Rent Agreement : नोटरी वाला या फिर रजिस्टर्ड एग्रीमेंट, जानिए कौन सा है बेहतर

Rent Agreement : आज हम आपको अपनी इस खबर में ये बताने जा रहे है कि नोटरी वाला या फिर रजिस्टर्ड एग्रीमेंट इन दोनों में से कौना सा बेहतर है.. तो चलिए आइए जाने इस खबर में। 

 

HR Breaking News, Digital Desk- आपने किरायानामा यानी Rental Agreement का नाम तो सुना ही होगा. जब भी कोई व्यक्ति अपना मकान या किसी तरह की प्रॉपर्टी को रेंट (किराये) पर देता है तो उसके और किरायेदार के बीच हुई रेंटल एग्रीमेंट यानी किरायानामा के जरिये कानूनी कार्यवाही होती है.

रेंट एग्रीमेंट में किराए से लेकर और भी कई तरह की जानकारियां लिखी रहती हैं. रेंट एग्रीमेंट हमेशा 11 महीने के लिए ही बनता है. ये एग्रीमेंट 2 तरह के होते हैं, एक रजिस्टर्ड रेंट एग्रीमेंट दूसरा नोटरीकृत. आप चाहे मकान मालिक हों या किरायेदार, रेंट एग्रीमेंट करने से पहले पता होना चाहिए कौन-सा ऑप्शन ज्यादा बेहतर है.

अब आप पूछेंगे कि क्या रेंट एग्रीमेंट भी अलग-अलग होते हैं? जी हां. आज हम इन्हीं के बारे में आपको जानकारी देने जा रहे हैं. किराये पर संपत्ति देते समय यदि पट्टा 11 महीने से अधिक का है तो रेंट एग्रीमेंट पंजीकृत या नोटरी की मुहर वाला होना अनिवार्य है. हालांकि, अगर संपत्ति 11 महीने से कम समय के लिए किराए पर दी जाती है तो समझौते को नजरअंदाज किया जा सकता है.

ऐसे दौर में जब किरायेदारों को लेकर विवाद तेजी से बढ़ रहे हैं, इसलिए रेंट/लीज एग्रीमेंट कराना जरूरी है. एक बार जब दोनों पार्टियां समझौते में लिखे नियमों और शर्तों पर सहमत हो जाते हैं, तो बिना उनकी आपसी सहमति के बिना इसे बदला नहीं जा सकता. रेंट एग्रीमेंट को रजिस्टर करने से भविष्य के विवादों को लेकर दोनों ही पार्टियों के हित सुरक्षित हो जाते हैं.

रजिस्टर्ड रेंट एग्रीमेंट या नोटरीकृत कौन सा है बेहतर :-
नोटरीकृत रेंट एग्रीमेंट-

नोटरीकृत एग्रीमेंट एक सार्वजनिक नोटरी द्वारा हस्ताक्षरित एक स्टाम्प पेपर पर मुद्रित रेंट एग्रीमेंट है. भारत में, सार्वजनिक नोटरी प्रमुख रूप से वकील और अधिवक्ता हैं. नोटरीकृत एग्रीमेंट के मामले में, नोटरी दोनों पक्षों की पहचान और दस्तावेजों की पुष्टि करता है. दोनों पक्षों (मालिक के साथ साथ किरायेदार) को इस प्रक्रिया के लिए नोटरी के सामने पेश होना होगा. एक नोटरीकृत एग्रीमेंट रजिस्टर्ड एग्रीमेंट की तुलना में बहुत सरल है क्योंकि यह केवल वकील के कार्यालय में जाकर किया जा सकता है, और इसके लिए किसी भी स्टाम्प शुल्क और पंजीकरण शुल्क का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं होती है.

वकील द्वारा नोटरी के लिए केवल एक शुल्क लिया जाता है जो आमतौर पर इलाके के अनुसार 200 रुपये से 500 रुपये तक होता है. हालांकि, यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि किसी भी कानूनी कार्यवाही के मामले में, नोटरीकृत एग्रीमेंट कोर्ट में स्वीकार्य नहीं होता, क्योंकि यह किराये के लेनदेन को मान्य नहीं करता है.

रजिस्टर्ड रेंट एग्रीमेंट-
रेंटल एग्रीमेंट मौखिक, लिखित या निहित हो सकता है. हालांकि, लिखित समझौता यह बताता है कि दोनों पक्ष आपस में किन नियमों और शर्तों पर सहमत हुए हैं और असहमति के मामले में यह सबूत का काम करता है. रजिस्टर्ड रेंट एग्रीमेंट एक स्टाम्प पेपर पर मुद्रित और क्षेत्र के उप पंजीयक के साथ पंजीकृत एक किराया समझौता है.

कुछ शहर/राज्य ऐसे दस्तावेजों के ऑनलाइन पंजीकरण की सुविधा प्रदान करते हैं. रेंटल एग्रीमेंट रजिस्टर कराने का और अहम फायदा है कि यह कानूनी सबूत के तौर पर काम करता है और भविष्य में किसी भी कानूनी विवाद से मकान मालिक को बचाता है. यदि रेंट एग्रीमेंट रजिस्टर्ड नहीं है, तो केंद्र सरकार के साथ साथ विभिन्न राज्य सरकारों के रेंट कंट्रोल एक्ट के प्रावधान लागू नहीं होते हैं. अगर 11 महीने से ज्यादा वक्त के लिए किरायेदार को संपत्ति देनी है तो सारी प्रॉपर्टीज को रजिस्टर कराना होगा. 11 महीने से कम के एग्रीमेंट में रजिस्ट्रेशन की जरूरत नहीं है.