Success Story- मजबूरी में छूटी पढ़ाई, दिहाड़ी मजदूरी कर शुरू किया बिजनेस, अब सालाना कमाई 2 करोड़ रूपये 

मजबूरी में जिनकी छूटी पढ़ाई, दिहाड़ी मजदूरी कर शुरू किया जिन्होंने अपना बिजनेस आज हम आपको बता रहे है यूपी के रहने वाले हरवेंद्र की कहानी। जो मछली पालन से सालाना करोड़ों की कमाई कर रहे हैं? आइए जानते है कि कैसे वो इस मुकाम तक पहुंचे? और मछली पालन की वो कौन-कौन सी तकनीक है, जिसे सीखकर आप भी शुरू कर सकते अपना व्यवसाय.
 

HR Breaking News, Digital Desk-  अमरोहा उत्तर प्रदेश के रहने वाले हरवेंद्र सिंह किसान परिवार से हैं। 2006-07 की बात है। जब वो 12वीं के बाद इंजीनियरिंग करना चाहते थे। उन्होंने लखनऊ की एक संस्था में एडमिशन भी ले लिया था, लेकिन 4 महीने बाद पता चला कि यह संस्थान फर्जी है। उनके 50,000 रुपए डूब गए। जिसके बाद उन्हें घर से न जाने कितने ताने सुनने पड़े। घर वालों ने कहा कि जो भी जमा पूंजी थी, सब तुम पर लगा दी जो अब सब डुबा दी। तो ऐसे में अब तुम ही कमाओ पैसा। 

 

 

 

 

जिसके बाद वो हरियाणा आ गया और फिर वहां 10 साल प्राइवेट नौकरी की। उसके बाद वो घर आ गए और पिछले 4 साल से मछली पालन कर रहे हैं और सालाना 2 करोड़ से अधिक की कमाई कर रहे हैं।

आज हम आपको ये बताएगे कि यूपी के रहने वाले हरवेंद्र मछली पालन से सालाना करोड़ों की कमाई कैसे कर रहे हैं? कैसे वो इस मुकाम तक पहुंचे? और मछली पालन की वो कौन-कौन सी तकनीक है, जिसे सीखकर आप भी शुरू कर सकते अपना व्यवसाय.

100 रुपए दिहाड़ी पर मजदूरी की-

अमरोहा के रहने वाले हरवेंद्र सिंह बताते हैं कि जब 2008-09 में शादी हुई तो घर का खर्च चलाना मुश्किल हो गया था। हरियाणा में बड़े भाई रह रहे थे, जो एक गुरुद्वारे में थे। मुझे उन्होंने बुला लिया। कई दिनों तक अलग-अलग साइट्स पर जाकर ठेकेदार से नौकरी मांगता रहा। कई ने कहा कि उनके पास काम नहीं है, तो कई ने फटकार लगाकर भगा भी दिया। फिर उन्हें एक ठेकेदार ने रोज के 100 रुपए, यानी महीने के 3,000 रुपए पर काम दिया।

2016 में भाई ने शुरू किया मछली पालन-


हरवेंद्र सिंह कहते हैं कि जब साल 2016 में बड़े भाई वरुण सिंह को लगा कि गुरुद्वारे में रहकर जो आमदनी हो रही है, उससे घर चलाना संभव नहीं है। बच्चे बड़े हो रहे थे। घर पर पढ़ाई-लिखाई का बोझ बढ़ रहा था। फिर भइया घर आ गए और उन्होंने मछली पालन शुरू किया। धीरे-धीरे पॉन्ड की संख्या बढ़ती चली गई और आज करोड़ों का मुनाफा हो रहा है।

मछली पालन शुरू किया तो घर वालों ने कहा- पागल हो गया है-


हरवेंद्र कहते हैं कि भाई ने जब मछली पालन शुरू किया तो उन्होंने मुझे भी हरियाणा से गांव बुला लिया। हमारा संयुक्त परिवार है। साथ में मिलकर हमने काम शुरू किया। घर वालों को जब बताया तो उन्होंने पागल कहा। बोले कि नौकरी छोड़कर ये काम शुरू करने चले हो। मछली के धंधे को ऊंची जाति वाले कमतर आंकते हैं। पापा ने कहा कि खेती करने के लिए जमीन होती है। इसे तालाब बनाकर बर्बाद नहीं करना है। हरवेंद्र ने सबसे पहले गांव के सरकारी तालाब को लीज पर लिया। उसमें मछली पालन शुरू किया। पहले साल जब जबरदस्त मुनाफा हुआ तब फिर उन्होंने अपने खेतों को तालाब बनाना शुरू कर दिया।

