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Property News : केवल रजिस्ट्री नही, जमीन के मालिकाना हक के लिए ये डॉक्यूमेंट है बेहद जरूरी, खरीदने से पहले जान लें

Property Documents :भारत में अकसर प्रोपर्टी के विवाद के मामले सामने आते रहते है ऐसा इसलिए भी होता है क्योंकि भारत में पगोपर्टी के नियमों को लेकर जानकारी का अभाव होता है। प्रापर्टी से जुड़े नियम कहते हैं किसी जमीन की सिर्फ अपने नाम से रजिस्ट्री करा लेने से ही उसका मालिकाना हक नहीं मिल जाता। आइए जान लें इसके लिए कौन सा डॉक्यूमेंट है जरूरी...
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HR Breaking News, Digital Desk : घर बनाना एक सपने के साथ ही एक जिम्मेदारी भरा कार्य होता है। एक छोटी सी लापरवाही आपको महंगी पड़ सकती है। मकान, दुकान या जमीन जैसी अचल संपत्ति पर मालिकाना हक (ownership of property) साबित करने के लिए रजिस्ट्री एक बेहद महत्वपूर्ण दस्तावेज है। लेकिन केवल इसी के दम पर खरीदार को संपत्ति का मालिकाना हक मिल जाए, ऐसा भी नहीं होता। इसके लिए आपको एक और दस्तावेज (property documents) की जरूरत पड़ती है।

 

 


हर व्यक्ति ये जरूरी बात जानता है कि जमीन के कार्यो में रजिस्ट्री कराना कितना महत्वपूर्ण कार्य है। रजिस्ट्री भले ही घर-जमीन के संबंध में बुहत महत्वपूर्ण दस्तावेज हो लेकिन यह आपको प्रॉपर्टी पर मालिकाना हक दिलाना सुनिश्चित नहीं करता। अक्सर लोग रजिस्ट्री कराने के बाद निश्चिंत हो जाते हैं। वह प्रॉपर्टी खरीदते समय भी सबसे ज्यादा फोकस रजिस्ट्री के कागजों (registry papers) पर ही रखते हैं। हालांकि, म्यूटेशन  (mutation) कराना भी उतना ही जरूरी है जितना रजिस्ट्री। म्यूटेशन का मतलब नामांतरण है।

अगर आपको लगता है कि  रजिस्ट्री करा लेने भर से ही प्रॉपर्टी आपकी हो जाएगी तो आप गलतफहमी में हैं। भविष्य में किसी भी तरह की परेशानी से बचने के लिए जरूरी है कि आप उसका नामंतरण यानी म्यूटेशन जरूर चेक कर लें। आपको ये भी पता होना चाहिए कि केवल सेल डीड से नामांतरण नहीं हो जाता है।


बिना नामांतरण के संपत्ति नहीं हो सकती आपके नाम


आपकी कन्फयूजन दूर करने के लिए बता दें कि सेल डीड और नामांतरण (Sale Deed and Transfer) दो अलग-अलग चीजें हैं। आमतौर पर लोग सेल और नामांतरण को एक ही समझ लेते हैं। ऐसा समझा जाता है कि रजिस्ट्री करवा ली और संपत्ति अपने नाम हो गई जबकि यह ठीक नहीं है। किसी भी संपत्ति का जब तक नामांतरण नहीं किया जाता है तब तक कोई भी व्यक्ति अपनी नहीं मान सकता भले ही उसने रजिस्ट्री करवा ली हो। फिर भी संपत्ति उसकी नहीं मानी जाती क्योंकि नामांतरण तो किसी दूसरे व्यक्ति के पास होता है।


कैसे करवाएं नामांतरण


अगर आपको इस बात की जानकारी नही है तो हम बता दें कि भारत में अचल संपत्ति (Immovable property) मुख्य रूप से तीन प्रकार की होती है। पहली खेती की जमीन, दूसरी आवासीय जमीन, तीसरी औद्योगिक जमीन इस जमीन के साथ मकान भी सम्मिलित हैं। इन तीनों ही प्रकार की जमीनों का नामांतरण अलग-अलग प्रकार से अलग-अलग स्थानों पर किया जाता है।


जब भी कभी किसी संपत्ति को सेल डीड (sale deed)  के माध्यम से खरीदा जाए या फिर किसी अन्य साधन से अर्जित किया जाए तब उस दस्तावेज के साथ संबंधित कार्यालय पर उपस्थित होकर संपत्ति का नामांतरण करवा लेना चाहिए।


जानिए कहां से मिलती है पूरी जानकारी


आपको ये बात पता होनी चाहिए कि जो जमीन खेती की जमीन के रूप में दर्ज होती है ऐसी जमीन का नामांतरण उस पटवारी हल्के के पटवारी द्वारा किया जाता है। आवासीय भूमि का नामांतरण कैसे किया जाए। आवासीय भूमि से संबंधित सभी दस्तावेजों का रिकॉर्ड उस क्षेत्र की नगर निगम, नगर पालिका, नगर परिषद या फिर गांव के मामले में ग्राम पंचायत के पास होता है। 


वहीं औद्योगिक जमीन का रिकॉर्ड औद्योगिक विकास केंद्र (Industrial Development Center) जो प्रत्येक जिले में होता है उसके समक्ष रखा जाता है ऐसे औद्योगिक विकास केंद्र में जाकर यह जांच करना चाहिए।