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Supreme Court : किराएदारों को सुप्रीम कोर्ट ने दिया तगड़ा झटका, मकान मालिकों को राहत

Supreme Court : मकान मालिक और किराएदारों के बीच विवाद होना आजकल आम बात हो गई। इन विवादों से जुड़े सैकड़ों मामलें कोर्ट में भी पेंडिग पड़े है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसलें में मकान मालिकों को काफी राहत प्रदान की है। आइए खबर में जानते है सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनाए गए उस फैसलें के बारे में जिससे किराएदारों को काफी झटका लगा है।
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Supreme Court : किराएदारों को सुप्रीम कोर्ट ने दिया तगड़ा झटका, मकान मालिकों को राहत

HR Breaking News : (Supreme Court) किराएदारों और मकान मालिकों को देश भर में कई तरह के अधिकार मिले हुए है। लेकिन नियमों की सही से जानकारी न होने की वजह से मकान मालिक और किराएदारों के बीच विवादों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने किराएदारों को तगड़ा झटका देते हुए बड़ा फैसला सुनाया है।


मकान खाली करने में आनाकानी कर रहे एक किराएदार (Tenant) को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने राहत देने से इनकार करते हुए कहा कि जिसके घर शीशे के होते हैं, वे दूसरों पर पत्‍थर नहीं मारते। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के साथ ही एक बार फिर ये साफ हो गया कि मकान मालिक (Landlord) ही किसी मकान का असली मालिक (Owner)होता है। 


किराएदार चाहे जितने भी दिन किसी मकान में क्‍यों न रह ले उसे ये नहीं भूलना चाहिए कि वह मात्र एक किराएदार है न कि मकान का मालिक।


जस्टिस रोहिंग्टन एफ नरीमन की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए किराएदार दिनेश को किसी भी तरह की राहत देने से इनकार कर दिया और आदेश दिया कि उन्‍हें परिसर खाली करना ही पड़ेगा। इसके साथ ही कोर्ट ने किराएदार (tenants rights) दिनेश को जल्‍द से जल्‍द बकाया किरायादेने के भी आदेश जारी किए। 


किराएदार के वकील दुष्‍यंत पाराशर ने पीठ से कहा कि उन्‍हें बकाया किराए की रकम जमा करने के लिए वक्‍त दिया जाए। इस पर कोर्ट ने किराएदार को मोहलत देने से साफ इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि जिस तरह से आपने इस मामले में मकान मालिक (landlord rights) को परेशान किया है उसके बाद कोर्ट (Supreme Court Decision) किसी भी तरह की राहत नहीं दे सकता। आपको परिसर भी खाली करना होगा और किराए का भुगतान भी तुरंत करना होगा।


दरअसल किराएदार ने करीब तीन साल से मकान मालिक (landlord rights in hindi) को किराए की रकम नहीं दी थी और न ही वह दुकान खाली करने के पक्ष में था। आखिरकार दुकान मालिक ने कोर्ट (court news) का दरवाजा खटखटाया। निचली अदालत ने किरायेदार को न केवल बकाया किराया चुकाने बल्कि दो महीने में दुकान खाली करने के लिए कहा था। 


इसके साथ ही वाद दाखिल होने से लेकर परिसर खाली करने तक 35 हजार प्रति महीने किराये का भुगतान करने के लिए भी कहा था। इसके बाद भी किरायेदार ने कोर्ट का आदेश (court order) नहीं माना।


पिछले साल जनवरी में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (Madhya Pradesh High Court) ने किरायेदार को करीब नौ लाख रुपये जमा करने के लिए चार महीने का समय दिया था, लेकिन उस आदेश का भी किरायेदार ने पालन नहीं किया। इसके बाद किराएदार सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जहां से भी उसकी याचिका खारिज करते हुए दुकान तुरंत खाली करने के आदेश जारी किए गए।