16 एकड़ जमीन में तालाब बनाकर कर रहे मछली पालन-


हरवेंद्र ने पहले 4 एकड़ में तालाब बनाकर मछली पालन शुरू किया। अभी वो 16 एकड़ में मछली पालन कर रहे हैं। वे कहते हैं कि मछली का सीड वो कोलकाता से मंगवाते हैं और फीड आंध्र प्रदेश से लेते हैं। हरवेंद्र का कहना है कि यहां नजदीक में फीड के लिए कोई कंपनी नहीं है। अब राज्य में किसी कंपनी ने प्लांट लगाने शुरू किए हैं। अगर ऐसा हो जाता है तो हम लोगों के लिए बेहतर होगा।

दो तरह के पॉन्ड, यानी तालाब बनाए जाते हैं-

हरवेंद्र मछली पालन के बारे में बताते हुए कहते हैं कि इसमें दो तरह के पॉन्ड बनाए जाते हैं। एक नर्सरी पॉन्ड होता है और दूसरा कल्चर्ड पॉन्ड।

नर्सरी पॉन्ड- 


इसमें सबसे पहले मछली के सीड को रखा जाता है। जो लोग मछली पालन की शुरूआत करना चाहते हैं, उन्हें पहले 1 किलो सीड से ही शुरूआत करनी चाहिए। इसमें 100 लाइन, यानी 100 पीस मछली आती है। सीड बड़ा-बड़ा होना चाहिए, क्योंकि, ज्यादा छोटा सीड होने पर इसके डैमेज यानी मरने की संभावना ज्यादा होती है।


कल्चर्ड पॉन्ड- 


जब नर्सरी पॉन्ड में मछली को एक महीने छोड़ा जाता है फिर उसे नेटिंग कर गिनती की जाती है। उसके बाद किसान इन मछलियों को कल्चर्ड पॉन्ड में डालते हैं।
जो बड़े मछली पालक होते हैं, वे ऑल्टरनेट तरीके से फार्मिंग करते हैं, ताकि सभी मछलियां आगे-पीछे तैयार हों और सही मुनाफा मिले।

फीड और पानी का रखना होता है ध्यान-


हरवेंद्र बताते हैं कि मछली पालन में सबसे ज्यादा सीड, फीड और पानी की क्वालिटी का ध्यान रखना होता है। पानी का Ph 7.5-8.5 होना चाहिए। यदि इसका Ph घट जाता है तो पानी में गुड़ डाला जा सकता है। इससे Ph का मान बढ़ जाता है। अगर Ph का मान बढ़ गया होत तो फिर चूना का इस्तेमाल कर इसे कम किया जाता है।

मछली को फीड देते समय इस बात का भी खास ध्यान रखना होता है कि फीड एक जगह इकट्ठा न हो। ऐसा यदि होगा तो जो बड़ी मछलियां होंगी, वो ज्यादा फीड खाएंगी और छोटी मछलियों को फीड नहीं मिल पाएगा। इससे वे कमजोर हो जाएंगी। उनका वजन नहीं बढ़ेगा। बीच-बीच में मछलियों को उठाकर देखना भी होता है कि उनका वजन सही से बढ़ रहा है न। इसके लिए ट्रे में रखकर वजन किया जाता है।

हरवेंद्र से कई राज्यों के लोग आकर ले रहे हैं ट्रेनिंग-


हरवेंद्र बताते हैं कि उनके आस-पास के करीब 3 हजार एकड़ में किसान मछली पालन कर रहे हैं। उन्हें हरवेंद्र गाइड करते हैं। इसके बदले में किसानों से तय पैसा जैसे 5,000-10,000 रुपए लेते हैं। यहां तक कि राजस्थान, मध्यप्रदेश, बिहार जैसे राज्यों के किसान भी आकर उनसे ट्रेनिंग लेते हैं। वे अपना एक यूट्यूब चैनल भी चलाते हैं, जिस पर मछली पालन से संबंधित जानकारियां अपलोड करते हैं।

देश में मछली पालन बड़ा व्यवसाय का माध्यम बन गया है। केंद्र के 2017-18 के आंकड़ों के मुताबिक देश में 8.90 मिलियन मीट्रिक टन और समुद्री क्षेत्र से 3.69 मीट्रिक टन मछली का उत्‍पादन किया गया। कुल साथ 12.59 मिलियन मीट्रिक टन का मछली उत्पादन दर्ज किया गया था। 2016-17 की तुलना में 2017-18 के दौरान मछली उत्पादन में औसत 10.14% की वृद्धि हुई।


यदि आप भी मछली पालन करना चाहते हैं तो इन बातों का ध्यान रखें-

1.मछली के बीज को डालने के पहले तालाब को साफ करना चाहिए।
2. तालाब से सभी जलीय पौधों, खाऊ और छोटी मछलियों को निकाल देना चाहिए।
3. खाऊ और बेकार मछलियों को खत्म करने के लिए तालाब को पूरी तरह से सुखा दें। कीटनाशक दवा का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।