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Property Adhikar : पत्नी का अपने पति की प्रोपर्टी में कितना हिस्सा, जानिये ससुराल की संपत्ति में बहू का कितना हिस्सा

Property Rights : कानून में विभिन्न प्रकार की संपत्ति को लेकर पति और पत्नी के अधिकार तय किए गए हैं। अधिकतर लोग इस बात से अनजान होते हैं कि पत्नी का उसके पति की प्रोपर्टी में कितना हिस्सा (wife's property rights) होता है और ससुराल की संपत्ति पर उसके क्या अधिकार हैं। कानून में इन दोनों ही प्रकार की संपत्ति को लेकर प्रावधान किया गया है। आइये जानते हैं विस्तार से खबर में।

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Property Adhikar : पत्नी का अपने पति की प्रोपर्टी में कितना हिस्सा, जानिये ससुराल की संपत्ति में बहू का कितना हिस्सा

HR Breaking News (ब्यूरो)। अक्सर पति-पत्नी में विवाद होने की स्थिति में यह देखा जाता है कि पत्नी अपने पति व ससुराल की प्रोपर्टी में खुद का हक जताती है। लेकिन कई महिलाओं को इस बारे में यह ही नहीं पता होता कि कानूनी रूप से पति व ससुराल की संपत्ति (Property Right of Wife) पर उनका कितना अधिकार है और इसे लेकर वे दावा कर सकती हैं या नहीं। प्रोपर्टी पर अधिकारों की अज्ञानता भी विवादों के बढ़ने का एक प्रमुख कारण है। यहां पर आप जान सकते हैं कि एक पत्नी का पति व ससुराल की संपत्ति में कितना हक होता है।


पति की संपत्ति पर हक- 

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एक महिला का ससुराल की संपत्ति पर उतना अधिकार नहीं होता, जितना कि अपने पति की संपत्ति पर होता है। अगर पति की कोई निजी संपत्ति हो और उसने अपनी संपत्ति की वसीयत (bequest of property) किसी और के नाम न लिखी हो, तो उसकी मृत्यु के बाद उसके परिवार के करीबी सदस्य उसे प्राप्त करने के अधिकार रखते हैं।


 हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956  या भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम (Indian Succession Act) के अनुसार, पति के परिवार के सदस्य, जैसे कि पत्नी, बेटे या बेटी, को उसकी संपत्ति में हिस्सा मिल सकता है। इस हिसाब से, महिला का अपने पति की संपत्ति पर अधिकार होता है, लेकिन ससुराल की संपत्ति पर यह अधिकार (in laws property rights) अलग-अलग परिस्थितियों पर निर्भर करता है।


पति से अलग रहने की स्थिति में पत्नी का हक-

भारत में महिलाओं को अपने पति की संपत्ति पर अधिकार हिंदू विवाह अधिनियम (Hindu Marriage Act)और अन्य संबंधित कानूनों के तहत मिलता है। अगर पति-पत्नी साथ नहीं रहते हैं, तो महिला हिंदू विवाह अधिनियम के तहत पति से भत्ता (patni ke property par adhikar) मांग सकती है। 

इसके अलावा, घरेलू हिंसा अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की धारा 125 के तहत भी महिलाएं अपने पति से जीवनभर गुजारा भत्ता (alimony and mantinance rights)की मांग कर सकती हैं। इन कानूनों के माध्यम से महिलाएं आर्थिक सहायता प्राप्त कर सकती हैं, चाहे उनकी शादी टूट चुकी हो या वे घरेलू हिंसा का शिकार हुई हों।


बच्चों के अलावा पत्नी को कब मिलता है हक-

अगर किसी व्यक्ति, अगर पति की मृत्यु हो जाती है और उसने अपनी संपत्ति को लेकर कोई वसीयत नहीं बनाई है, तो उसकी संपत्ति कानूनी तौर पर प्रथम श्रेणी के उत्तराधिकारियों के बीच बराबर बांटी जाएगी । आपको बता दें की प्रथम श्रेणी के उत्तराधिकारियों में संपत्ति के मालिक की पत्नी और उसके बच्चे होते हैं। जिसका मतलब है कि पति की संपत्ति को पत्नी, बेटे और बेटी के बीच समान रूप से बांटी जाएगी। हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 (Hindu Succession Act 1956) के अनुसार, इस प्रकार की स्थिति में सभी उत्तराधिकारियों को समान अधिकार मिलता है।

यह है कानून में प्रावधान -


भारत में कानूनन पत्नी का पति की प्रॉपर्टी पर हक (Property Rights In Law) तो होता है, लेकिन ऐसा कोई जरूरी नहीं है कि पति के पास जो प्रॉपर्टी है, वह सारी ही पत्नी की हो। पति की स्वअर्जित प्रोपर्टी (self acquired property) व पैतृक संपत्ति पर अधिकार नहीं जता सकती और वसीयत लिखी प्रोपर्टी से भी पत्नी वंचित रहेगी।

ससुराल की पैतृक संपत्ति पर हक का प्रावधान-

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कानूनी रूप से पत्नी का ससुराल की पैतृक संपत्ति (ancestral property) पर अपना अधिकार होने का कोई दावा नहीं कर सकती। क्योंकि उस संपत्ति का पति का हक रहता है। महिला को ससुराल की पैतृक संपत्ति पर तब अधिकार मिल सकता है जब उसके पति की मृत्यु हो जाती है। 
हालांकि उस स्थिति में भी पत्नी को केवल उतना ही हिस्सा मिलता है, जितना उसके पति का बनता था। अगर पति के निधन के बाद सास-ससुर ने संपत्ति की वसीयत किसी अन्य के नाम कर दी हो तो पत्नी को संपत्ति पर अधिकार (ancestral property rights) से वंचित हो जाती है।