home page

इलेक्ट्रिक व्हीकल पर हेलमेट को लेकर हाईकोर्ट ने कही बड़़ी बात

Delhi High Court : एक जनहित याचिका को  रद्द करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा, कि अनिवार्य बीमा कवर, दोपहिया वाहनों पर हेलमेट ना पहनने और नियम का पालन न करने पर दंडात्मक कार्रवाई का मौजूदा नियम पहले से ही इलेक्ट्रिक वाहनों पर भी लागू हैं। जानिए पूरी जानकारी...
 | 
इलेक्ट्रिक व्हीकल पर हेलमेट को लेकर हाईकोर्ट ने कही बड़़ी बात

HR Breaking News: दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने बृहस्पतिवार को कहा कि अनिवार्य बीमा कवर, दोपहिया वाहनों पर हेलमेट पहनने और नियम का पालन नहीं करने पर दंडात्मक कार्रवाई का मौजूदा नियम पहले से ही इलेक्ट्रिक वाहनों पर भी लागू है. उच्च न्यायालय ने उस जनहित याचिका को खारिज करते हुए यह आदेश दिया, जिसमें मोटर वाहन अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों के लिए बीमा कवर अनिवार्य बनाने के लिए अधिकारियों को निर्देश देने का आग्रह किया गया था. जनहित याचिका में अदालत से सभी प्रकार की इलेक्ट्रिक मोटरसाइकिलों (electric motorcycles) और स्कूटरों ( scooters ) पर हेलमेट पहनना अनिवार्य करने के लिए अधिकारियों को निर्देश देने का भी आग्रह किया गया था.

पीठ ने क्या कहा?

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा ( Chief Justice Satish Chandra Sharma ) और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा कि जनहित याचिका केवल दो समाचार रिपोर्ट के आधार पर दायर की गई और याचिकाकर्ता की ओर से उठाए गए मुद्दे, लगाए गए आरोप और दावे काफी हद तक अप्रमाणित हैं तथा इस तरह की बेकार जनहित याचिकाएं न्याय तक पहुंच को सक्षम करने के बजाय, वास्तव में न्यायिक समय को बर्बाद करती हैं और इसमें बाधा डालती हैं.


यह भी कहा गया:

पीठ ने अपने फैसले में कहा, अगर याचिकाकर्ता की ओर से कुछ उचित परिश्रम किया गया होता और शोध किया गया होता, तो यह स्पष्ट होता कि याचिकाकर्ता द्वारा जनहित याचिका में उठाए गए मुद्दों का पहले ही प्रासंगिक कानूनों, नियमों और अधिसूचनाओं के माध्यम से समाधान किया जा चुका है.

जनहित याचिका का सिद्धांत:

अदालत ने कहा कि जनहित के मुद्दों का समाधान करने के लिए जनहित याचिका का सिद्धांत विभिन्न फैसलों के माध्यम से अदालतों द्वारा विकसित किया गया है, जिसका मकसद उन लोगों की सहायता करना है, जिन्हें क्षति पहुंचाई गई हो या जिनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया गया हो और उनकी शिकायतों पर ध्यान नहीं दिया गया हो.