UP के इन 6 जिलों की बंजर जमीन पर लगाए जाएंगे सोलर प्लांट, नहीं रहेगी बिजली की कमी
UP News Update - यूपी के इन 6 जिलों के किसानों को सरकार की ओर से बड़ी सौगात मिली है। दरअसल यूपी के इन 6 जिलों की बंजर जमीन पर सोलर प्लांट लगाए जाएंगे... जिसके चलते यहां बिजली की कमी नहीं रहेगी।
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HR Breaking News, Digital Desk- उत्तर प्रदेश के 6 जिलों के किसानों को सरकार की तरफ से तोहफा मिला है. उत्तर प्रदेश पावर काॅरपोरेशन (UPPCL) ने कुसुम योजना के तहत सौर ऊर्जा उत्पादन परियोजनाओं के लिए छह जिलों में निजी डेवलपर्स (किसानों) के साथ बिजली खरीद समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. इस समझौते के तहत 7 मेगवाट बिजली का उत्पादन होगा.
वहीं बैंकों की मदद से किसान अपनी बंजर या अनुपयोगी कृषि भूमि पर सौर ऊर्जा उत्पादन करेंगे. इसके लिए सरकार किसानों को सब्सिडी भी देगी. जिससे किसान इस सौर सुविधा से पैदा होने वाली बिजली को सरकार या निजी कंपनियों को बेचकर अपना आय बढ़ा सकेंगे.
इन 6 जिलों होगा बिजली उत्पादन-
उत्तर प्रदेश के इन 6 जिलों को सौर ऊर्जा उत्पादन की सुविधा मिली है. जिसमें, बिजनौर, हाथरस, महोबा, जालौन, देवरिया तो वहीं इन जिलों में शामिल प्रदेश की राजधानी लखनऊ भी है.
6 जिलों के किन गांवों में कितना होगा उत्पादन-
उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन (UPPCL) के अध्यक्ष एम देवराज ने बताया की बिजनौर के बिलासपुर गांव में 1.5 मेगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन होगा. जो सारे जिलों में सबसे ज्यादा है. महोबा के देवगांव में 1 मेगावाट, जालौन के खुक्सिस गांव में 1 मेगावाट, लखनऊ के बरियार गांव को 1 मेगावाट तो वहीं सबसे कम हाथरस के मौहरी गांव को 0.5 मेगावाट (500kw) का सौर ऊर्जा के उत्पादन का सुविधा किया गया है.
इससे किसानों को होगा दोहरा लाभ-
इस योजना से किसानों को होगा दोहरा लाभ होने की उम्मीद है. पहला, किसान पुराने डीजल सिंचाई पंपों को सौर ऊर्जा सिंचाई पंपों से बदल कर लाभ उठा सकते हैं. तो वहीं दूसरा, वे खेत में बने सोलर प्लांट से पैदा होने वाली बिजली को बिजली कंपनियों से बेचकर सालाना लगभग 80 हजार रुपये अतिरिक्त कमा सकते हैं. इस योजना के अनुसार, किसानों को सौर पंप की लागत का 90 प्रतिशत कुल सब्सिडी का प्राप्त होगा.
कुसुम योजना से किसानों को फायदा-
कुसुम योजना किसानों को सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन के लिए बंजर भूमि पर सोलर पैनल लगाने के लिए प्रोत्साहित करती है. कुसुम योजना के तहत एक मेगावाट के सोलर प्लांट के निर्माण के लिए लगभग पांच एकड़ जमीन की जरुरत होती है. इस योजना से किसान अपने क्षेत्र में बिजली की समस्या से भी निजात पा सकते हैं. इस कार्यक्रम के तहत उपलब्ध कराए गए पंपों को पहले से चल रहे डीजल और बिजली से चलने वाले पंपों की जगह लगाया जाएगा.