NHAI Rule : टोल प्लाजा पर कितनी लंबी लाइन होने पर नहीं देना पड़ता टोल टैक्स, जानिए NHAI की गाइडलाइन

HR Breaking News, Digital Desk- देश में नए हाईवे (highway) और एक्सप्रेसवे (expressway) के निर्माण के साथ टोल टैक्स भी बढ़ रहा है, लेकिन एक ऐसी स्थिति है जब आपको टोल का भुगतान नहीं करना पड़ेगा. NHAI (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) के एक पुराने ट्वीट के अनुसार, यदि टोल बूथ पर वाहनों की कतार 100 मीटर से अधिक लंबी हो जाती है, तो गाड़ियों को बिना किसी भुगतान के आगे जाने दिया जाएगा. यह नियम इसलिए है ताकि टोल बूथ पर लगने वाली लंबी कतारों को कम किया जा सके और यातायात सुचारू रूप से चलता रहे.
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने 2021 में घोषणा की थी कि टोल प्लाजा पर प्रति वाहन अधिकतम 10 सेकंड का भुगतान समय लगेगा. इसके अलावा, पीक आवर्स (peak hours) के दौरान भी, टोल बूथ से 100 मीटर से अधिक लंबी वाहनों की कतार नहीं हो सकती है. इस नियम को लागू करने के लिए, प्रत्येक टोल लेन में बूथ से 100 मीटर की दूरी पर एक पीली रेखा खींची गई है. यदि वाहनों की कतार इस पीली रेखा को पार कर जाती है, तो टोल लेन को अस्थायी रूप से टोल-फ्री (toll free) कर दिया जाएगा. जैसे ही कतार 100 मीटर के भीतर वापस आती है, टोल टैक्स फिर से वसूला जाने लगेगा.
क्या है 60 किलोमीटर रूल-
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (Ministry of Road Transport and Highways) का कहना है कि फी रूल 2008 के अनुसार, किसी भी हाईवे पर 2 टोल प्लाजा के बीच का अंतर 60 किलोमीटर होना ही चाहिए. इसकी पुष्टि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी की है. उन्होंने कहा था कि उनका लक्ष्य है कि 60 किलोमीटर के अंदर हाईवे पर एक ही टोल प्लाजा रहे. फिलहाल इनके बीच का अंतर कम हो सकता है. इसके पीछे मंत्रालय ने यह तर्क दिया है कि कई बार जगह की कमी, ट्रैफिक, कंजेशन आदि के कारण 60 किलोमीटर के दायरे में 2 टोल प्लाजा हो सकते हैं.
टोल टैक्स और रोड टैक्स में अंतर-
रोड टैक्स (road tax) और टोल टैक्स (toll tax) में मुख्य अंतर है. रोड टैक्स वाहन चालक द्वारा आरटीओ (RTO) को दिया जाता है. यह पूरे राज्य की सड़कों के उपयोग के लिए होता है. वहीं, टोल टैक्स किसी खास सड़क जैसे हाईवे या एक्सप्रेसवे पर वसूला जाता है. यह पैसा राज्य सरकार को नहीं बल्कि हाईवे (Highway) बनाने वाली कंपनी या एनएचएआई (NHAI) को जाता है. यह उस विशेष सड़क के निर्माण और रखरखाव का खर्च वहन करने के लिए होता है.