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Supreme Court : सरकारी कर्मचारियों को दिया तगड़ा झटका, प्रमोशन के अधिकार पर आया सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला

propmotion rules : सरकारी कर्मचारियों के लिए झटका देने वाली खबर है। सुप्रीम कोर्ट ने कर्मचारियों के प्रमोशन (govt rules for promotion) को लेकर अहम फैसला सुनाया है। इस फैसले के बाद सरकारी कर्मचारियों के बीच तरह तरह की चर्चाएं हो रही हैं। आइये जानते हैं क्या कहा है सुप्रीम कोर्ट ने अपने सुप्रीम फैसले में।

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Supreme Court : सरकारी कर्मचारियों को दिया तगड़ा झटका, प्रमोशन के अधिकार पर आया सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला

HR Breaking News - (SC decision) हर कर्मचारी नौकरी के साथ अपना रुतबा भी कायम करना चाहता है, इसके लिए वह प्रमोशन की चाह सबसे पहले करता है। अब प्रमोशन (employees promotion rights) को लेकर सरकारी कर्मचारियों को तगड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी कर्मचारियों के प्रमोशन (SC Decision on promotion) से जुड़े एक मामले में अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कई अहम टिप्पणी भी प्रमोशन के अधिकार को लेकर की हैं। यह फैसला अब चर्चाओं में बना हुआ है। 


प्रमोशन का अधिकार नहीं संवैधानिक अधिकार -


प्रमोशन (SC decision on promotion) को लेकर अब सरकारी कर्मचारी कोई दावा नहीं कर सकता। सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले के फैसले में साफ कह दिया है कि यह केवल सरकार का काम है, प्रमोशन कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है। न ही कानून में इसके लिए कोई क्राइटेरिया (propmotion Criteria) होने की बात कही गई है। कोर्ट की इसमें कोई दखलंदाजी नहीं रहेगी। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस (CJI) की अध्‍यक्षता में तीन जजों की बेंच ने यह फैसला सुनाया है। 


सुप्रीम कोर्ट ने की यह टिप्पणी -


सुप्रीम कोर्ट ने राज्य और केंद्र सरकार  (central govt) पर ही किसी कर्मचारी के प्रमोशन (govt employee promotion criteria) को लेकर नियम तय करने की बात छोड़ी है। किसी कर्मचारी को कानून में प्रमोशन को लेकर दावा करने का अधिकार (employees promotion rights) होने का प्रावधान नहीं है।  गुजरात के जिला जज के चयन से जुड़े एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए यह टिप्पणी की है।


क्या है प्रमोशन का आधार -


कर्मचारी की कार्यक्षमता व प्रतिभा को देखकर राज्य व केंद्र सरकार ही उसका प्रमोशन करने या नियम तय करने का अधिकार स्वतंत्र रूप से रखती है। बता दें कि आमतौर पर सीनियॉरिटी और मेरिट (promotion ke niyam) को प्रमोशन का आधार बनाया जाता है। लेकिन संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। यह बात सुप्रीम कोर्ट (SC Decision in promotion) ने भी स्पष्ट कर दी है। 
 


इस अधिकार को नहीं छीन सकती सरकार-


समानता के अधिकार को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस अधिकार को सरकार नहीं छीन सकती। प्रमोशन (govt rules for propmotion) के अधिकार से समानता का अधिकार (equality rights) अलग होता है। अगर सरकार ने प्रमोशन का कोई आधार या क्राइटेरिया (propmotion new Criteria) बना रखा है और उसमें भेदभाव या असमानता की गई है तो कोर्ट धारा 16 के तहत समानता के अधिकार पर विचार कर सकती है। 

कोर्ट नहीं करेगी इस मामले में दखलंदाज-


सरकार अगर चाहे तो सर्विस नियमों के तहत प्रमोशन (promotion rights) का नियम, आधार या क्राइटेरिया तय कर सकती है। लेकिन कोर्ट इसमें कोई दखलंदाज नहीं करेगी। कानूनी रूप से ऐसा कोई प्रावधान (propmotion provision in law) नहीं है कि कोई कर्मचारी अपने प्रमोशन को लेकर दावा करे और कोर्ट उस पर विचार करे। यह सरकार के स्तर पर कर्मचारी की सीनियोरिटी, मैरिट, कार्य, प्रतिभा या किसी अन्य आधार पर तय हो सकता है।