High Court : बीवी के नाम खरीदी गई प्रोपर्टी का कौन होगा मालिक, हाईकोर्ट ने कर दिया क्लियर
Property Rights - अक्सर संपत्ति में बंटवारे और मालिकाना हक को लेकर लड़ाई-झगड़े के मामले आए दिन सामने आते रहते हैं। कई मामलों में देखा गया है कि लोग अपने कमाई से परिवार के किसी सदस्तय या अपनी पत्नी के नाम पर प्रॉपर्टी खरीद लेते हैं। लेकिन अब सवाल उठता है कि पत्नी के नाम पर खरीदी गई प्रॉपर्टी का मालिकाना हक किसे मिलेगा। इस संबंध हाईकोर्ट (High Court Decision) ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। चलिए जानते हैं-

HR Breaking News (ब्यूरो)। हाई कोर्ट ने कहा है कि एक व्यक्ति को कानूनन अधिकार है कि वह अपनी आय के ज्ञात स्रोतों से अपने पत्नी के नाम पर अचल संपत्ति खरीद सके। इस तरह खरीदी गई प्रॉपर्टी को बेनामी नहीं कहा जा सकता। हाई कोर्ट ने कहा कि ऐसी संपत्ति का मालिक वही कहलाएगा, जिसने उसे अपनी आय के ज्ञात स्रोतों से खरीदा, न कि जिसके नाम पर वह खरीदी गई।
बैंक अकाउंट में मिनिमम बैलेंस रखने को लेकर RBI ने बनाए नए नियम, 1 तारीख से होंगे लागू
जस्टिस वाल्मीकि जे. मेहता की बेंच ने एक व्यक्ति की अपील मंजूर करते हुए यह टिप्पणी की और ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को निरस्त कर दिया जिसके तहत इस व्यक्ति से उन दो संपत्तियों पर हक जताने का अधिकार छीन लिया गया था, जो उसने अपनी पत्नी के नाम पर खरीदी थीं। इस व्यक्ति की मांग थी उसे इन दो संपत्तियों का मालिकाना हक दिया जाए, जो उसने अपनी आय के ज्ञात स्रोतों से खरीदी। इनमें से एक न्यू मोती नगर और दूसरी गुड़गांव के सेक्टर-56 में बताई गई।
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि इन दो संपत्तियों का असली मालिक वह है, न कि उनकी पत्नी जिसके नाम पर उसने यह संपत्ति खरीदी। लेकिन ट्रायल कोर्ट ने बेनामी ट्रांजैक्शन (प्रोहिबिशन) ऐक्ट, 1988 के उस प्रावधान के आधार पर याचिकाकर्ता के इस अधिकार को जब्त कर लिया, जिसके तहत संपत्ति रिकवर करने के अधिकार पर प्रतिबंध है। हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के संबंधित आदेश को रद्द करते हुए कहा कि निचली अदालत ने इस व्यक्ति की याचिका को शुरुआत में ही ठुकरा कर गलती कर दी। क्योंकि संबंधित आदेश जब पारित किया गया तब प्रोहिबिशन ऑफ बेनामी प्रॉपर्टी ट्रांजैक्शन ऐक्ट, 1988 संशोधन के साथ लागू था।
कोर्ट ने कहा कि इस संशोधित कानून में साफ तौर पर बताया गया है कि बेनामी ट्रांजैक्शन क्या है और ऐसे कौन से लेनेदेन है जो बेनामी नहीं हैं। हाई कोर्ट ने कहा, मौजूदा मामले में प्रॉपर्टी का पत्नी के नाम पर होना इस कानून के तहत दिए गए अपवाद में आता है। क्योंकि एक व्यक्ति को कानूनन इस बात की इजाजत है कि वह अपने आय के ज्ञात स्रोतों से अपने स्पाउज के नाम पर अचल संपत्ति खरीद सके और जिन परिस्थितियों में यहां संपत्ति खरीदी गई, इससे खरीदी गई प्रॉपर्टी बेनामी नहीं है, बल्कि मालिक यानी पति यानी याचिकाकर्ता की है, पत्नी की नहीं जिसके नाम पर वह संपत्ति खरीदी गई। लिहाजा, ट्रायल कोर्ट का संबंधित आदेश अवैध है।
जारी हुए 500 रूपए के नए नोट, Mahatma Gandhi की जगह छपी है इनकी तस्वीर, जानिये क्या है इसकी सच्चाई
मामले को दोबारा से विचार के लिए ट्रायल कोर्ट के पास भिजवाते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को संशोधित कानून के तहत छूट मिलने का अधिकार है या नहीं, यह तथ्यों की जांच का मुद्दा है जो ट्रायल से ही तय होगा। ऐसे केस को शुरुआत में ही खारिज नहीं किया जा सकता।