Dearness Allowance Merger : महंगाई भत्ते का बेसिक सैलरी में विलय, जानिये कर्मचारियों की सैलरी पर क्या होगा असर
Dearness Allowance Merger Formula :केंद्रीय कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में बढ़ौतरी कन्फर्म हो चुकी है। इसी बीच 5वें वेतन आयोग की तर्ज पर डीए मर्ज (Dearness Allowance Merger) करने की बातें सामने आ रही हैं। बेसिक सैलरी में डीए मर्ज (DA Merge) होने से सैलरी स्ट्रक्चर भी बदलेगा। डीए के विलय होने से सैलरी पर काफी असर पड़ेगा। आइए जानते हैं पूरा कैलकुलेशन।

HR Breaking News : (Dearness Allowance Merger calculation) : केंद्र सरकार ने 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) को मंजूरी दे दी है। इसी बीच महंगाई भत्ता भी लगभग कन्फर्म हो चुका है। महंगाई भत्ते में बढ़ौतरी होकर यह 56 प्रतिशत पहुंच जाएगा। ऐसे में इसे मुल वेतन (basic salary DA Merger) में विलय की बातें सामने आ रही है।
वहीं, दूसरी ओर कर्मचारियों का ध्यान वेतन आयोग के पैनल के कदमों पर टिक गया है। वहीं, कर्मचारी चाह रहे हैं कि मूल वेतन (Basic Pay) के संसोधन के बाद महंगाई भत्ते को बेसिक सैलरी में जोड़ने का प्रावधान किया जाए।
पहले के प्रावधानों को फिर से लागू करने की उम्मीद
1996 में 5वें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू की गई थी। यह 2006 तक चला था। इस दौरान आयोग ने सिफारिश की थी कि महंगाई भत्ता (Dearness Allowance) या कोई अन्य अलाउंस बेस 50 प्रतिशत से ज्यादा हो जाता है तो सैलरी में इसे मर्ज कर सैलरी संसोधित की जाए। बेसिक सैलरी में डीए का विलय (Dearness Allowance Merger) करने की बात कही गई। इसी प्रावधान के अनुसार 2004 में बेसिक सैलरी के साथ 50 प्रतिशत महंगाई भत्ते को मर्ज करने की अनुमति मिली थी।
क्यों मूल वेतन से मर्ज किया जाए डीए
वहीं, अब सवाल आता है कि 5वें वेतन आयोग से डीए (Dearness Allowance hike) को मर्ज क्यों किया जाए। इससे केंद्र सरकार और कर्मचारियों दोनों को फायदा होगा। वैसे तो दस साल बाद वेतन आयोग का गठन किया जाता है, लेकिन उससे पहले केंद्र सरकार से कर्मचारियों की बार-बार की जाने वाली सैलरी संशोधन की मांग का ऑटोमेटिक हल हो जाएगा।
दो वेतन आयोग में नहीं मानी मांग
5वें वेतन आयोग के बाद छठे वेतन आयोग ने डीए में सैलरी मर्ज करने की कोई सिफारिश नहीं की। 7वें वेतन आयोग के गठन के दौरान कर्मचारी यूनियंस ने डीए (DA) को सैलरी में मर्ज करने के 5वें वेतन आयोग के फॉर्मुले को फिर से अपनाने की मांग की, लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया।
सरकार मान जाती तो पहले ही संसोधित हो जाती सैलरी
केंद्रीय कर्मचारियों की एक यूनियन के जनरल सेक्रेटरी शिव गोपाल मिश्रा ने बताया कि 7वें वेतन आयोग (7th pay commission) की ओर से महंगाई भत्ते में 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी को मूल वेतन (basic pay) में विलय कर संशोधित करने का प्रस्ताव दिया था। सरकार ने इस प्रस्ताव को नहीं माना। अगर सरकार ने ऐसा किया होता तो 2024 में ही वेतन में संशोधन हो गया होता, क्योंकि 2024 में ही महंगाई भत्ता 50 प्रतिशत के पार पहुंच चुका है।
8वें वेतन आयोग में प्रावधान लाने की उम्मीद
वहीं, कर्मचारी यूनियनों की मांग है कि 8वें वेतन आयोग (8th pay commission DA) में कर्मचारियों की सैलरी में 50 प्रतिशत महंगाई भत्ता होने पर इसे बेसिक सैलरी में विलय का प्रावधान लागू करना चाहिए। 7वें वेतन आयोग में ऐसा नहीं हो सका था, लेकिन 8वें वेतन आयोग में डीए को विलय बेसिक सैलरी में विलय कर संशोधित करना चाहिए। महंगाई के रुझान को देखते हुए डीए और सैलरी का एक लिमिट बाद विलय होना जरूरी है।
56 प्रतिशत होगा डीए
वहीं, कर्मचारियों को फिलहाल 53 प्रतिशत डीए मिल रहा है। वहीं, ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स के आंकड़ों के मुताबिक नए साल में एक जनवरी 2025 से लागू होने वाला महंगाई भत्ता 56 प्रतिशत पहुंच जाएगा। अब तक के आंकड़ों से 3 प्रतिशत का महंगाई भत्ते में इजाफा (DA Hike) कन्फर्म हो गया है।
8वें वेतन आयोग में जीरो होगा डीए
नए वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद संसोधित बेसिक पे में महंगाई भत्ता जीरो से शुरू होगा। 8वां वेतन आयोग (DA in 8th CPC) लागू होने के बाद डीए परंपरा के अनुसार साल में दो बार संसोधित कर लागू किया जाएगा। वहीं, डीए में दो बार संसोधन को डॉ. अकरोय्ड के फॉर्मूले (Aykroyd's formula) के अनुसार लगाया जाता है। वहीं, इसे अब कर्मचारी सक्षम नहीं मान रहे हैं। यह फॉर्मूला 20वीं सदी का है। इसी फॉर्मुले से सैलरी में आयोग संसोधन करता है। वहीं डीए मर्ज करने से भी सैलरी स्ट्रकचर बदल जाता है।
36,000 न्यूनतम वेतन की मांग
एनएफआईआर के सेक्रेटरी जनरल एम राघवैया ने उम्मीद जताई है कि वेतन आयोग में न्यूनतम वेतन (Basic Pay) 36000 रुपये करने की मांग की जाएगी। लास्ट ईयर अगस्त में उन्होंने न्यूनतम वेतन 32 हजार 500 रुपये किए जाने की मांग की थी। अकरोय्ड के फॉर्मूले के अनुसार उन्होंने इसे माना था। इसे तुरंत संसोधन के साथ लागू करने की मांग थी।