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supreme court judgement : अब लोन नहीं भरने वालों की खैर नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने पलटा हाईकोर्ट का फैसला

Supreme Court Decision : कई ऐसे व्यक्ति होते हैं, जो लोन तो ले लेते हैं, लेकिन बाद में उसको चुकता नहीं करते हैं, लेकिन अब लोन नहीं भरने वालों की खैर नहीं है। हाल ही में एक मामले के तहत सुप्रीम कोर्ट की ओर से ऐतिहासिक फैसला लिया गया है। सुप्रीम कोर्ट (supreme court judgement ) के इस फैसले ने हाईकोर्ट के फैसले को पलटा है। अब सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले ने लोन नहीं चुकाने वालों पर कार्यवाही का रास्ता साफ कर दिया है।
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supreme court judgement : अब लोन नहीं भरने वालों की खैर नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने पलटा हाईकोर्ट का फैसला

HR Breaking News- (Supreme Court) अब ऐसे लोग जो बैंकों से लोन लेकर भूल जाते हैं, उनके जल्द ही बुरे दिन आने वाले हैं। इसी बीच एक मामले के तहत सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को पलटते दिया और कहा कि अब बड़े कर्ज डिफॉल्टर्स के खिलाफ नए सिरे से कार्रवाई शुरू की जा सकती है। इस ऐतिहासिक मामले के तहत सुप्रीम कोर्ट ने देशभर के हाईकोर्ट (high court Decisions) के आदेश को रद कर दिया है। आइए खबर के माध्यमसे जानते हैं सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बारे में।

नए सिरे से शुरू होगी कार्यवाही -


सुप्रीम कोर्ट (supreme court Decision) ने हाई कोर्ट से जुड़े उन सभी फैसलो को खारिज कर दिया है, जिस वजह से बड़े डिफॉल्टर्स के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही और फ्रॉड डिक्लेरेशन जैसी प्रक्रियाएं पर रोक लगी हुई थीं।

बेंच का कहना है कि अगर किसी प्रशासनिक कार्रवाई को प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के उल्लंघन करने पर रद्द किया गया है तो ऐसे में प्रशासनिक अधिकारियों को नए सिरे से कार्यवाही (bank loan defaulters) करने पर रोक लगाई जाएगी।

 


सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला-


कोर्ट का कहना है कि देश के कई ऐसे हाई कोर्ट है, जिन्होंने अपनी तय सीमाओं से आगे बढ़कर ऐसे FIR और आपराधिक कार्यवाहियों को खारिज किया है, जिनके अकाउंट को फ्रॉड डिक्लेयर (Declare Fraud) किया गया था। जबकि ऐसी घोषणा को कोई चुनौती भी नहीं दी गई थी।

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि RBI (Reserve bank of india) और बैंकों द्वारा जो भी प्रशासनिक कार्रवाई और आपराधिक कार्यवाही की जाती है, वो अलग-अलग आधार पर होती है। अगर कोई अपराध बनता है तो कानून के दायरे में  FIR दर्ज (First Information Report) की जा सकती है। हालांकि इसका प्रशासनिक पक्ष द्वारा किसी अन्य प्राधिकरण द्वारा जो निर्णय लिया गया है, उससे कोई लेना-देना नहीं है।

जानिए क्या है फैक्ट-


कोर्ट ने इस कड़ी में आगे कहा है कि माना कि ये दोनों फैक्ट एक समान या मिलते-जुलते हैं लेकिन इस बेस पर यह नहीं कह सकते कि प्रशासनिक स्तर पर कोई वैध कार्रवाई (legal action at administrative level)नहीं हुई तो ऐसे में FIR दर्ज नहीं हो सकता।

इसके साही यह भी मानते हुए कि प्रशासनिक पक्ष की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है, तो ऐसे में FIR को सही माना जा सकता है।

कोर्ट का कहना है कि प्रशासनिक और आपराधिक कार्यवाहियों (action against big defaulters)की भूमिका और इसका मकसद पूरी तरह से अलग-अलग हैं, खासकर तब ये अलग हो जाती है, जब ये अलग-अलग सार्वजनिक या वैधानिक प्राधिकरणों द्वारा की जा रही हों।