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Income Tax : लाखों टैक्सपेयर्स को हाईकोर्ट ने कर दिया खुश, अब नहीं खुलेंगे इतने पुराने मामले

Income Tax Update :टैक्सपेयर्स के लिए हाईकोर्ट ने बड़ी राहत देते हुए अहम फैसला सुनाया है। अक्सर इनकम टैक्स से जुड़े कई मामलों में लंबे समय बाद इनकम टैक्स विभाग की ओर से एक्शन लिया जाता है। यह अचानक करदाताओं (taxpayers news) के लिए परेशानी भरा था, लेकिन अब उन्हें पुराने मामलों को लेकर कोई चिंता नहीं सताएगी। हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि एक निश्चित सीमा के बाद पुराने मामलों को ऑपन नहीं किया जा सकेगा।

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Income Tax : लाखों टैक्सपेयर्स को हाईकोर्ट ने कर दिया खुश, अब नहीं खुलेंगे इतने पुराने मामले

HR Breaking News - (Income tax rules)। जब भी इनकम टैक्स विभाग की ओर से कोई नोटिस आता है या कोई कार्रवाई की जाती है तो करदाता के लिए परेशानी खड़ी हो जाती है। खासकर इनकम टैक्स विभाग (income tax department) की ओर से रीऑपन किए गए पुराने मामलों में तो यह और भी समस्या का कारण होता है। कई साल के टैक्स के मामलों में करदाताओं के लिए कार्रवाई का सामना करना चुनौतीपूर्ण होता है। अब हाईकोर्ट ने अपना अहम फैसला देकर इस झंझट से टैक्सपेयर्स को राहत दी है। आइये जानते हैं विस्तार से इस बारे में।

 


यह कहा है कोर्ट ने अपने फैसले में-

 

कोर्ट के फैसले के अनुसार अब तीन साल से पुराने इनकम टैक्स (income tax news) के मामले में विभाग करदाताओं को किसी गलती के लिए नोटिस नहीं भेज सकेगा। कोर्ट ने आयकर विभाग को सचेत करते हुए आदेश दिया है कि 3 साल के लंबे समय के बाद करदाता को रीअसेसमेंट ऑर्डर (reassessment order rules) या नोटिस  देना उचित नहीं है। ये  तभी दिया जाना चाहिए जब  इनकम को विभाग से छुपाया गया हो और उसकी राशि 50 लाख रुपये से अधिक बनती हो। इस फैसले से टैक्सपेयर्स को बड़ी राहत मिली है।

कोर्ट के आदेशों से यह हुआ स्पष्ट-

दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) के आदेशों से यह साफ होता है कि अगर किसी की ओर से छुपाई गई इनकम 50 लाख  से ज्यादा न हो तो आयकर विभाग 3 साल से ज्यादा बीत जाने के बाद इनकम टैक्स से जुड़े मामले फिर से नहीं खोल सकता। हालांकि कोर्ट ने यह भी कहा है कि  इससे ज्यादा आय छुपाई गई हो और मामला गंभीर हो तो 10 साल तक विभाग करदाता को रीअसेसमेंट ऑर्डर (reassessment order) जारी कर सकता है।

रीअसेसमेंट ऑर्डर के लिए व्यवस्था-

अगर कोई मामला 10 साल पुराना है तो उसके लिए टैक्स रीअसेसमेंट ऑर्डर निकालने के लिए राशि का आकलन करना जरूरी है। अगर टैक्स चोरी (tax evasion punishment) की शंका है तो उस मामले में विभाग से छिपाई गई रकम 50 लाख से ज्यादा होनी चाहिए। 

रीअसेसमेंट नोटिस के लिए व्यवस्था- 

दिल्ली हाई कोर्ट की दो जजों की बेंच ने एक मामले की सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि किसी ऐसेसमेंट ईयर  (assessment year) के खत्म होने के तीन साल बाद नोटिस जारी नहीं किया जा सकता, हालांकि ऐसा कोर्ट ने सामान्य स्तर के मामलों के संदर्भ में कहा। गंभीर मामलों है तो विभाग को रीअसेसमेंट नोटिस (reassessment notice) 3 साल के बाद भी जारी करने का अधिकार है। इसके लिए इनकम टैक्स विभाग को यह तय करना होगा कि कर चोरी की मंशा से छुपाई गई आय की राशि 50 लाख रुपये से ज्यादा हो। इसके अलावा फ्रॉड के गंभीर मामले में भी विभाग रीअसेसमेंट नोटिस 3 साल बाद जारी कर सकता है।

कोर्ट ने कही यह बड़ी बात-


आयकर अधिनियम (income tax act) की कई धाराएं हैं। इनमें से धारा 148 को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि इस धारा के तहत याचिकाकर्ता को नोटिस दिया गया तो इसकी समय अवधि व वैधता को तय करना बेहद जरूरी था। धारा 148 (income tax act section 148) में पुरानी व्यवस्था दी गई है, जिसके अनुसार इनकम टैक्स विभाग की ओर से लंबी अवधि बीतने के बाद पुृराने मामलों को खोला जा सकता है। यह अवधि 6 साल और 10 साल की बताई गई है। हालांकि इसके लिए करदाता की वार्षिक आय 50 लाख रुपये से ज्यादा होनी जरूरी है।