Delhi High Court : दहेज लेने के बाद बेटी को पिता की संपत्ति में हिस्सा मिलेगा या नहीं, जानिये दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला
HR Breaking News (Delhi High Court Decision)। आए दिन कोर्ट कचहरी में प्रॉपर्टी से जुड़े मामले सामने आते नजर आ जाते हैं। हाल ही में भी एक ऐसा ही मामना सामने आ रहा है। दिल्ली हाईकोर्ट ने बेटी के प्रॉपर्टी में अधिकारों को लेकर एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने जानकारी देते हुए बताया कि क्या बेटियों को दहेज देने के बाद भी प्रॉपर्टी में अधिकार मिलता है। खबर में जानिये बेटियों के बारे में पूरी जानकारी।
पिता की संपत्ति में मिलेगा इतना अधिकार-
शादी के वक्त दहेज देने के बाद भी बेटी का पिता की संपत्ति में अधिकार (Property Rights) होने वाला है। दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले पर महत्वूपर्ण फैसला सुनाया है।
कोर्ट ने याचिकाकर्ता की बेटी की संपत्ति (Daughter's right on property) को बिना उसकी सहमति के भाइयों को ट्रांसफर करने की डीड भी कैंसिल कर दिया है। कोर्ट का कहना है कि इस बात के कोई सबूत नहीं है कि बेटियों को पर्याप्त दहेज दिया गया था। अगर यह मान भी लिया जाए कि बेटी को दहेज दिया गया था तो इसका मतला यह नहीं है कि परिवार की संपत्ति पर उसका कोई अधिकार नहीं है।
जान लें क्या था पूरा मामला -
यह मामला परिवार के लोगों के बीच प्रॉपर्टी बंटवारे को लेकर था। 10 लोगों के परिवार में चार बहनें और चार भाई हैं। सबसे बड़ी बेटी ने याचिका दायर कर एक डीड (Property Deed) का हवाला दिया था, जिसके जरिए उसके दिवंगत पिता ने उसे संपत्ति का उत्तराधिकारी घोषित किया था।
याचिका में 8 सितंबर 1990 की एक दूसरी डीड का भी जिक्र किया गया था, जिसके जरिए उसकी मां ने परिवार की एक दुकान को दो भाइयों के नाम ट्रांसफर कर दी थी। याचिका में इस डीड (Property Deed) को कैंसिल करने की मांग की गई थी। इसके साथ ही यह भी मांग की गई थी कि उसकी सहमति के बिना भाईयों को प्रॉपर्टी ट्रांसफर न की जाए।
कोर्ट के सामने भाईयों ने रखा ये पक्ष -
कोर्ट में याचिकाकर्ता की सुनवाई के दौरान उसके भाईयों ने यह पक्ष रखा कि चारों बहनों को शादी के मौके पर पर्याप्त दहेज दिया गया था। ऐसे में उनकी चारों बहनों का प्रॉपर्टी पर कोई अधिकार नहीं है। पहले मामले की सुनवाई ट्रायल कोर्ट में हुई। इसके बाद यह मामला दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court Decision) पहुंचा।
हाईकोर्ट ने पूरे मामले को समझते हुए संज्ञान लिया कि याचिकाकर्ता ने मुकदमा, डीड ट्रांसफर के 4 साल बाद दायर किया था, लेकिन उसे मुकदमे के 6 हफ्ते पहले ही इस बात का पता लगा था। कोर्ट ने इस बात की तरफ भी ध्यान खींचा कि उसके भाई यह साबित करने में नाकाम रहे कि बहन को डीड ट्रांसफर के बारे में पहले से जानकारी थी।
दिल्ली हाई कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला -
दिल्ली हाई कोर्ट ने पुर्तगाली नागरिक संहिता (Portuguese Civil Code) के आर्टिकल 1867, 2184, 1565, 2177, और 2016 पर मामले की जांच पड़ताल की। आर्किटल 1565 में कहा गया है कि पैरेंट्स या ग्रैंडपैरेंट्स बगैर एक बच्चे की सहमति के दूसरे बच्चे को प्रॉपर्टी नहीं बेच सकते हैं ना ही उस संपत्ति को रेंट पर चढ़ाया जा सकता है।
अगर वह ऐसा करते हैं तो उन्हें बच्चे से सहमति लेनी होगी। कोर्ट ने पूरा मामला जानने के बाद फैसला सुनाया कि इस पूरे मामले में आर्टिकल 1565 और 2177 का उल्लंघन हुआ है और बड़ी बेटी का उस संपत्ति (Daughter's right on property) पर अधिकार है। परिवार उससे संपत्ति का अधिकार नहीं छिन सकता है।
