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Property ownership : पत्नी के नाम पर जमीन घर खरीदने वाले हो जाएं सावधान, प्रोपर्टी के मालिकाना हक को लेकर हाईकोर्ट ने दिया बड़ा फैसला

property rights : कानून में महिलाओं को कई तरह के प्रोपर्टी अधिकार दिए गए हैं। एक महिला का अपने पिता, ससुर व पति की प्रोपर्टी (Property Knowledge) में अधिकार को लेकर कई तरह के प्रावधान कानून में किए गए हैं। ऐसे में पत्नी के नाम पर प्रोपर्टी खरीदने वालों को सावधान होने की जरूरत है। हाईकोर्ट ने प्रोपर्टी पर पत्नी के मालिकाना हक (women's property rights) को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। आइये जानते हैं कोर्ट के इस फैसले के बारे में खबर में।

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Property ownership :  पत्नी के नाम पर जमीन घर खरीदने वाले हो जाएं सावधान, प्रोपर्टी के मालिकाना हक को लेकर हाईकोर्ट ने दिया बड़ा फैसला

HR Breaking News - (property knowledge)। आजकल कई लोग प्रोपर्टी खरीदकर अपनी पत्नी के नाम करा देते हैं। ऐसे मामलों में बाद में कई तरह के विवाद (Property disputes) भी हो जाते हैं। ऐसे ही एक मामले में हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। इस फैसले के अनुसार अब पत्नी के नाम पर प्रोपर्टी खरीदने वालों को सतर्क होने की जरूरत है। 

हाईकोर्ट ने इस फैसले से एक महिला व पत्नी के प्रोपर्टी अधिकारों (wife's property rights) को भी क्लियर कर दिया है। साथ ही यह भी स्पष्ट किया है कि पत्नी के नाम पर खरीदी गई प्रोपर्टी (property purchasing rules) में उसका कितना अधिकार होता है। कोर्ट के इस फैसले की हर तरफ चर्चाएं हैं।

यह कहा है दिल्ली हाईकोर्ट ने-

पति की ओर से पैसे लगाकर खरीदी गई प्रोपर्टी को पत्नी के नाम कराने पर उसका असली मालिक कौन होगा, इसे लेकर लोगों में कंफ्यूजन बनी रहती है। ऐसे ही एक मामले में दिल्ली हाईकोर्ट (delhi high court) ने कहा है कि एक पति को कानूनन अधिकार है कि वह अपनी आय के ज्ञात स्रोतों से पत्नी के नाम पर अचल संपत्ति खरीद सकता है। यह प्रॉपर्टी बेनामी संपत्ति (decision in benami property) में नहीं गिनी जाएगी। ऐसी संपत्ति का मालिक वही होगा, जिसने अपनी आय के ज्ञात स्रोतों से इसे खरीदा है।

यह था मामला-

हाईकोर्ट की एकल पीठ ने प्रोपर्टी (property news) से जुड़े एक मामले में निचली कोर्ट का आदेश  निरस्त कर दिया है। इसके साथ ही व्यक्ति की अपील मंजूर कर लिया है। इस मामले में निचली अदालत ने अपीलकर्ता को उन दो संपत्तियों पर हक जताने का अधिकार (property rights) नहीं दिया था, जो उसने अपनी पूंजी से पत्नी के नाम पर खरीदी थी। 

याचिकाकर्ता का दावा -

याचिकाकर्ता का दावा था कि उसकी दो प्रोपर्टी न्यू मोती नगर और गुड़गांव के सेक्टर-56 में हैं। उसे इन दो संपत्तियों का मालिकाना हक (property rights) दिलाया जाए। व्यक्ति ने दावा किया था कि ये प्रोपर्टी उसने अपनी आय के ज्ञात स्रोतों से खरीदी हैं। इसलिए इन संपत्तियों को असली मालिक (landlord's rights) वही है, न कि उसकी पत्नी। बकौल याचिकाकर्ता पत्नी के नाम पर तो केवल प्रोपर्टी को खरीदा गया था। 

निचली अदालत के फैसले पर की टिप्पणी-

इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने बेनामी प्रोहिबिशन एक्ट, 1988 (Benami Prohibition Act, 1988) के प्रावधान के तहत फैसला सुनाया था। इस प्रावधान में संपत्ति को रिकवर नहीं किया जा सकता। इस पर हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि निचली अदालत ने इस व्यक्ति की याचिका को न मानकर गलत किया है। 

इस पर हाईकोर्ट (HC decision on property) ने तर्क भी दिया है कि निचली अदालत ने प्रोहिबिशन ऑफ बेनामी प्रॉपर्टी ट्रांजैक्शन एक्ट, 1988 के बजाय इसके संशोधित प्रावधान पर गौर करना चाहिए था।

हाईकोर्ट ने बताया प्रोपर्टी पर पत्नी का अधिकार-

हाईकोर्ट ने इस मामले की तह तक जाने के बाद कहा कि बेनामी संपत्ति से संबिधित संशोधित कानून में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि बेनामी ट्रांजैक्शन (Anonymous Transaction) क्या है, इसमें यह भी बताया गया है कि कौन से लेनेदेन बेनामी संपत्ति में नहीं आते।

 

इस संशोधित प्रावधान के अनुसार अपने आय के ज्ञात स्रोतों से पति अपनी पत्नी के नाम पर प्रोपर्टी (wife's property rights) खरीद सकता है। इसलिए यह प्रॉपर्टी न तो बेनामी है और न ही इस पर पत्नी का मालिकाना हक (property ownership) है। यह कहते हुए ट्रायल कोर्ट के आदेश को हाईकोर्ट ने अवैध करार दे दिया। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने प्रोपर्टी पर मालिकाना हक पत्नी का नहीं बल्कि पति का बताया है।

फिर से ट्रायल कोर्ट करेगी विचार -

अब इस मामले में ट्रायल कोर्ट फिर से विचार करेगी, क्योंकि बेनामी संपत्ति के संशोधित कानून के अनुसार प्रोपर्टी (property rights) में व्यक्ति के अधिकारों व उसे खरीदने को लेकर छूट मिलने का अधिकार है या नहीं, यह तथ्यों की जांच में आता है। इसलिए यह सब ट्रायल कोर्ट से ही तय किया जाना है। दिल्ली हाईकोर्ट (delhi high court decision) ने कहा कि इस मामले को शुरुआती स्तर पर खारिज नहीं किया जा सकता, बल्कि इस पर पुनर्विचार करते हुए संशोधित कानूनी प्रावधान पर गौर करने की जरूरत है।

यह होती है बेनामी संपत्ति -

बेनामी संपत्ति (benami property) को अपनी पूंजी से किसी दूसरे के नाम पर खरीदा जाता है। इसे 'बेनामी लेनदेन' भी कहा जाता है। इसमें संपत्ति का मालिक वह होता है जो इस संपत्ति (property news) के लिए पैसों का भुगतान करता है। ऐसी संपत्ति पत्नी, बच्चों या किसी रिश्तेदार के नाम पर भी हो सकती है।

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