high court decisions : सरकारी कर्मचारियों के तबादले के मामले में हाईकोर्ट ने दिया बड़ा फैसला
employee's transfer rules : सरकारी कर्मचारियों को नौकरी के दौरान कई बार तबादला करते हुए इधर से उधर किया जाता है। इसके लिए कई तरह के नियम व प्रावधान (Eployees transfer policy) होते हैं जो सर्विस रूल्स के तहत आते हैं। अब हाईकोर्ट ने सरकारी कर्मचारियों की बदली को लेकर अहम फैसला सुनाया है, जो हर सरकारी कर्मचारी के लिए जानना जरूरी है।

HR Breaking News : (transfer rules)अधिकतर सरकारी कर्मचारी अपनी नौकरी के दौरान घर के पास ही बने रहना चाहते हैं। जब उन्हें तबादला (employee's transfer rules) होने के बाद घर से दूर जाना पड़ता है तो विरोध भी करते हैं। ऐसे में कई कर्मचारियों के साथ तबादले को लेकर कई तरह की समस्याएं भी बनी रहती हैं। हाईकोर्ट ने अब सरकारी कर्मचारियों के तबादले (transfer policy in rajasthan) को लेकर ऐतिहासिक निर्णय सुनाया है, जो हर सरकारी कर्मचारी के लिए जानना जरूरी है। कोर्ट का यह फैसला कर्मचारियों और सरकार के तालमेल को भी दर्शाता है। आइये जानते हैं क्या कहा है हाई कोर्ट ने इस फैसले में।
हाई कोर्ट ने लिया यह निर्णय -
सरकारी कर्मचारियों की बदली को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) ने कहा है कि किसी भी सरकारी कर्मचारी का तबादला सक्षम अधिकारी की ओर से नियमानुसार किया जा सकता है। लंबे समय तक एक ही जगह और पद पर बने रहने का अधिकार किसी कर्मचारी (employees news) को नहीं होता है। अगर तबादला करने में नियमों का उल्लंघन किया गया है तो बात अलग है, नहीं तो सक्षम अधिकारी की ओर से किए गए तबादले की जगह कर्मचारी को जाना होगा।
याचिकाओं को किया खारिज-
हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि तबादला (transfer rules in Rajasthan) प्रशासनिक तौर पर लिया गया निर्णय होता है, जो जनता की भलाई के लिए लिया जाता है, ऐसे में कोर्ट को तो इसमें दखल भी नहीं देना चाहिए। राज्य सरकार या सक्षम अधिकारी के तबादला आदेश (rules for employees transfer) में कोर्ट के दखल से जनहित के काम प्रभावित होंगे और शासन व्यवस्था भी प्रभावित होगी। जब तक तबादले में नियमों का उल्लंघन नहीं होता, कोर्ट को दखल नहीं देना चाहिए। हाईकोर्ट ने यह फैसला (HC decision for transfer) सुनाते हुए राजस्थान कृषि अनुसंधान संस्थान के असिस्टेंट प्रोफेसरों की ओर से तबादला आदेश के खिलाफ लगाई गई याचिकाओं को न मानते हुए सिरे से खारिज कर दिया।
कर्मचारियों पर हो सकती है कार्रवाई-
हाई कोर्ट ने इस मामले में याचिकाकर्ताओं को तबादले के बाद नई जगह पर कार्य ग्रहण करने के आदेश (high court transfer orders) दिए हैं। अगर कर्मचारी ऐसा नहीं करते हैं तो कृषि विश्वविद्यालय प्रशासन उनके खिलाफ जरूरी कदम उठाते हुए कार्रवाई कर सकता है। कोर्ट की एकलपीठ ने ये आदेश असिस्टेंट प्रोफेसरों की याचिकाओं पर दिए हैं।
इन आदेशों के साथ ही कोर्ट ने कहा है कि कृषि विश्वविद्यालय स्वायत्तशासी संस्था है। इस विवि के कर्मचारी राज्य सरकार (rajasthan government) के कर्मचारियों से अलग कैटेगरी में हैं। इन कर्मचारियों के वित्त मामलों में राज्य सरकार की सीमित भूमिका ही है। इस स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार की ओर से दिए गए तबादला (assistant professors transfer case) आदेश इन कर्मचारियों पर लागू नहीं होते।
यह अपील की थी याचिकाकर्ताओं ने-
याचिकाकताओं की ओर से याचिका में अपील करते हुए कहा गया था कि वे राजस्थान के दुर्गापुर में स्थित कृषि अनुसंधान संस्थान (Rajasthan Agricultural Research Institute) में कीट विज्ञान के सहायक प्रोफेसर पद पर 2020 से कार्यरत हैं। साल 2023 में राजस्थान सरकार ने तबादलों को लेकर अधिसूचना जारी की थी। इसमें कहा गया था कि सभी विभागों, निगमों और स्वायत्तशासी संस्थाओं के कर्मचारियों का तबादला (Rajasthan employees transfer case) फिलहाल नहीं किया जाएगा। यह अधिसूचना तबादलों पर रोक को लेकर थी। इसके बावजूद उनका ट्रांसफर किया जा रहा है।
राज्य सरकार ने की थी अधिसूचना जारी-
याचिकाकर्ताओं ने यह भी तर्क दिया कि नियम (transfer rules in rajasthan) के अनुसार पांच साल की नौकरी होने तक ऐसा नहीं किया जा सकता। इस मामले में कृषि विश्वविद्यालय के अधिवक्ता हिमांशु ने कहा कि विवि एक स्वायत्तशासी संस्था है और वह तबादले को लेकर निर्णय ले सकती है। इस बारे में राजस्थान सरकार (rajasthan govt employees news) पत्र जारी करके बता चुकी है कि तबादलों पर रोक का आदेश राज्य सरकार के कर्मचारियों पर लागू होगा।
इन आदेशों के दायरे में विवि के कर्मचारी नहीं आएंगे। उन्होंने यह भी बताया कि याचिकाकर्ता विवि में करीब 30 साल के लंबे समय से काम कर रहे हैं। विवि के वीसी उनका तबादला (university staff transfer rules) करने का अधिकार रखते हैं। इस मामले में कोर्ट ने दोनों पक्षों की बात पर सुनवाई करने के बाद याचिकाओं को न मानते हुए इन्हें खारिज कर दिया। कर्मचारियों में इस फैसले से रोष बना हुआ है।