Gratuity Rule 2025 : सरकारी कर्मचारी हो या प्राइवेट कर्मचारी, कर दी ये गलती तो अब नहीं मिलेगा ग्रेच्युटी का पैसा

HR Breaking News - (Gratuity Rules)। कर्मचारियों के लिए वेतन, पेंशन और ग्रेच्युटी को लेकर कई तरह के नियम (Gratuity ke niyam) बनाए गए हैं। अब ग्रेच्युटी के नियमों में बड़ा बदलाव किया गया है। इनके अनुसार एक खास तरह की गलती अब कर्मचारी को उसके ग्रेच्युटी(Gratuity kab milti h) के पैसे से वंचित कर सकती है।
अगर आप सरकारी या निजी कर्मचारी हैं तो यह खबर आपके लिए बेहद खास है। आप इस तरह की गलती से बचकर अपने ग्रेच्युटी के पैसे को सेफ कर सकते हैं। बता दें कि ग्रेच्युटी (term for Gratuity) हर कर्मचारी को 5 साल तक लगातार बेहतर सेवाएं देने पर रिवार्ड के रूप में दी जाती है।
जाने-अनजाने न कर बैठें यह गलती-
ग्रेच्युटी एक्ट 1972 (Gratuity Act 1972) के अनुसार अगर कोई कर्मचारी सरकारी विभाग या नियोक्ता की संपत्ति को जाने-अनजाने किसी तरह का नुकसान पहुंचाता है तो सरकार या नियोक्ता के पास उसकी ग्रेच्युटी राशि रोकने का अधिकार (Right to withhold gratuity amount) होगा।
इतना ही नहीं, संपत्ति का नुकसान होने के कारण कर्मचारी को नौकरी से भी निकाला जा सकता है। इस कारण से नौकरी से निकाला गया है तो ग्रेच्युटी भी रोकी जा सकती है। इस तरह के मामलों में किसी कर्मचारी (employees news) की ग्रेच्युटी की उतनी राशि रोकी जा सकती है, जितने का नुकसान हुआ है। यानी उस नुकसान की भरपाई कर्मचारी की ग्रेच्युटी राशि से की जाएगी।
ग्रेच्युटी के लिए यह होती है शर्त-
जिस कंपनी में 10 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हों, वह कंपनी अपने उस कर्मचारी को ग्रेच्युटी का भुगतान (gratuity payment rules) करने के लिए जिम्मेदार है, जिसने लगातार बेहतर काम किया है। किसी कर्मचारी को गलत व्यवहार, कंपनी में नुकसान करने या गलत जानकारी देने की वजह से कंपनी से निकाला जाता है तो नियोक्ता उस कर्मचारी की ग्रेच्युटी (employee's gratuity rules) रोक सकता है।
नियोक्ता पर लागू होगा यह नियम-
ग्रेच्युटी के मामले में नियोक्ता मनमानी भी नहीं कर सकता, बेवजह वह ग्रेच्युटी का पैसा (gratuity) नहीं रोक सकता। इसके लिए ठोस कारण का होना जरूरी है। नियोक्ता सिर्फ एक कारण बताकर किसी की ग्रेच्युटी नहीं रोक सकता। इसे लेकर ग्रेच्युटी एक्ट में खासतौर से कई प्रावधान (gratuity rules in law) भी किए गए हैं। इस एक्ट में नियोक्ता, सरकार व कर्मचारियों के अधिकारों की बात भी कही गई है। ये नियम व प्रावधान नियोक्ता पर भी लागू होंगे।
ग्रेच्युटी एक्ट में यह है प्रावधान-
ग्रेच्युटी एक्ट 1972 की धारा 4(6)(b)(ii) में कर्मचारी और नियोक्ता के कई अधिकारों का प्रावधान किया गया है। इसमें कहा गया है कि कर्मचारी के व्यवहार या गलती के कारण कंपनी का नुकसान हुआ है तो नियोक्ता कर्मचारी की ग्रेच्युटी रोक सकता (Can Employer withhold gratuity) है। हालांकि इसके लिए नियोक्ता को नोटिस देकर कर्मचारी से जवाब मांगना होगा। उसके बाद ही ग्रेच्युटी को रोकने का कदम नियोक्ता की ओर से उठाया जा सकता है।
यह कहना है कोर्ट का -
दिल्ली हाईकोर्ट ने ग्रेच्युटी (Delhi HC decision on gratuaity) को लेकर एक फैसले में कुछ समय पहले आदेश पारित किया था कि किसी कर्मचारी के नैतिक या भौतिक कार्यों से कंपनी को किसी तरह का कोई नुकसान होता है तो नियोक्ता अपने नुकसान की भरपाई के लिए कर्मचारी की ग्रेच्युटी राशि रोक सकता है।
कोर्ट ने यह भी बताया था कि ग्रेच्युटी (gratuity rules) की उतनी ही राशि ही नियोक्ता की ओर से रोकी जा सकती है, जितने का नुकसान नियोक्ता को हुआ है। बाकी की राशि नियोक्ता की ओर से कर्मचारी को देनी होगी।