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Supreme Court Decision : मकान मालिक और किराएदारों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सुनाए अहम फैसले

Supreme Court Decision : हम अक्सर देखते है कि मकान मालिक और किरायेदारों के बीच झगड़ा होता रहता है। इन्हीं आपसी झगड़ों का विवाद कोर्ट में पहुंच जाता है। ऐसे में मकान मालिक और किराएदारों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसले सुनाए है। जिन्हें जान लेना आप लोगों के लिए बेहद जरूरी है। 
 
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Supreme Court Decision : मकान मालिक और किराएदारों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सुनाए अहम फैसले

HR Breaking News, Digital Desk- सुप्रीम कोर्ट ने किराएदारों के हक में एक अहम फैसला (Supreme Court decision on tenants right) सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि अगर किसी मजबूरी के चलते किराएदार किराया नहीं चुका पाता है तो तो इसे अपराध नहीं माना जा सकता। यदि किराएदार अगर किराया नहीं चुका पाता है तो इसके लिए उस पर आईपीसी की धारा के तहत केस नहीं हो सकता। सुप्रीम कोर्ट ने नीतू सिंह बनाम स्टेट ऑफ यूपी में यह फैसला सुनाया।

मकान मालिक (Landlord) और किराएदारों (Tenants) के बीच झगड़ा आम बात है। लेकिन कई बार विवाद कोर्ट में पहुंच जाते हैं। हाल में कोर्ट ने मकान मालिक और किराएदारों के हक में कई अहम फैसले दिए हैं। किराएदार के खिलाफ आईपीसी की धारा-403 (बेईमानी से संपत्ति का उपयोग करना) और 415 (धोखा) के तहत केस दर्ज किया गया था। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने किराएदार को राहत देने से मना किया था जिसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने आया।

सुप्रीम कोर्ट ने एफआईआर खारिज करते हुए कहा कि किराए का भुगताना न करना सिविल विवाद है। यह आपराधिक मामला नहीं बनता है। मकान मालिक ने किराएदार पर आईपीसी की धाराओं के तहत केस दर्ज कराया था। इसके लिए आईपीसी के तहत केस नहीं बनता है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि किराएदार के खिलाफ पेंडिंग किराए के एरियर के भुगतान और मकान खाली करने संबंधित विवाद का निपटारा सिविल कार्यवाही के तहत होगा।

मकान मालिक-किरायेदार का क्लासिक केस-

पिछले 10 मार्च 2021 को भी सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया था। कोर्ट ने इसे 'क्लासिक' केस बताया था। इस मामले में कोर्ट ने एक किराएदार के खिलाफ फैसला सुनाया था जिसने मकान मालिक को उसकी प्रॉपर्टी से तीन दशक तक दूर रखा था। कोर्ट ने किरायेदार पर साथ ही एक लाख रुपये की पेनल्टी लगाने के साथ-साथ मार्केट रेट पर 11 साल का किराया भी देने का आदेश दिया था।
यह मामला पश्चिम बंगाल के अलीपुर में एक दुकान को लेकर था।