Property Rights : प्रॉपर्टी पर 12 साल कब्जा करने के बाद भी नहीं मिलेगा मालिकाना हक, जान लें ये कानून

HR Breaking News - (Property Rights)। जमीनी विवाद एक गंभीर समस्या है और आज के समय में जमीनी विवाद के कई मामले सामने आते हैं। अक्सर लोग अपनी जमीन या घर से बेदखली या कब्जे का सामना करते हैं। कई बार लोग बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के जहां वह रहते हैं, उस जमीन पर कब्जा कर लेते हैं, ऐसा करने से पीड़ितों को कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ती है। हालांकि ऐसे मामलो के लिए, सुप्रीम कोर्ट ने एक (Property Knowledge) महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। इस फैसले के तहत बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के किसी व्यक्तति को अपनी जमीन से बेदखल नहीं किया जा सकता है।
जानिए क्या था कब्जे की जमीन का ब्यौरा-
मामले की बात करें तो एक व्यक्ति ने साल 1966 में एक जागीरदार से जमीन को खरीदा था और वह जमीन एक जगह नहीं बल्कि अलग-अलग कई जगह थी। बात जब मालिकाना हक की आई तो पता चला कि उस जमीन पर एक व्यक्ति का कब्जा है। हालांकि उसके पास जमीन के कोई कानूनी दस्तावेज (legal documents of land) नहीं थे। इसके बाद व्यक्ति ने अपनी ही जमीन पर कब्जा पाने के लिए कोर्ट में केस दायर किया। मामले के तहत ट्रायल कोर्ट (Trial Court Decision) ने व्यक्ति के पक्ष में फैसला सुनाया और दूसरे व्यक्ति को घर खाली करने का आदेश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला-
कब्जाधारी की दलील के अनुसार उस जमीन पर वह 12 साल से ज्यादा समय के लिए रह रहे हैं। इसी के चलते एक्ट की धारा 64 के अनुसरा अगर किसी जमीन पर 12 साल से ज़्यादा समय से कब्ज़ा है, तो व्यक्ति उस जमीन को खाली नहीं करा सकता है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कब्जाधारी की इस दलील को खारिज कर दिया हैं।
कोर्ट (SC decision on illegal property) का कहना है कि यह नियम उन मामलों में लागू होता हैं जिस जमीन का कोई मालिक नहीं होता। लेकिन अगर कोई जमीन पर कोई मालिक हो तो उसके पास उस जमीन का टाइटल (land title) होना बेहद जरूरी है,, जिसके तहत वह 12 साल बाद भी बलपूर्वक अपनी जमीन को खाली करा सकता है।
जानिए क्या कहता है कानून-
आपको कानूनी प्रक्रियाओं का सहारा लेकर इन विवादो से बच सकते हैं। यानी की अगर किसी ने आपकी जमीन या घर पर कब्जा कर लिया है, तो आपको उन्हें कानूनी तौर पर (take possession without court case) बेदखल करने के लिए कोर्ट जाना होगा।
सुप्रीम कोर्ट का के इस फैसले से बेदखली के मामलों में कानूनी प्रक्रिया को मजबूत मिलेगी और इसके साथ ही पीड़ितों को न्याय दिलाने में मदद मिलती है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के तहत कोई भी व्यक्ति किसी दूसरे की संपत्ति पर गैरकानूनी तरीके से कब्जा (illegal occupation of property) नहीं कर सकता है।
होती है संपत्ति के अधिकारों की सुरक्षा -
संपत्ति के अधिकारों (Property rights)और कब्जे से जुड़े कानूनी मामले बेहद जरूरी होते हैं। इससे लोगों को अपने हक के बारे में जानकारी होती है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के इस फैसले के अनुसार, यह कानून के शासन और संपत्ति के अधिकारों की सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी है।
इस फैसले से यह भी पता चलता है कि पीड़ित पक्ष (property possession Law) बलपूर्वक कब्जा खाली करा सकता है, लेकिन इसके लिए यह शर्त होना अनिवार्य है कि वह संपत्ति का मालिक हो और उसके पास उसका टाइटल होना बेहद जरूरी हैं। इस फैसले से कानूनी प्रक्रियाओं और संपत्ति के अधिकारों के संरक्षण (Protection of property rights) में मदद मिलती है।
गैरकानूनी कब्जे को लेकर प्रावधान-
आप कानून का सहारा लेकर प्रॉपर्टी से गैरकानूनी कब्जे (illegal occupation of property) को हटवा सकते हैं। प्रोपर्टी से गैर कानूनी कब्जे को हटाने के लिए स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट की धारा (Section of Specific Relief Act) 5 में प्रावधान है। जिससे व्यक्ति का मालिकाना हक बना रहता है। हालांकि, प्रॉपर्टी विवाद में सबसे पहले स्टे लेना अनिवाय है। ये इसलिए जरूरी है ताकि कब्ज़ा करने वाला व्यक्ति (Specific Relief Act 1963) उस प्रॉपर्टी को न तो बेच सकें और न ही उस पर कुछ निर्माण कर सकें।
संपत्ति को खाली कराने के लिए प्रावधान-
कानून की स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट (Specific Relief Act)की धारा 5 के तहत किसी भी व्यक्ति को अपनी संपत्ति पर गैरकानूनी कब्जे से मुक्ति दिलाने का अधिकार देती है। हम आपको समझाते हैं। जैसे कि अगर आपके नाम की कोई संपत्ति है, और किसी ने उस पर गैरकानूनी तरीके से कब्जा कर लिया है, तो अपनी संपत्ति के बचाव के लिए आप सिविल प्रक्रिया संहिता (Code of Civil Procedure) के तहत कब्जाधारी के खिलाफ मुकद्मा दायर कर सकते हैं और उस संपत्ति को खाली कराने के लिए कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं।