सरकारी कर्मचारियों को लेकर Supreme Court का बड़ा फैसला, अब सबूत की नहीं पड़ेगी जरूरत

HR Breaking News - (SC decision)। सुप्रीम कोर्ट की ओर से सरकारी कर्मचारियों के हक-बेहक में फैसले जारी होते रहते हैं। हाल ही में एक फैसला सुप्रीम कोर्ट (supreme court)ने ऐसा सुनाया है कि हर तरफ यह चर्चाओं में हैं, क्योंकि आमतौर पर कोर्ट का फैसला सबूत चाहता है, लेकिन अब कोर्ट ने कहा है एक खास तरह के मामले में किसी सबूत की जरूरत नहीं है। कोर्ट ऐसे मामले में बिना साक्ष्यों (case without proof) के ही फैसला सुना देगा। कोर्ट का यह निर्णय करोड़ों सरकारी कर्मचारियों के लिए अहम साबित होगा। इसलिए यह मामला जानना हर कर्मचारी (govt employees news) के लिए जरूरी भी है। आइये जानते हैं आखिर क्या है यह मामला।
दोषी ठहराने का आधार -
भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों को ऐसे ही नहीं कोर्ट (supreme Court news) तक लाया जाता, इसके लिए बहुत प्रयास करने पड़ते हैं। पहले से अधिकारी ही जुगाड़ भिड़ाए रहते हैं इसलिए यह एक बड़ी चुनौती भी है। बड़ी मशक्कत के बाद किसी भ्रष्ट अधिकारी को कानूनी कटघरे में लेकर आता है। इस बात को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने संज्ञान में लिया। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा सरकारी कर्मचारी को रिश्वत के आरोप में परिस्थिति जन्य आधार पर ही दोषी ठहराया जा सकता है। ऐसा कानूनी प्रावधान भी है।
साक्ष्यों के बारे में यह कहा -
भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court decision) की बैंच ने कहा कि मृत्यु हो जाने या किसी अन्य कारण से शिकायत देने वाला साक्ष्य न हो तो भी सरकारी अधिकारी को दोषी ठहराया जा सकता है। ऐसा कानून में प्रावधान भी है, सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Update) ने की यह टिप्पणी अब कर्मचारियों के बीच चर्चाओं में है। बैंच ने इस मामले में सुनवाई के दौरान कहा कि भ्रष्टाचार विरोधी कानून में यह प्रावधान है कि किसी सरकारी कर्मचारी को दोषी करार देने के लिए प्रत्यक्ष रूप से सबूत का होना जरूरी नहीं है।
भ्रष्टाचार को देश के लिए खतरा-
सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बैंच ने फैसला (SC decision on corrucption)सुनाते हुए बड़ी टिप्पणी भी की है। न्यायमूर्ति एसए नजीर की अध्यक्षता में 5 जजों की संविधान पीठ ने इस मामले की सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भ्रष्टाचार के मामले संगीन हैं और देश के लिए खतरा भी हैं।
जिन मामलों में लोक सेवक (IAS IPS) यानी बड़े ओहदों पर बैठे लोग ही आरोपी हों, उनमें शिकायत देने वाले और जांच करने वाले को पूरी ईमानदारी से भ्रष्ट अधिकारी को हर हाल में दंडित कराने का प्रयास करना चाहिए। इसी से देश में भ्रष्टाचार का खात्मा हो सकता है और इसके लिए प्रयास जारी रखने चाहिए।
भ्रष्टाचार पर कोर्ट की टिप्पणी -
भ्रष्टाचार को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि (Supreme Court order) भ्रष्टाचार प्रशासन पर भी गलत असर डालता है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court case) ईमानदार कर्मचारी का मनोबल भ्रष्टाचार के कारण गिरने की बात भी कही है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान एक पुराने मामले में दिए गए फैसले का उदाहरण भी दिया है।
ऐसा आरोपी उदारता का हकदार नहीं-
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court big decision) का इस मामले में कहना है कि भ्रष्टाचार का आरोपी उदारता का हकदार नहीं होता और न ही उदारता दिखाई जानी चाहिए। उसकी इस तरह की मांग स्वीकार करने योग्य नहीं होती। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी टिप्पणी (SC remarke on corruption) की है कि लोक सेवकों की ओर से भ्रष्टाचार किया जाना आज के समय में बड़ी समस्या बन गई है। भ्रष्टाचार देश के विकास में बाधक है और जनता को इससे नुकसान पहुंचता है। फरवरी 2019 में इस मामले को तीन जजों की पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस (chief justice of india) को भेजा था। इसके बाद इस मामले में सुनवाई की गई।