Income Tax : सुप्रीम कोर्ट के फैसले से टैक्सपेयर्स को बड़ी राहत, अब नहीं चलेगी इनकम टैक्स विभाग की मनमानी
Income tax rules : करदाताओं के लिए इनकम टैक्स विभाग की ओर से कई नियम तय किए गए हैं। इनके अनुसार करदाताओं को टैक्स भुगतान व आइटीआर (income tax return) जैसे जरूरी कार्यों को पूरा करना होता है। कई बार करदाताओं को विभाग की मनमानी का भी सामना करना पड़ जाता है। अब सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है, जिससे करदाताओं को तो राहत मिलेगी ही, साथ ही आयकर विभाग (Income Tax Department ) की मनमानी पर भी रोक लगेगी।

HR Breaking News : (IT Rules)। आयकर विभाग पर कर व्यवस्था को बनाए रखने की जिम्मेदारी है। इसके साथ ही कर चोरी रोकने के लिए बनाए गए नियमों (income tax new rules) का पालन सुनिश्चित कराना भी इनकम टैक्स विभाग का ही काम है। कई बार टैक्स के मामलों में विभाग अतिरिक्त दबाव टैक्सपेयर्स पर बनाने लगता है।
इस तरह की स्थिति में आयकर विभाग की कार्रवाई पर ही सवाल भी उठने लगते हैं। इस तरह की मनमानी अब नहीं चलेगी, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट (Supreme court on Income Tax Act) ने इसे लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट का यह फैसला करोड़ों टैक्सपेयर्स के लिए राहतभरा तो है ही, चारों ओर इसकी चर्चाएं भी हो रही हैं।
आयकर विभाग की मनमानी पर लगेगी लगाम-
टैक्स के मामले फिर से खोलने पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की है। इस मामले में हाईकोर्ट के फैसले को यथावत रखते हुए उस पर सहमति जताई है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) की दो जजों की पीठ ने निर्णय देते हुए इस मामले में कहा कि री असेसमेंट से टैक्सपेयर्स को परेशानी होती है। जिन मामलों में इनकम टैक्स की धारा 153ए (IT act 153a) के तहत असेसमेंट हो चुका है, उनको इनकम टैक्स विभाग फिर से नहीं खोल सकता। अगर तलाशी के दौरान ठोस सुबूत हाथ लगते हैं तो री असेसमेंट (reassessment rules) का अधिकार विभाग को रहेगा।
विभाग के पास रहेगा यह विकल्प-
करदाताओं (taxpayers news) को सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से काफी राहत मिलेगी और आयकर विभाग की मनमानी भी रुकेगी। इस फैसले से यह भी स्पष्ट होता है कि आयकर विभाग के हाथ रीअसेसमेंट के मामले में पूरी तरह से बंधे नहीं हैं। उसके पास विकल्प है कि ठोस सुबूत मिलने पर आयकर विभाग (income tax department) चोरी के केस को फिर से रीऑपन कर सकता है।
इनकम टैक्स एक्ट में यह है प्रावधान -
आयकर विभाग कानूनी धाराओं के अनुसार (Income Tax Act) कार्रवाई करता है। इनकम टैक्स एक्ट की धारा 153ए में प्रावधान है कि जिस टैक्सपेयर की किसी संदेह के दौरान तलाशी ली जाती है, उसकी आय की प्रक्रिया को इस दौरान बताया जाता है। इस धारा के अनुसार किसी की अघोषित इनकम को टैक्स (tax and reassessment rules) के दायरे में लाने का प्रावधान है। धारा 147 और 148 के अनुसार ऐसे मामले को फिर से खोला जा सकता है। तलाशी में ठोस सुबूत न मिलने पर न तो मामले को फिर से खोला जा सकता है और न ही करदाता की आय को बढ़ाया जा सकता है।