Success Story - 11 साल की उम्र में करोड़पति बन गया ये शख्स, खुद की कंपनी खड़ी कर 3000 लोगों को दिया रोजगार 

कामयाबी का कोई शॉर्ट कट नहीं होता। बस, आप अपनी कोशिश करते रहिए, जीवन में आपको सफलता जरूर मिलेगी। आज हम आपको एक ऐसी कहानी बताने जा रहे है जिसमें एक शख्स 11 साल की उम्र में खुद की कंपनी खड़ी कर करोड़पति बन गया और आज 3000 लोगों को दे रहा है रोजगार। आइए जानते है इनकी पूरी कहानी।   
 

HR Breaking News, Digital Desk- कामयाबी का कोई शॉर्ट कट नहीं होता। बस, आप कोशिश जारी रहिए, किसी दिन भी लाइफ में टर्निंग पॉइंट आ सकता है। राजस्थान के जालोर जिले के रहने वाले योगेश जोशी यही एग्जाम्पल देते हैं। बात 2009 की है। योगेश ने ऑर्गेनिक फॉर्मिंग में डिप्लोमा किया है। घरवालों चाहते थे कि बेटा सरकारी नौकरी करे।

योगेश किसानी करना चाहते थे। शुरुआत में लोगों ने हतोत्साहित किया। किसी ने ताने मारे। परिजन नाराज रहे, लेकिन योगेश अपने काम में लगे रहे। 11 साल में वे अपने गांव के आदर्श युवा बनकर सामने आए हैं। योगेश और उनके साथ के 3000 किसान 4000 एकड़ में जीरा-सौंफ, धनिया, मेथी और कलौंजी जैसे मसाले उगाकर मालामाल हो गए हैं। उनका सालाना टर्न ओवर 60 करोड़ रुपए माना जाता है। इनकी फर्म में 50 अन्य लोगों को भी काम मिला हुआ है। 

योगेश के परिजन चाहते थे कि वो एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट में नौकरी का प्रयास करें। लेकिन उन्हें तो किसानी करना थी। लोगों ने समझाइश दी कि सीधे तौर पर किसानी करके जोखिम नहीं उठाना चाहिए। योगेश को मालूम था कि जीरे की फसल नगद बिकती है। वहीं, इसकी उपज भी बम्पर होती है। मार्केट में इसकी डिमांड भी रहती है। बस फिर क्या था, योगेश ने अपनी 2 एकड़ जमीन पर जीरे की जैविक खेती शुरू की।


वे बताते हैं कि शुरुआत में वे फ्लॉप हो गए। उन्होंने अपने साथ 7 अन्य किसानों को भी जोड़ा था। दूसरे किसानों को लगता था कि बगैर यूरिया, पेस्टिसाइड्स आदि केमिकल फसल में डाले बिना उत्पादन अच्छा नहीं होगा। योगेश ने जोधपुर स्थित काजरी कृषि वैज्ञानिकों से संपर्क किया। वहां से वैज्ञानिक योगेश के गांव सांचोर आए और उन्हें ट्रेनिंग दी।


उन्होंने 2009 में जब जीरे की खेती शुरू की, तब उनका टर्न ओवर 10 लाख था। अब उनकी फर्म रैपिड ऑर्गेनिक प्रालि का सालाना टर्न ओवर 60 करोड़ रुपए है। इस फर्म में 2 अन्य सहयोगी कंपनियां जुड़ी हुई हैं। इनसे 3000 किसान जुड़े हैं। ये सभी अब 4 हजार एकड़ जमीन पर खेती कर रहे हैं। 


35 साल के योगेश बताते हैं कि वे अपनी फसल को बेचने ऑनलाइन मार्केट का भी इस्तेमाल भी करते हैं। उनके साथ कई देशी-विदेशी कंपनियां संपर्क में हैं। हाल में उन्होंने हैदराबाद की एक कंपनी के साथ 400 टन किनोवा के साथ कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की है।


एक जापानी कंपनी के लोग भी योगेश के बारे में सुनकर उनके गांव पहुंचे। इस कंपनी ने भी योगेश की फर्म के साथ करार किया है। योगेश के मसाले अमेरिका में भी निर्यात हो रहे हैं।


वे सिर्फ अकेले ही आगे नहीं बढ़ रहे। उनकी कंपनी दूसरे किसानों को भी अपने साथ जोड़ रही है। पिछले 7 सालों में ही इनसे जुड़े 1000 किसान ऑर्गेनिक सर्टिफाइड हो चुके हैं।


योगेश बताते हैं कि जो किसान ऑर्गेनिक सर्टिफाइड नहीं होता, उसे उपज बेचने में दिक्कत आती है। ऐसी स्थिति में योगेश खुद फसल खरीद लेते हैं और फिर अपनी फर्म से बेच देते हैं।


उनके फर्म की जिम्मेदारी 50 लोग संभाल रहे हैं। योगेश की पत्नी और परिवारवाले भी उनका हाथ बंटाते हैं। उनकी पत्नी ने महिलाओं का एक ग्रुप बना रखा है। वे ट्यूब पर रेसिपीज के प्रोग्राम भी बनाती हैं। योगेश कहते हैं कि ऑर्गेनिक खेती करियर का बेहतर ऑप्शन है। बस इसमें 2-3 साल का समय लेकर आना चाहिए। योगेश को उनकी सक्सेस के लिए कई अवार्ड मिल चुके हैं।