Parenting Tips: मेरी मां ने मुझे बनाया अफसर, महिला IAS ने बताया पैरेंट्स क्या करते है गलतियां
 

बच्चों को बड़ा करना इस दुनिया के सबसे मुश्किल कामों में से एक काम माना जाता है।  बच्चे के लिए माता-पिता ही उनके सबसे पहले शिक्षक होते है। माता-पिता बच्चों का पालन-पोषण करते हैं और उन्हें समय-समय पर अच्छे व बुरे के लिए गाइड भी करते हैं।  पेरेंटिंग एक ऐसा प्रोसेस है जिसके जरिए आप अपने बच्चे को एक बेहतर इंसान बनाते हैं।  लेकिन कई बार जाने अनाजने में पैरेंटस कुछ गलतियां कर बैठते है। आइए जानते है ऐसे में आईएएस ऑफिसर दिव्या मित्तल क्या कहना है। 
 
 

HR Breaking News, Digital Desk- बच्चों को बड़ा करना दुनिया के सबसे मुश्किल कामों में से एक है. बच्चे के लिए पेरेंट्स ही उनके सबसे पहले शिक्षक होते है. पेरेंट्स बच्चों का पालन-पोषण करते हैं और उन्हें गाइड करते हैं. पेरेंटिंग एक ऐसा प्रोसेस है जिसके जरिए आप अपने बच्चे को एक बेहतर इंसान बनाते हैं.

लेकिन कई बार पेरेंट्स इस बात का अंदाजा ही नहीं लगा पाते कि उनके बच्चों के लिए क्या चीज सही है और क्या नहीं. कई बार पेरेंट्स जिन चीजों कों सही समझते हैं, वह असल में बच्चों के लिए खराब साबित होती है. जिस तरह से बच्चे दूसरे बच्चों को देखकर ही चीजें सीखते हैं उसी तरह से पेरेंट्स भी बाकी पेरेंट्स को देखकर ही चीजें सीखते हैं. 

हाल ही में दिव्या मित्तल नाम की एक आईएएस ऑफिसर ने कुछ पेरेंटिंग टिप्स शेयर किए हैं. दिव्या ने बताया है कि कैसे उनके पेरेंट्स ने उनकी परवरिश की और अब अब कैसे वह अपनी मां से प्रेरणा लेकर अपने बच्चों की पेरेंटिंग करती हैं. आइए जानते हैं दिव्या मित्तल के पेरेंटिंग टिप्स जिनसे आपको भी मदद मिल सकती है. 


आईएएस ऑफिसर दिव्या मित्तल ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर कर बताया कि उनकी दो बेटियां हैं और वह कुछ ऐसे पेरेंटिंग टिप्स शेयर करने जा रही हैं जो उन्होंने अपनी मां से सीखे हैं. दिव्या ने बताया कि कैसे उनकी मां ने तीन बच्चों को बड़ा किया. तीनों ही बच्चों ने IIT किया और फिर IIM और अब तीनों ही अपनी-अपनी लाइफ में काफी अच्छा कर रहे हैं. 

इसके बाद दिव्या ने अपने कुछ टिप्स शेयर किए. पेरेंटिंग को लेकर पहला टिप शेयर करते हुए दिव्या ने कहा कि सबसे पहले तो आपको जरूरत है कि आप अपने बच्चों को बताएं कि वह किसी भी काम को कर सकता है. इस बात को अपने बच्चे से बार-बार कहें ताकि वह इस पर भरोसा करने लगे. ये भरोसा ही उनकी किस्मत निर्धारित करेगा. 


दूसरा टिप शेयर करते हुए दिव्या ने बताया कि अपने बच्चों को गिरने दो. उन्हें कूदने दो, खेलने दो, गिरने दो और चोट लगने दो. बच्चों को गिरने के बचाने के लिए आपको उनके साथ-साथ कूदने की कोई जरूरत नहीं है. इसी से वह ये चीज सीख सकेंगे कि हारने के बाद उन्हें कैसे उठना है और आगे बढ़ना है.  


तीसरा टिप शेयर करते हुए दिव्या ने बताया कि बच्चों को किसी भी प्रतियोगिता में हिस्सा लेने दें. प्रतियोगिता में वह हर बार जीतेंगे नहीं लेकिन वह असफलताओं  के प्रति सहज हो सकेंगे. असफल होने का डर ही सफलता के रास्ते में आने वाली सबसे बड़ी बाधा होती है.  

चौथा टिप शेयर करते हुए दिव्या ने बताया कि बच्चों को जोखिम लेने दें. इस दौरान आप बच्चों पर नजर रखें लेकिन उन्हें जोखिम वाले  खेल जैसे स्पोर्ट्स, और पेड पर चढ़ने वाली एक्टिविटीज करने दें. इस दौरान आप देखेंगे कि गिरने के डर से आपका बच्चा काफी ध्यान से चीजें करेगा. 


इसके बाद, दिव्या ने माता-पिता से कहा कि वे अपने बच्चों को नए अवसरों और संसाधनों का लाभ उठाने दें. "उनके पास ऐसे अवसर और संसाधन हैं जो आपके पास कभी नही  नहीं थे. ऐसे में जो चीजें आपको नहीं मिल पाई उस कमी की मानसिकता को बच्चों पर ना थोपें. उन्होंने कहा कि आप अपने बच्चे के रोल मॉडल होते हैं. आप जो भी काम करते हैं बच्चे भी वैसी ही करने की कोशिश करते हैं. ऐसे में बच्चों के आगे झूठ बोलने और खराब बर्ताव करने से बचें.  


वे पेरेंट्स से कहा कि बच्चा अगर किसी चीज में अच्छा प्रदर्शन नहीं करता है तो निराशा ना जताएं. अगर आप बच्चे के प्रति निराशा जताएंगे तो वह खुद भी काफी निराश होने लगेगा और उसे अच्छा प्रदर्शन करने के लिए खुद से कोई उम्मीद नहीं रहेगी.