cheque bounce : चेक बाउंस मामले में हाईकोर्ट ने दिया बड़ा फैसला, अब मान्य होगा ये नोटिस

HR Breaking News : (HC Decision)। चेक बाउंस होने के बेशक कई कारण हैं, लेकिन यह अपने आप में बहुत बड़ी बात है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अब चेक बाउंस (cheque bounce update) के मामलों को लेकर बहुत बड़ा फैसला सुनाया है। कई दिनों से लंबित इस मामले पर हाईकोर्ट ने कानून के कई प्रावधानों को अवलोकन करने के बादय यह फैसला सुनाया है।
अब कोर्ट का यह निर्णय हर तरफ चर्चाओं में है। कोर्ट के इस फैसले से चेक बाउंस (cheque bounce case) के मामले में दिए गए खास तरह के नोटिस को वैधता व मान्यता मिली है।
हाई कोर्ट ने सुनाया यह फैसला -
हाईकोर्ट ने चेक बाउंस से जुड़े एक मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि अगर कोई चेक बाउंस (HC decision in cheque bounce) होता है और उसकी सूचना ईमेल और व्हाट्सएप को माध्यम बनाकर नोटिस के रूप में दी जाती है तो वह नोटिस हर हाल में मान्य होगा।
इसमें हालांकि शर्त होगी कि यह नोटिस आईटी एक्ट (IT act) की धारा 13 के प्रावधानों के अनुसार हो। किसी चेक के बाउंस होने पर चेक जारीकर्ता को फोन से यानी व्हाटसएप और ईमेल से चेक बाउंस का डिमांड नोटिस (demand notice) भेजते हैं तो इसे अमान्य नहीं कहा जाएगा।
हाईकोर्ट ने ऐसे नोटिस को माना वैध-
कोर्ट ने राजेंद्र यादव और उत्तर प्रदेश सरकार (UP govt) के मामले में यह टिप्पणी की है। बता दें कि उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट के न्यायाधीश ने सुनवाई करते हुए इस मामले में कहा कि नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स कानून (Negotiable Instruments Law) की धारा 138 लिखित तौर पर नोटिस देने की बात तो कहती है लेकिन नोटिस या जानकारी किस तरीके से भेजी गई, इस पर कुछ नहीं कहती।
इस आधार पर चेक बाउंस के मामलों में ईमेल और व्हाट्सएप के जरिये भेजे गए नोटिस (cheque bounce ) को हाई कोर्ट ने सही माना व वैध करार दिया।
कानून के इस प्रावधान को रखा सामने -
इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) ने फैसले से पूर्व नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स कानून और आईटी कानून के प्रावधानों को भी मद्देनजर रखा। आईटी और एविडेंस को लेकर भी जांच पड़ताल की गई। कोर्ट के अनुसार कोई जानकारी लिखित में हो या टाइपिंग में, दोनों ही स्थितियों में इलेक्ट्रॉनिक माध्यम के जरिये भेजी गई जानकारी को सही माना जाएगा।
आईटी कानून के सेक्शन 4 और 13 का जिक्र करते हुए कोर्ट ने इस बात की पुष्टि भी की है। कोर्ट ने इंडियन एविडेंस एक्ट (Indian Evidence Act) की धारा 65 बी का अलग से इस बारे में हवाला दिया है। इसमें इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड स्वीकार करने की बात को कोर्ट ने प्रमुखता से रखा।
हाईकोर्ट ने कही यह बात -
कोर्ट ने इस मामले में उत्तर प्रदेश (UP news) के मैजिस्ट्रेट्स के लिए निर्देश जारी किए हैं। ये निर्देश नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स कानून से जुड़े मामलों की सुनवाई को लेकर दिए गए हैं। कोर्ट (Allahabad High Court news) का कहना है कि अगर नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स कानून के तहत शिकायत दर्ज हो संबंधित मजिस्ट्रेट को रजिस्टर्ड पोस्ट के जरिये भेजी गई शिकायत का पूरा ट्रैक-रिकॉर्ड मांगना होगा।
साथ ही इसे सुरक्षित भी रखना होगा। इस मामले में कई वकीलों ने अपना पक्ष रखा। उत्तर प्रदेश राज्य सरकार (UP government) की ओर से भी इस मामले में पैरवी की गई थी।