Supreme Court : प्रोपर्टी में पत्नी के अधिकार पर ने सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला, 50 साल पुराने मामले में आया निर्णय

HR Breaking News, Digital Desk- (Supreme Court order) सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर कोई महिला अपने पति को उसके बूढ़े माता-पिता से अलग रहने के लिए मजबूर करती है, तो पति तलाक ले सकता है। कोर्ट ने हिन्दू कानून (Hindu law) का जिक्र करते हुए बताया कि किसी भी महिला को अपने पति को उसके माता-पिता के प्रति अपनी पवित्र जिम्मेदारियों से मना करने का अधिकार नहीं है।
जस्टिस अनिल आर दवे और जस्टिस एल नागेश्वर राव की खंडपीठ ने कहा कि एक महिला शादी के बाद पति के परिवार की सदस्य बन जाती है।
कर्नाटक में एक दंपत्ति के तलाक की अर्जी (A couple files for divorce in Karnataka) पर फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि पत्नी अपने पति को केवल इस आधार पर अलग नहीं कर सकती कि वह उसकी आय का पूरा उपभोग नहीं कर पा रही है। कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि माता-पिता से अलग रहने की पश्चिमी सोच हमारे भारतीय सभ्यता, संस्कृति और मूल्यों के खिलाफ है। यह निर्णय पारिवारिक मूल्यों के महत्व को उजागर करता है। (supreme court decision)
सुप्रीम कोर्ट ने जजमेंट में लिखा है, “भारत में हिन्दू परिवारों में न तो यह सामान्य बात है और न ही प्रचलन में है कि कोई भी बेटा अपनी पत्नी के कहने पर शादी के बाद बूढ़े मां-बाप को छोड़ दे। खासकर तब, जब बेटा ही परिवार में एकमात्र कमाऊ सदस्य हो। एक बेटे को उसके मां-बाप ने न केवल जन्म दिया बल्कि पाल-पोसकर उसे बड़ा किया, पढ़ाया, लिखाया। अब उसकी नौतिक और कानूनी जिम्मेवारी बनती है कि वह बूढ़े मां-बाप की देखभाल करे। खासकर तब जब उनकी आय या तो बंद हो गई है या कम हो गई है।”
दरअसल, कर्नाटक की इस दंपत्ति की शादी 1992 में हुई थी। शादी के कुछ दिनों बाद से ही महिला अपने पति पर अकेले रहने का दबाव बना रही थी। उसकी क्रूर हरकतों (cruel acts) की वजह से बाद में पति ने निचली अदालत में तलाक की अर्जी दी थी। महिला ने आरोप लगाया था कि उसके पति के नौकरानी के साथ अवैध संबंध हैं, इसलिए वह मुझे तलाक दे रहे हैं लेकिन कोर्ट ने इसे झूठा पाया। निचली अदालत ने तलाक को मंजूर कर लिया। बाद में हाईकोर्ट (high court) ने महिला का पक्ष लिया और आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने तलाक को मंजूरी दे दी।