Success Story- न कोचिंग थी न गाइडेंस, पिता के साथ दुकान पर काम करने वाले बेटे ने रच डाला इतिहास
HR Breaking News, Digital Desk- कहते हैं कि कुछ ठान लो और उसे पूरी ईमानदारी, सच्ची लगन और मेहनत से करो तो सफलता जरूर मिलती है। यह कहानी है एक ऐसे बच्चे की जो सैकड़ों उन बच्चों के लिए प्रेरणा है जो राष्ट्रीय पात्रता और प्रवेश परीक्षा (NEET) से घबराते हैं। उन्हें नीच हौव्वा लगता है।
ओडिशा के कंधमाल जिले में रहने वाले एक लड़के ने नीट की परीक्षा पास की। खासबात है कि लड़के के पिता चाय बेचते हैं। वह अस्पताल के बाहर चाय बेचते थे, उनके मन में था कि उनका बेटा डॉक्टर बने। वह चाय पीने आने वाले डॉक्टरों से बात करते और अपने मन की इच्छा जाहिर करते, लेकिन कोचिंग की मोटी फीस और तैयारी के लिए आने वाले खर्च को सुनकर उन्होंने अपने बेटे को कभी फोर्स नहीं किया। लेकिन बेटा पिता के मन की बात समझा और बिना किसी कोचिंग और गाइडेंस के घर पर सेल्फ स्टडी करके नीट क्रैक करके दिखा दिया।
यह कमाल कर दिखाया है फूलबनी में मास्टरपाड़ा के सिबा शंकर बेहरा के सबसे बड़े बेटे सूरज कुमार बेहरा (22) ने। सूरज को मेडिकल प्रवेश परीक्षा में 720 में से 635 अंक मिले हैं। वह सामान्य वर्ग में 8056 वें स्थान पर रहे। अन्य पिछड़ा वर्ग वर्ग से संबंधित होने के बावजूद, वह आरक्षण प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं कर सका क्योंकि उसके परिवार का शहर में अपना घर नहीं है।
पिता के मन की बात जान गया था सूरज-
प्लस-III ड्रॉपआउट सूरज भी अपने पिता की फूलबनी अस्पताल के पास चाय की दुकान पर मदद करता था। चाय की दुकान पर डॉक्टर और डॉक्टरी की पढ़ाई करने वाले चाय पीने आते थे। पिता सिबा शंकर को बहुत अच्छा लगता था लेकिन उन्हें पता था कि बेटे ने पढ़ाई छोड़ दी है, परिवार चलाने के लिए उसके साथ चाय बेचने में मदद करता है। सिबा को बहुत अच्छा लगता था। वह डॉक्टरों से बात करते। सूरज पिता के मन की बात समझ गया। उसने पिता को बिना बताए नीट की तैयारी शुरू कर दी।
YouTube से की पढ़ाई-
सूरज ने बताया, 'मैंने घर पर ही परीक्षा की तैयारी की। मैंने कोई औपचारिक कोचिंग नहीं ली क्योंकि मेरे परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर है। मैंने सुझावों के लिए बहुत सारे YouTube वीडियो देखे।' पिछले पांच प्रयासों में वांछित अंक प्राप्त करने में असफल होने के बावजूद, सूरज ने अपने सपने को नहीं छोड़ा और अपनी तैयारी जारी रखी।
चाय बेची लेकिन पढ़ाई से नहीं किया समझौता-
सिबा शंकर ने कहा कि अपनी खराब वित्तीय स्थिति के बावजूद उन्होंने अपने बच्चों को सर्वोत्तम शिक्षा प्रदान करने का प्रयास किया। उन्होंने कहा, 'मेरा छोटा बेटा वीएसएसयूटी, बुर्ला में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है, जबकि सबसे छोटा बेटा प्लस III में पढ़ता है। मैंने सूरज को कभी हतोत्साहित नहीं किया। पढ़ाई के बावजूद सूरज ने चाय की दुकान पर मेरी मदद की।'