IRCTC : एक ट्रेन की कितनी होती है कीमत, कोच से 10 गुना महंगा होता है इंजन, जानिये रेल निर्माण में कुल कितना आता है खर्च

HR Breaking News, Digital Desk - रेल को शुद्ध हिंदी में लोहपथगामिनीकहते हैं. इसका मतलब लोहा के पथ पर गमन करने वाली गाड़ी. दरअसल रेल के इंजन (railway engines) और उसके कोच के निर्माण में 80 फीसदी से ज्यादा स्टील का उपयोग किया जाता है. देशभर में भारतीय रेलवे की अलग-अलग फैक्ट्रियों में रेल कोच और इंजन का निर्माण किया जाता है.
एक AC कोच के निर्माण पर 3 करोड़ रुपये तक खर्च
ट्रेन के इंजन और कोच का निर्माण (Manufacture of train engines and coaches) एक लंबी व जटिल प्रक्रिया है. दोनों का निर्माण कई चरणों होता है. रेल के कोच को तैयार करने में स्टील और एल्युमीनियम दोनों का इस्तेमाल होता है. इसमें कोच का बाहरी हिस्सा स्टेनलेस स्टील से जबकि अंदर का हिस्सा एल्युमीनियम से बनाया जाता है.
रिपोर्ट के अनुसार, ट्रेन के एक AC कोच के निर्माण पर करीब 2.8 से 3 करोड़ रुपये खर्च होते हैं. स्लीपर कोच में सवा करोड़ और जनरल कोच बनाने में करीब 1 करोड़ रुपये का खर्च आता है.
इंजन समेत एक ट्रेन के निर्माण में 66 करोड़ का खर्च
एक सामान्य पैसेंजर ट्रेन में औसतन 24 डिब्बे होते हैं. इनमें एसी फर्स्ट से एसी थर्ड, स्लीपर क्लास और सेकंड क्लास के कोच शामिल हैं. एक अनुमान के अनुसार, इंजन समेत एक ट्रेन को तैयार करने में करीब 66 करोड़ रुपये का खर्च आता है.
एक रिपोर्ट के अनुसार, डुअल मोड लोकोमोटिव इंजन को बनाने में 18 करोड़ रुपये का खर्च आता है, जबकि 4500 हॉर्सपावर के डीजल लोकोमोटिव इंजन पर 13 करोड़ रुपये खर्च होते हैं.
बता दें कि भारत में रेलमार्ग की कुल लंबाई करीब सवा लाख किलोमीटर है. इसके अलावा, कॉमर्स मिनिस्ट्री के ट्रस्ट इंडिया ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन की रिपोर्ट के अनुसार, देश में रोजाना 22,593 ट्रेनें संचालित होती हैं. इनमें 13,452 यात्री ट्रेनें हैं. अब जरा सोचिये इस रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर को खड़ा करने में कितना पैसा खर्च हुआ होगा.