे हैं। गेहूं के रेट सातवें आसमान पर जाने के कारण आटा (wheat flour price today) भी बहुत महंगा हो गया है। लगातार बुलेट की रफ्तार से बढ़ रहे रेट कम होने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। आइये खबर में जानते हैं गेहूं के भाव (gehu ka taja bhav) में दिन-प्रतिदिन हो रही इस बढ़ोतरी के पीछे का असली कारण क्या है।

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wheat price : बुलेट की रफ्तार से बढ़ रहे गेहूं के भाव, इस कारण कम नहीं हो रहे रेट

HR Breaking News - (wheat price hike)। गेहूं के भाव में इस समय लगातार उछाल दर्ज किया जा रहा है। यह रिकॉर्ड बढ़ोतरी अभी कुछ माह और जारी रहने का अनुमान है, हालांकि सरकार गेहूं के बढ़ते रेट (latest wheat price) पर लगाम कसने के प्रयास कर रही है लेकिन रेट कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं। 

 

यूपी में गेहूं गेहूं का थोक न्यूनतम दाम (wheat minimum price) 3000 रुपये प्रति क्विंटल दर्ज किया है, जो एमएसपी 2300 रुपये से करीब 700 रुपये अधिक है। जबकि, महाराष्ट्र की मंडी में गेहूं का थोक न्यूनतम दाम 3100 रुपये प्रति क्विंटल बना हुआ है। राजस्थान की मंडी में गेहूं की थोक कीमत (wheat wholesale price) 2910 रुपये प्रति क्विंटल है। दिल्ली एनसीआर में गेहूं के रेट 3 हजार रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं।


गेहूं के रेट में लगातार तेजी के कारण अब आटा भी अपने अधिकत्तम भाव (wheat flour price) पर पहुंच गया है। आटे की कीमतें पिछले 16 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं। आटे का अधिकत्तम भाव 45 रुपये किलो पहुंच गया है। जो जनवरी 2008 के बाद सबसे ज्यादा कीमत है.। 
 

व्यापारियों का मानना है कि अगर लोगों को गेहूं व आटे के बढ़ते दामों से निजात दिलानी है तो कई कारगर कदम उठाने होंगे, नहीं तो ये दाम और भी अधिक जा सकते हैं। गेहूं के बढ़ते रेट (gehu ke rate) के कई कारण बताए जा रहे हैं। अब सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि सरकार द्वारा गेहूं के रेटों को कम करने के लिए उठाए गए कदम नाकाफी साबित क्यों हो रहे हैं?

 

 

गेहूं की स्टॉक लिमिट बढ़ाई-

 

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गेहूं के रेट पर लगाम कसने के लिए सरकार ने गेहूं को स्टाॅक (wheat stock limit) करने की लिमिट को भी बढ़ा दिया है। सरकार के निर्देश हैं कि कम से कम गेहूं को स्टॉक किया जाए। इसके बाद भी इस समय देश के अधिकतर राज्यों में गेहूं की कीमतों में लगातार उछाल आ रहा है। इसके अलावा सरकार (Government decision on wheat price) ने गेहूं के भंडारण सीमा में भी संशोधन कर दिया है। 


इस कारण लगातार बढ़ रहे दाम-


हालांकि इस बीच माना जा रहा है कि गेहूं का उत्पादन भी सामान्य रहा है, इस कारण बाजार में आपूर्ति न होने के कारण गेहूं के रेट बढ़ते जा रहे हैं। सरकार द्वारा गेहूं के रेटों को कम करने के लिए उठाए गए कदम नाकाफी साबित हो रहे हैं। अब गेहूं के दाम एमएसपी 2275 रुपये (wheat MSP) प्रति क्विंटल से भी ऊपर चले गए हैं। अधिकतर राज्यों में तो ये 3850 रुपये प्रति क्विंटल से ऊपर हो गए हैं।

5 साल की औसत के बराबर रहा है गेहूं का उत्पादन-


इस बार की गेहूं की बिजाई अब पूरी हो चुकी है। गेहूं की बुआई का यह रकबा पिछले 5 साल के मुकाबले थोड़ा ज्यादा रहा है। अगले कुछ महीने में देशभर में मौसम सामान्य स्थिति में रहता है तो गेहूं का उत्पादन ठीक ठाक रहेगा। हालांकि कि यह पिछले पांच साल से अधिक जाता नहीं दिख रहा। उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक इस बार गेहूं की बिजाई 22 दिसंबर तक चली है। अब तक गेहूं (gehu ka bhav) लगभग 313 लाख हेक्टेयर में बोया गया है, जोकि पिछले साल की इसी अवधि से 2.50 प्रतिशत तक ज्यादा है। अगर पिछले 5 साल के गेहूं उत्पादन की औसत के बारे में पता लगाएं तो ये लगभग बराबर ही रही है। इसलिए इस बार भी यह बराबर रहने का अनुमान है।

