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Supreme Court Judgement : लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाली लड़कियों के लिए बड़ा अपडेट, पिता की याचिका पर कोर्ट ने सुनाया फैसला

Court Decision on Live in Relationship : हाल ही में कोर्ट ने एक केस दर्ज किया है जिसमे बेटी ने बताया था कि वह अपने पिता के पास नहीं रहती। लड़की के पिता ने बताया कि वह उनकी मर्जी के खिलाफ अपने प्रेमी के साथ लिव इन में रहती है। ऐसे में उससे उनका कोई संबंध नहीं है। कोर्ट ने इस पर अपना फैसला सुना दिया है।
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Supreme Court Judgement : लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाली लड़कियों के लिए बड़ा अपडेट, पिता की याचिका पर कोर्ट ने सुनाया फैसला

HR Breaking News (डिजिटल डेस्क)। लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाली लड़कियों के लिए कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। एक पिता की याचिका की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने आदेश सुनाया कि अगर कोई लड़की मां - बाप की मर्जी के खिलाफ जाकर अपने प्रेमी के साथ लिव इन में रह रही है तो उसे पिता से भरण पोषण मांगने का कोई हक़ नहीं है।

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न ही माँ - बाप दैनिक या मासिक खर्च देने के लिए बाध्य है। दरअसल कोर्ट ने रायपुर के फेमिली कोर्ट के उस आदेश को भी खारिज किया जिसमें पिता को हर महीने पांच हजार रुपये लड़की के खाते में जमा करने के आदेश दिए गए थे।

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क्या है पूरा मामला


24 वर्षीय अविवाहित बेटी बिना किसी कारण अपने परिवार से अलग रह रही है। लड़की ने अपने पिता से भरण-पोषण पाने के लिए कोर्ट में केस दायर किया था। इसमें बेटी ने बताया था कि वह अपने पिता के पास नहीं रहती। लड़की के पिता ने बताया कि वह उनकी मर्जी के खिलाफ अपने प्रेमी के साथ लिव इन (Court Decision on Live in Relationship) में रहती है।

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ऐसे में उससे उनका कोई संबंध नहीं है। वहीं फैमिली कोर्ट ने पिता के जवाब को खारिज कर दिया था और उन्हें निर्देश दिया गया था। वह बतौर भरण पोषण लड़की को हर महीने पांच हजार रुपये का भुगतान करें। रायपुर कोर्ट के इसी आदेश के खिलाफ लड़की के पिता ने हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी।

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कोर्ट में पिता ने अपनी याचिका में बताया कि बिना किसी कारण उनकी बेटी परिवार से अलग रह रही है। उनकी मर्जी के खिलाफ जाकर अपने प्रेमी के साथ लिव इन में रहती है। ऐसे में उसे भी भरण पोषण के अधिकार से उसे वंचित किया जाना चाहिए।

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कोर्ट ने लड़की के पिता के इस तर्क को स्वीकार करते हुए फैमली कोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया है। साथ ही कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि जो लड़की पिता की मर्जी के खिलाफ लिव इन में है, उसे पिता से भरण पोषण मांगने का भी हक़ नहीं है।