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Nitin Gadkari : देश में 1,000 व्हीकल्स स्क्रैपिंग सेंटर्स और 400 ऑटोमेटेड फिटनेस टेस्ट सेंटर्स की जरूरत

Automated Vehicle Fitness Test Centres : नितिन गडकरी ने बताया कि देश में 1,000 वाहन कबाड़ केंद्रों, यानी वीइकल स्क्रैप फैसिलिटी और 400 ऑटोमैटिक फिटनेस टेस्ट सेंटर की जरूरत है। वाहनों की उपयोगिता अवधि प्रमाणपत्र जमा करने वाले प्लैटफॉर्म डिजीईएलवी की शुरुआत करते हुए गडकरी ने बताया कि भारत वाहनों का कबाड़ में बदलने का केंद्र बन सकता है।
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Nitin Gadkari : देश में 1,000 व्हीकल्स स्क्रैपिंग सेंटर्स और 400 ऑटोमेटेड फिटनेस टेस्ट सेंटर्स की जरूरत

HR Breaking News, Digital Desk - केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने कहा कि देश में 1,000 व्हीकल्स स्क्रैपिंग सेंटर्स और 400 ऑटोमेटेड फिटनेस टेस्ट सेंटर्स की जरूरत है. गडकरी ने 'डिजीईएलवी' की शुरुआत करते हुए कहा कि सड़क परिवहन मंत्रालय ने अब तक देश भर में 85 वाहन कबाड़ केंद्रों को मंजूरी दी है. उन्होंने कहा, "हमें देशभर में वाहनों को कबाड़ में बदलने वाले 1,000 केंद्रों और कम-से-कम 400 स्वचालित वाहन फिटनेस जांच केंद्रों की जरूरत है."

बता दें कि डिजीईएलवी (DigiELV) एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जहां आप पुराने व्हीकल का 'सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट'बेच सकता है. 'सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट' उस समय जारी किया जाता है जब कोई कार मालिक आरवीएसएफ में अपने व्हीकल को कबाड़ में बदलने के लिए जमा करता है.


गडकरी ने राष्ट्रीय वाहन कबाड़ नीति को सभी संबद्ध पक्षों के लिए फायदेमंद बताते हुए कहा कि भारत दक्षिण एशिया में वाहनों का कबाड़ में बदलने का केंद्र बन सकता है. गडकरी ने कहा, "संसाधनों के अनुकूलतम उपयोग वाली (सर्कुलर) अर्थव्यवस्था बेहद अहम है और इससे देश में नौकरियां पैदा होने जा रही हैं."


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगस्त 2021 में राष्ट्रीय वाहन कबाड़ नीति (National Vehicle Scrappage Policy) जारी करते हुए कहा था कि इससे खस्ताहाल और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को चरणबद्ध ढंग से हटाने में मदद मिलेगी और एक ‘सर्कुलर’ अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा.

इस नीति के तहत केंद्र ने कहा था कि राज्य और केंद्रशासित प्रदेश पुराने वाहनों को कबाड़ में बदलने के बाद खरीदे जाने वाले नए वाहनों को रोड टैक्स पर 25 प्रतिशत तक टैक्स छूट देंगे. वाहन कबाड़ नीति 1 अप्रैल, 2022 से लागू हो गई है.

वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में घोषित कबाड़ नीति के मुताबिक, निजी वाहनों की 20 साल के बाद फिटनेस जांच की जाती है जबकि वाणिज्यिक वाहनों को 15 साल पूरे होने के बाद इसकी जरूरत पड़ेगी.