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High Court : प्रॉपर्टी पर कब्जा करने वालों की अब खैर नहीं, हाई कोर्ट ने दिए सख्त ऑर्डर

Illegal land encraochment : आमतौर पर निजी संपत्ति पर अतिक्रमण के मामले कोर्ट में आते रहते हैं, लेकिन लोग सरकारी जमीनाें पर भी अवैध कब्जे व अतिक्रमण करने से पीछे नहीं हटते हैं। अब हाई कोर्ट ने सरकारी जमीन पर हुए कब्जों व अतिक्रमण को हटाने के लिए एक सख्त निर्देश (Illegal encroachment on govt land) जारी किया है। इससे लोगों को हो रही कई परेशानियों से भी छुटकारा मिलेगा। आइए जानते हैं क्या हैं हाई कोर्ट के निर्देश।

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High Court : प्रॉपर्टी पर कब्जा करने वालों की अब खैर नहीं, हाई कोर्ट ने दिए सख्त ऑर्डर 

HR Breaking News - (high court decision)। जब भी किसी सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा या अतिक्रमण किया जाता है तो सरकारी संपत्ति के दुरुपयोग के साथ-साथ इसका प्रभाव आम लोगों को परेशानी के रूप में झेलना पड़ता है। इसी बात को देखते हुए अब हाई कोर्ट ने सरकारी जमीनों से अवैध कब्जे हटाने के लिए सख्ती से निर्देश (Instructions for removal of possession) दिए हैं। इसके लिए बाकायदा कोर्ट ने विभागों को कब्जे हटाने के तौर तरीके भी बताए हैं, ताकि प्रशासन को भी कब्जे हटाने में समस्या न आए।

क्या है हाई कोर्ट का आदेश -

हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय (Himachal pradesh high court) ने सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे के खिलाफ सख्त कदम उठाने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने सभी सरकारी विभागों और अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे किसी भी सरकारी संपत्ति पर कब्जा (Illegal possession on govt. land) न होने दें। यह सुनिश्चित करने के लिए संबंधित अधिकारियों को सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है। कोर्ट का उद्देश्य सरकारी भूमि की सुरक्षा करना और अवैध कब्जों को हटाना है।

NHAI को करना होगा यह सुनिश्चित -

हिमाचल प्रदेश के उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों ने यह आदेश दिया है कि भविष्य में किसी भी व्यक्ति को सरकारी संपत्ति, सड़कों या सार्वजनिक मार्गों पर अतिक्रमण करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इस फैसले में खास ध्यान उन लोगों पर भी दिया गया है, जिन्हें पहले अतिक्रमण करने के कारण हटाया गया था। वन और राजस्व विभाग के साथ राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (National highway authority of India) (NHAI) को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि कोई भी नया अतिक्रमण न हो। कोर्ट का उद्देश्य सार्वजनिक भूमि की रक्षा करना और अवैध कब्जों को रोकना है।

डिप्टी रेंजर अधिकारियों को देनी होगी जानकारी - 

हाईकोर्ट ने विभिन्न सरकारी कर्मचारियों को निर्देश दिया है कि वे अपने निर्धारित क्षेत्रों में सरकारी जमीन पर किसी भी प्रकार के अवैध कब्जे या अतिक्रमण की जानकारी संबंधित डिप्टी रेंजर (deputy ranger officer) अधिकारियों को प्रदान करें। उन्हें यह जानकारी समय रहते संबंधित उच्च अधिकारियों को भेजनी होगी। इसके साथ ही, इन कब्जों को हटाने के लिए उचित कानूनी कदम (HC legal action on Encroachment) तुरंत उठाने को कहा गया है। इस कदम से सार्वजनिक भूमि और मार्गों पर किसी भी अवैध गतिविधि पर कड़ी नजर रखी जाएगी और अतिक्रमण हटाने के लिए त्वरित कार्रवाई की जाएगी। यह निर्देश सुनिश्चित करने के लिए एक सुव्यवस्थित प्रक्रिया की आवश्यकता है।

ऐसे की जाएगी रिपोर्ट तैयार -

सरकारी और वन भूमि, सार्वजनिक सड़कों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कोर्ट ने कदम उठाए हैं। प्रत्येक माह के पहले सप्ताह में वन रक्षकों को डिप्टी रेंजरों के माध्यम से रिपोर्ट तैयार करनी होगी। यह रिपोर्ट संबंधित वन अधिकारियों को सौंपनी होगी, जिसमें उनकी बीट के अंतर्गत किसी भी प्रकार के अवैध कब्जे का विवरण होना आवश्यक होगा। यह कदम उन क्षेत्रों में अतिक्रमण की रोकथाम (prevention of encroachment) के लिए उठाया गया है, जहां सरकारी और वन भूमि का संरक्षण महत्वपूर्ण है। रिपोर्ट में साफ-साफ जानकारी देने के निर्देश दिए गए हैं।