पिछले साल से ज्यादा है चने का रकबा- 


अगर पिछले 5 साल के रुझानों को देखें तो करीब 313  लाख हेक्टेयर जमीन पर गेहूं (Wheat) को बिजाई की गई है लेकिन मौसम के अलावा कई तरह की परिस्थितियां अनुकूल न होने के कारण वजह से बुआई में भी देरी हो रही है। आंकड़ों को देखकर ये पता चल रहा है कि रबी की अन्य फसलों जैसे सरसों (sarso price today) का रकबा पिछले साल से कम है, लेकिन फिर भी यह सामान्य रकबे से ज्यादा रखा गया है। अगर चने के रकबे के बारे में बात करें तो ये पिछले साल से इस साल ज्यादा रहा है। मौसम भी इस बार किसानों का पूरा साथ दे रहा है। उत्तर भारत में मौसम (weather today) ठंडा रहने और हल्की फुहारों का अनुमान लगाया जा रहा है जो  फसलों के उत्पादन को बढ़ाने में सहायक हो सकता है।

सरकार ने लिया ये अहम फैसला-


हाल ही की बात करें तो खाद्य मंत्रालय (Ministry of Food) द्वारा देश में खाद्य सुरक्षा को बनाए रखने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। भारत सरकार ने थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं, बड़ी और छोटी रिटेल चेन और प्रोसेसर्स पर गेहूं की स्टॉक लिमिट (wheat stock limit)को लगा दिया है। माना जा रहा है कि इससे गेहूं के दामों को कंट्रोल किया जा सकता है। नए नियमों के अनुसार अब होलसेलर्स 2,000 टन गेहूं की जगह सिर्फ 1,000 टन गेहूं को ही स्टोर कर सकेंगे। 


रिटेलर्स के लिए ये हैं गेहूं को स्टोर करने की लिमिट-


अगर रिटेलर्स के लिए गेहूं (gehu ka taja bhav)को स्टोर करने के लिमिट के बारे में बात करें तो सरकार ने रिटेलर्स के लिए गेहूं को स्टोर करने की लिमिट को 10 टन से कम करके 5 टन कर दिया है। वहीं अगर बड़ी चेन के बारे में बात करें तो रिटेलर्स 10 टन की जगह अब 5 टन गेहूं को स्टोर कर सकेंगे। यह सब गेहूं के दाम करने के लिए किया जा रहा है। प्रोसेसर अब अपनी क्षमता के हिसाब से ही 50 परसेंट गेहूं अपने पास रखेंगे जबकि पहले यह लिमिट 60 परसेंट तक थी।


सरकार ने मार्च तक लिया यह निर्णय-

सरकार ने गेहूं के दामों (gehu ka rate) पर नियंत्रण पाने के लिए इसके स्टॉक की लिमिट को मार्च तक ही तय किया है। क्योंकि मार्च में नया गेहूं मंडियों में आना शुरू हो जाएगा और तब गेहूं (wheat price today 31 december 2024)की आपूर्ति होने से रेट अपने आप कम हो सकते हैं। दूसरी और सरकार ये भी दावे कर रही है कि सरकार के पास गेहूं का पर्याप्त भंडार है और गेहूं की किसी सूरत में किल्लत नहीं होने दी जाएगी। एक ओर सरकार ये भी मान रही है कि गेहूं की स्टॉक लिमिट से गेहूं की आपूर्ति को पहले से ज्यादा बढ़ाया जा सकता है और रेट (wheat rate today) पर लगाम लग सकती है।


जानिये क्या है व्यापारियों का कहना-


अगर गेहूं (Wheat rate hike) के कारोबार से जुड़े व्यापारियों के मानने के बारे में बात करें तो उनका मानना है कि केंद्र सरकार द्वारा इससे पहले भी गेहूं की स्टॉक लिमिट (Wheat Stock Limit) तय की गई थी लेकिन इसकी वजह से जिस तेजी से गेहूं की कीमतों में गिरावट (gehu ki kimat) आनी चाहिए, वैसा कुछ भी उस समय में देखने को नहीं मिला था। इन दिनों ही देश में गेहूं की भारी कमी देखी जा रही है। सरकार की ओर से इस दिशा में उठाए गए कदम कारगर नहीं हो रहे हैं।

पिछले दो साल से अपना रही है सरकार ये पैटर्न-

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सरकार ने पिछले दो साल से इस तरह के पैटर्न को अपनाना शुरू कर दिया है। लेकिन बाजार में इतना गेहूं है कि नहीं कि सप्लाई को बढ़ाया जा सके। वहीं दूसरी ओर सरकार इस बात का दावा कर रही है कि देश में पर्याप्त गेहूं का स्टॉक (gehu ka sarkari stock) मौजूद है। लेकिन इसको लेकर किसी तरह का कोई एविडेंस नहीं है। इस वर्ष करीब करीब 8 से 10 मिलियन टन की गेहूं की कमी मार्केट में रही है। इस कारण मांग बढ़ रही जिसका असर गेहूं की कीमतों (gehu ki taja kimat) पर पड़ रहा है और वे बेलगाम हो रही हैं।