cheque bounce case : चेक बाउंस होने पर कब आती है जेल जाने की नौबत, चेक से लेनदेन करने वाले जान लें नियम
cheque bounce rules : चेक से लेन-देन करना आज के समय में सुरक्षित माना जाता है। इसमें एक जोखिम यह है कि खासकर उस समय परेशानी बढ़ जाती है, जब कोई चेक बाउंस हो जाता है। चेक बाउंस (cheque bounce) होने पर केवल जुर्माने से बात नहीं बनती, इसके लिए जेल भी जाना पड़ सकता है। ऐसी स्थिति से बचने के लिए चेक बाउंस से जुड़े नियमों को जान लेना बहुत जरूरी है।

HR Breaking News - (ब्यूरो)। आजकल ऑनलाइन ट्रांजेक्शन की सुविधा का लाभ हर कोई उठाने लगा है। फिर भी कई लोग चेक से पेमेंट करना पसंद करते हैं। यह पैसे के लेनदेन का एक बेहतर तरीका समझा जाता है। चेक भरते समय कई बातों को ध्यान में रखना बेहद जरूरी है, क्योंकि किसी भी छोटी सी गलती से चेक बाउंस (cheque bounce hone ke karn) हो सकता है।
चेक बाउंस होने पर जुर्माना तो भरना ही पड़ सकता है, साथ ही गंभीर स्थितियों में मुकदमा भी हो सकता है, जिससे जेल भी हो सकती है। चेक यूज करने वाले यहां दी गई बातों को सही से जान लेंगे तो कभी जेल जाने जैसी नौबत नहीं आएगी।
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इन कारणों से होता है चेक बाउंस -
आमतौर पर सभी के मन में यह सवाल आता है कि चेक में सभी डिटेल भरने के बावजूद कई बार चेक बाउंस क्यों हो जाता है? ऐसे में बता दें कि चेक बाउंस होने के कई कारण (reason for cheque bounce) हो सकते हैं। अकाउंट में पैसे की कमी, गलत जानकारी भरना, नाम, नंबर या हस्ताक्षर और चेक की तारीख गलत भरने से भी चेक बाउंस (cheque bounce me jel kab hoti hai) हो सकता है।
कभी-कभी ओवरड्राफ्ट लिमिट का पार होना या चेक पर जरूरी मुहर का न होना भी समस्या पैदा करता है। इसके अलावा, अकाउंट बंद होना, गलत तरीके से लिखी गई जानकारी या फर्जी चेक की संभावना के कारण भी चेक बाउंस (cheque bounce News) हो सकता है।
चेक बाउंस होने का परिणाम -
अगर किसी का चेक बाउंस हो जाता है तो बैंक उस पर जुर्माना लगा सकता है। यह जुर्माना 150 रुपए से लेकर 800 रुपए (penalty on cheque bounce) तक हो सकता है। चेक बाउंस को एक अपराध माना जाता है और इसके लिए कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है।
चेक बाउंस नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट, 1881 के अनुसार चेक बाउंस होने की स्थिति में भुगतान कर्ता पर मुकदमा दर्ज हो सकता है। ऐसे में 2 साल तक जेल या चेक में भरी राशि का दोगुना जुर्माना या जुर्माना और जेल (cheque bounce Punishment) दोनों की कार्रवाई हो सकती है। ऐसा तभी होता है जब चेक देने वाले के खाते में उतने पैसे न हों या चेक डिसऑनर हो जाए।
बैंक देता है यह जरूरी सूचना -
जब कोई व्यक्ति चेक से भुगतान करता है और वह चेक बाउंस हो जाता है, तो सबसे पहले बैंक लेनदार को एक सूचना देता है, जिसमें बताया जाता है कि चेक क्यों बाउंस (cheque bounce reasons) हुआ है। इसके बाद, लेनदार को 30 दिन के भीतर उस व्यक्ति को एक आधिकारिक नोटिस भेजना होता है।
अगर इस नोटिस के 15 दिनों (time for cheque bounce report) के अंदर जवाब नहीं मिलता, तो लेनदार को कानून के अनुसार अदालत में शिकायत दर्ज करने का अधिकार होता है।
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इस स्थिति में हो सकती है जेल-
लेनदार की ओर से भुगतानकर्ता को आधिकारिक नोटिस भेजे जाने के बावजूद भुगतान नहीं मिलता, तो यह मामला अदालत में जा सकता है और देनदार यानी भुगतानकर्ता के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। चेक बाउंस के बाद बार-बार नोटिस की अनदेखी करने पर सजा और जुर्माने का प्रावधान है,
जो नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट, 1881 (Negotiable Instrument Act 1881, section 138) कानून के तहत तय किया जाता है। इस स्थिति में जेल भी जाना पड़ सकता है। यह प्रक्रिया इस उद्देश्य से बनाई गई है ताकि बैंकों और लेनदारों के बीच वित्तीय लेन-देन (cheque using Tips) में पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित किया जा सके।