सहायक अभियंता को भेजनी होगी रिपोर्ट -

कोर्ट ने सरकारी और वन भूमि पर कब्जे की जानकारी एकत्रित करने का आदेश दिया है। हर क्षेत्र में तैनात अधिकारी को शुरूआती हफ्ते में रिपोर्ट तैयार कर संबंधित अधिकारियों को सौंपने की जिम्मेदारी दी गई है। इसके तहत पटवारी को फील्ड कानून के माध्यम से भूमि के अतिक्रमण (HC land Encroachment decision) की जानकारी भेजनी होगी। कार्य निरीक्षकों को सार्वजनिक रास्तों और सड़कों पर कब्जे का विवरण जूनियर इंजीनियर के जरिए सहायक अभियंता को भेजने का आदेश दिया गया है। यह कदम भूमि और सार्वजनिक संपत्ति पर अवैध कब्जों की रोकथाम के लिए उठाया गया है।

कौन से माह होगी मामलों की रिपोर्ट जारी -

अदालत ने वन, प्रशासन और अभियंत्रण विभाग के प्रथम श्रेणी व द्वितीय श्रेणी के सहायक कलेक्टर अधिकारियों को आदेश दिया है कि वे हर साल जून और दिसंबर के अंतिम तीन दिनों में अवैध कब्जे (illegal land encraochment rule) से संबंधित मामलों की जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को सौंपें। इसमें नए मामलों की संख्या के साथ उन पर की गई कार्रवाइयाँ और पुराने लंबित मामलों की स्थिति का विवरण देना होगा। इस आदेश का उद्देश्य प्रशासनिक कार्यों को बेहतर बनाना और समस्याओं का समय पर समाधान सुनिश्चित करना है। अधिकारी इस रिपोर्ट को नियमित रूप से पेश करेंगे ताकि कार्यों का ठीक से मूल्यांकन किया जा सके।

अवैध निर्माण के लिए इनको ठहराया जिम्मेदार -

उच्च न्यायालय ने ग्राम पंचायत के कर्मचारियों को अवैध निर्माण के लिए जिम्मेदार ठहराया है। इन अधिकारियों को अपने इलाके में होने वाले अतिक्रमण की जानकारी संबंधित प्रभागीय वनाधिकारी, सहायक कलेक्टर प्रथम श्रेणी व सहायक कलेक्टर द्वितीय श्रेणी के अधिकारियों को लिखित रूप में देनी होगी। रिपोर्ट में यह भी सुनिश्चित करना होगा कि सूचना के दस्तावेजों की प्रति उचित पेज नंबर के साथ संबंधित अधिकारियों तक पहुंचे। यह आदेश पंचायत सचिवों और अन्य पदाधिकारियों के लिए है, ताकि वे अतिक्रमण (illegal land encroachment HC rule) से जुड़ी घटनाओं पर कड़ी नजर रखें और कार्रवाई सुनिश्चित करें।

नहीं दिए जाएंगे पानी और बिजली के कनेक्शन -

पंचायत के अधिकारियों को अवैध निर्माणों के खिलाफ जिम्मेदारी दी जा सके और किसी भी उल्लंघन पर दंड का प्रावधान हो सके। इसके लिए कोर्ट ने सरकार को कानून में जरूरी बदलाव करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही, राज्य बिजली बोर्ड (electricity board decision) और जल शक्ति विभाग को निर्देश दिए गए हैं कि वे सरकारी भूमि पर बने अवैध निर्माणों को पानी और बिजली के कनेक्शन देने से रोकें, चाहे वे अस्थायी हों या साधारण निर्माण। यह कदम अतिक्रमण को रोकने और नियमों का पालन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाया गया है।

कोर्ट के आदेश का उद्देश्य -

कोर्ट ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि अवैध निर्माणों को कनेक्शन दिए गए पानी और बिजली के स्रोत को एक महीने के भीतर काटने की प्रक्रिया शुरू की जाए। इसके साथ ही, उन लोगों से अवैध रूप से उपयोग की गई भूमि पर पेड़ काटने, फसल उगाने और बागवानी करने से हुए लाभ की वसूली की कार्रवाई करने के आदेश भी दिए गए हैं। यह आदेश संबंधित विभागों को दिए गए हैं ताकि उन अवैध कार्यों के कारण हुई संपत्ति की हानि का उचित मुआवजा लिया जा सके। इसके अलावा, कोर्ट ने यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दिए कि अतिक्रमणकारी भूमि (HC decision on Illegal land encroachment) पर अपने कब्जे को छोड़ने के बाद वहां बिना अनुमति के न लौट सकें। यह कदम अवैध कब्जे और भूमि के अनधिकृत उपयोग पर सख्त नियंत्रण स्थापित करने के उद्देश्य से उठाया गया है।