supreme court : सुप्रीम कोर्ट ने UPSC परीक्षा को लेकर सुनाया बड़ा फैसला, इस फैसले होगा व्यापक असर
supreme court decision : भारत में UPSC परीक्षा सबसे कठिन परीक्षा है, जिसमें हर साल लाखों छात्र भाग लेते हैं। इस परीक्षा में भाग लेने के लिए कई नियम व योग्यताएं निर्धारित हैं, जिनका पालन करना अनिवार्य है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट (SC decision on UPSC) ने इस परीक्षा के लिए एक बड़ा फैसला लिया है, जिसका असर अनेक प्रतिभागियों पर पडे़गा। आइए जानते हैं सुप्रीम कोर्ट का यह अहम फैसला।

HR Breaking News - (UPSC Exam Decision)। यूपीएससी की परीक्षा पास कर अफसर बनने का सपना अनेक लोगों का होता है। महंगी कोचिंग व कड़ी मेहनत से कई प्रतिभावान इसमें सफल होकर देश सेवा भी करते हैं। इस परीक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है, जिसका फायदा यह परीक्षा देने वाले कई परीक्षार्थियों को मिलेगा।
सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने अपने फैसले में एक खास तरह की सुविधा का जिक्र भी किया है। यह निर्णय इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह परीक्षार्थियों के अधिकारों (educational rights) की रक्षा भी भी करता है।
क्या है पूरा मामला -
सर्वोच्च न्यायालय ने एक याचिका पर फैसला (SC decision on UPSC exam) सुनाया है, जिसमें एक उम्मीदवार ने परीक्षा में सहायक की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसी विकलांगता (physically chalanged person) के लिए 40 प्रतिशत या उससे अधिक का मानक आवश्यक नहीं है।
यह निर्णय विकास कुमार और यूपीएससी के बीच के एक मामले पर आधारित था। इस फैसले से उम्मीदवारों को सहायक की सुविधा प्राप्त करने का अधिकार मिलता है, भले ही उनकी विकलांगता का प्रतिशत कम हो।
कई संस्थाओं ने सहायक देने से किया था मना-
एक उम्मीदवार ने अदालत में याचिका दायर की, जिसमें बताया कि वह क्रॉनिक न्यूरोलॉजिकल कंडीशन (chronic neurological conditions) यानी की एक गंभीर तंत्रिका संबंधी बीमारी से जूझ रहा है और दिव्यांगजन विभाग (Department of Empowerment) के अनुसार उसकी विकलांगता 25 प्रतिशत है।
उसे IBPS, SBI, SSC, BSSC और कई सरकारी संस्थाओं द्वारा सहायक व्यक्ति की मदद देने से मना किया गया, क्योंकि उसकी विकलांगता 40 प्रतिशत (disability rules) से कम थी।
उम्मीदवार ने यह दिया था तर्क -
उम्मीदवार ने यह भी कहा कि एक पूर्व मामले के फैसले (decision on students rights) ) के बावजूद, संबंधित अधिकारी सहायक व्यक्ति की सुविधा देने से इंकार कर रहे थे। उसने 10 अगस्त 2022 के निर्देशों को चुनौती दी, जिसमें यह सुविधा कुछ विशेष परिस्थितियों तक सीमित की गई थी। उसने यह तर्क रखा कि विकलांगता के प्रतिशत स्तर के आधार पर सहायक की मदद नहीं दी जानी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया यह फैसला -
सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने इस मामले में कहा है कि पहले UPSC (UPSC exam news) के नियमों के अनुसार, केवल कुछ खास विकलांगताओं वाले उम्मीदवारों को ही सहायक व्यक्ति की सुविधा मिलती थी, जैसे कि नेत्रहीनता या सेरेब्रल पॉल्सी (cerebral palsy)।
यह सुविधा केवल उन्हीं को मिलती थी, जिनकी विकलांगता 40 प्रतिशत से अधिक होती थी। अब यह सुविधा उन सभी उम्मीदवारों को मिलेगी जिनकी लिखने की क्षमता प्रभावित होती है, चाहे उनकी विकलांगता 40 प्रतिशत से कम हो। इस निर्णय से परीक्षा प्रणाली और बेहतर बन सकेगी।
नए दिशा-निर्देशों की समीक्षा और पालन -
सर्वोच्च न्यायालय ने एक आदेश जारी किया, जिसमें सरकार से 2022 के नोडल एजेंसी के एक महत्वपूर्ण नीति दस्तावेज की पुनः समीक्षा करने को कहा गया। यह कार्य मंत्रालय को सौंपा गया, जो सामाजिक न्याय (Ministry of Social Justice and Empowerment) के मामलों को देखता है। मंत्रालय को यह निर्देश दिया गया कि दस्तावेज में कुछ बदलाव किए जाएं और इन्हें 2 माह के भीतर लागू किया जाए।
इसके अतिरिक्त, देश के प्रमुख भर्ती बोर्डों जैसे परीक्षा प्राधिकरण (IBPS, SBI, SSC, BSSC, UPSC) और एजेंसियों से यह अपेक्षा की गई कि वे नए दिशा-निर्देशों को पूरी तरह से मान्य करेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि भर्ती प्रक्रियाओं में कोई भी समस्या न हो। इस कदम से अधिकारियों के लिए स्पष्ट मार्गदर्शन प्राप्त होगा।
नए नियमों की जागरूकता और सुविधाओं का प्रचार-
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शिक्षण संस्थानों में उम्मीदवारों को नए नियमों और सुविधाओं के बारे में जागरूक करने के लिए अभियान चलाए जाएं। यह सुनिश्चित किया जाए कि परीक्षा आयोजित करने वाले संगठन इन सुविधाओं का सही ढंग से उपयोग कर सकें। एक शिकायत समाधान प्रणाली स्थापित की जाए ताकि उम्मीदवारों को कोर्ट कचहरियों के चक्कर न काटने पड़ें।
उन्हें ये सुविधा होनी चाहिए कि वे अपनी समस्याओं को सीधे शिकायत पोर्टल (complain portal for disables) के माध्यम से दर्ज कर सकें। विभिन्न संगठनों द्वारा बनाए गए नए दिशा-निर्देशों की समीक्षा करके उन्हें सार्वजनिक किया जाए। इसके साथ-साथ स्क्राइब की उपलब्धता को बढ़ावा देने के लिए योजनाएं बनाई जाएं ताकि सभी उम्मीदवारों को समान अवसर मिलें।
विद्यार्थियों को नहीं रहेगी यह समस्या-
सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला (supreme court decision) लिया है, जिससे विशेष आवश्यकता वाले उम्मीदवारों को परीक्षाओं में मदद मिल सकेगी। अब जिन उम्मीदवारों को लिखने में परेशानी होती है, उन्हें बिना किसी रोक-टोक के सहायक व्यक्ति की सुविधा मिलेगी।
इससे परीक्षा प्रक्रिया और अधिक समान बनेगी। पहले यह सुविधा केवल कुछ खास विकलांगताओं (physically chalanged candidates rights) वाले लोगों तक सीमित थी, लेकिन अब यह सभी के लिए उपलब्ध होगी, जो लिखने में दिक्कत महसूस करते हैं। इस फैसले से संस्थाओं को भी साफ दिशा-निर्देश मिलेंगे, ताकि उम्मीदवारों को कानूनी समस्याओं का सामना न करना पड़े।