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High Court Verdict : पति ने पत्नी पर दर्ज करवाया घरेलू हिंसा का केस, हाई कोर्ट के जज ने कह दी बड़ी बात

घरेलू हिंसा के मामले तो सोशल मीडिया पर आए दिन ही सुनने को मिलते हैं। हाल ही में एक ऐसा ही मामला सामने आया है जिसमें पति ने अपनी पत्नी पर घरेलू हिंसा का केस दर्ज करवाया है। इस मामले पर हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। आइए नीचे खबर में विस्तार से जानते हैं। 

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HR Breaking News (ब्यूरो)। घरेलू हिंसा कानून के तहत महिला को 'आरोपी' बनाने वाले मामले की सुनवाई पर दिल्ली हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है. इस मामले में दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट सुनवाई कर रहा था. महिला ने दिल्ली हाई कोर्ट में घरेलू हिंसा के मामले में 'आरोपी' शब्द को चुनौती दी थी। महिला की याचिका पर हाई कोर्ट ने कड़कड़डूमा कोर्ट में चल रही सुनवाई पर रोक लगा दी है।

दरअसल, एक पति ने अपनी पत्नी के खिलाफ 2005 के घरेलू हिंसा कानून के तहत केस दर्ज करवाया था. चूंकि, केस पति ने दर्ज करवाया था इसलिए मामले में पत्नी को 'आरोपी' बनाया गया था. कड़कड़डूमा कोर्ट में इस मामले की सुनवाई चल चल रही थी।

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इसी सुनवाई पर रोक लगाने की मांग को लेकर महिला ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। महिला ने दलील दी है कि घरेलू हिंसा कानून के तहत किसी महिला को 'आरोपी' नहीं बनाया जा सकता। महिला की याचिका पर हाई कोर्ट में जस्टिस जसमीत सिंह हंसते हुए पूछा- 'ये क्या है? क्या ट्रायल कोर्ट के जज ने अपना दिमाग नहीं लगाया? इस पूरे मामले के बाद घरेलू हिंसा कानून के बारे में जानना जरूरी है. आखिर क्यों इसके तहत किसी महिला को आरोपी नहीं बनाया जा सकता? एक महिला को ये कानून  क्या अधिकार देता है? 

क्या है ये कानून?

एक महिला को घर के भीतर होने वाली हिंसा से बचाने के लिए 2005 में घरेलू हिंसा कानून लाया गया था.  इस कानून के दायरे में वो सभी महिलाएं आती हैं जो किसी साझे घर में मां, बहन, पत्नी, बेटी, विधवा हो सकती है. लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाली महिलाओं को भी इसमें शामिल किया गया है।

कानून के तहत साझे घर में रहने वाली महिला के स्वास्थ्य, सुरक्षा, जीवन, शरीर के अंग या मानसिक स्थिति को नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकता. इस कानून में शारीरिक, मानसिक, मौखिक, भावनात्मक, आर्थिक और यौन हिंसा को शामिल किया गया है. आर्थिक रूप से परेशान करने का  मतलब है कि अगर कोई पति या बेटा खर्च के लिए अपनी पत्नी या मां से जबरदस्ती पैसे या कोई चीज मांगता है तो वो महिला घरेलू हिंसा कानून के तहत केस दर्ज करवा सकती है।

इतना ही नहीं, एक शादीशुदा महिला को दहेज के लिए भी प्रताड़ित नहीं किया जा सकता है। साथ ही महिला या उनसे संबंध रखने वाले लोगों के साथ गाली-गलौच नहीं की जा सकती और न ही उन्हें डराया या धमकाया जा सकता है.

कौन कर सकता है शिकायत? 


घरेलू हिंसा कानून के तहत एक महिला ही शिकायत कर सकती है. अगर महिला शिकायत नहीं कर सकती है तो उसकी ओर से कोई ओर भी शिकायत कर सकता है. इस कानून के तहत एक बच्चा भी शिकायत कर सकता है. ऐसे बच्चे की मां अपने नाबालिग बच्चे की ओर से शिकायत दर्ज करवा सकती है. फिर वो बच्चा चाहे लड़का हो या हो या लड़की. घरेलू हिंसा कानून की धारा- 2(A) में एक महिला को ही 'पीड़ित व्यक्ति' माना गया है। पीड़ित व्यक्ति' से किसी ऐसी महिला से मतलब है जो घरेलू हिंसा शिकार रही है।

दिल्ली हाईकोर्ट में भी उस महिला ने धारा- 2(A)  के तहत ही 'आरोपी' शब्द को चुनौती दी है. क्योंकि ये धारा कहती है कि एक 'पीड़ित' सिर्फ कोई महिला या लड़की ही हो सकती है।

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किसके खिलाफ शिकायत कर सकते हैं


इस कानून के तहत किसी भी बालिग पुरुष के खिलाफ शिकायत की जा सकती है, जिसके साथ महिला का घरेलू संबंध रहा हो. फिर चाहे वो पति हो सकता है, पिता हो सकता है, पिता हो सकता है, भाई हो सकता है या कोई और रिश्तेदार हो सकता है।