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Swarna Shatabdi Train : रेलवे की एक गलती से किसान बन गया पूरी ट्रेन का मालिक

Sampuran Singh: आज हम आपको अपनी इस खबर में रेलवे की एक ऐसी गलती के बारे में बताने जा रहे है। जिसकी वजह से एक किसान पूरी ट्रेन का मालिक बन गया। आइए नीचे खबर में जानते है आखिर क्या है पूरा माजरा...

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Swarna Shatabdi train : रेलवे की एक गलती से किसान बन गया पूरी ट्रेन का मालिक

HR Breaking News, Digital Desk- लुधियाना के कटाना गांव के रहने वाले संपूर्ण सिंह (Sampuran Singh) रेलवे की एक छोटी सी गलती की वजह से दिल्ली-अमृतसर के बीच चलने वाली स्वर्ण शताब्दी ट्रेन के मालिक बन गए थे. बहुत से लोग मजाक में यह बात करते हैं कि मैंने तो ट्रेन ही खरीद लिए हैं. ट्रेन में सफर देश के 140 करोड लोगों में से बहुत ने किया होगा, लेकिन ट्रेन का मालिक बन पाना बहुत मुश्किल काम है.

भारत जैसे देश में यह इसलिए भी संभव नहीं है क्योंकि इंडियन रेलवे भारत सरकार चलाती है. कुछ साल पहले लुधियाना के रहने वाले एक किसान संपूर्ण सिंह अमृतसर जाने वाली स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेन के ओनर बन गए थे. कोर्ट ने आदेश दिया था कि अमृतसर स्वर्ण शताब्दी से होने वाली आमदनी कटाना के किसान संपूर्ण सिंह को दी जाए.

संपूर्ण सिंह (Sampuran Singh) भारत के इकलौते ऐसे व्यक्ति थे जो ट्रेन के मालिक थे. लुधियाना-चंडीगढ़ रेल ट्रैक के निर्माण के दौरान साल 2007 में रेलवे ने किसान संपूर्ण सिंह की जमीन का अधिग्रहण किया था. उस वक्त उन्हें 25 लाख रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा दिया गया था. sampuran singh के पास के एक गांव बरवाला में रेलवे ने ₹71 लाख प्रति एकड़ के हिसाब से जमीन का मुआवजा दिया था.

कटाना के किसान संपूर्ण सिंह को यह लगा कि अगर पड़ोसी गांव की जमीन 71 लाख रुपए एकड़ के हिसाब से ली जा रही है तो उन्हें जमीन के लिए 25 लाख रुपए प्रति एकड़ का मुआवजा क्यों मिला है? नाराज होकर संपूर्ण सिंह ने कोर्ट में अर्जी डाल दी. कोर्ट ने पहले संपूर्ण सिंह के लिए मुआवजे की रकम 25 लाख रुपए प्रति एकड़ से बढ़ाकर ₹50 लाख कर दी. फिर उसे बढ़ाकर 1.7 करोड़ से ज्यादा कर दिया गया.

कोर्ट में मूल याचिका साल 2012 में दायर की गई थी. कोर्ट ने साल 2015 तक नॉर्दर्न रेलवे को इस रकम का भुगतान करने का आदेश दिया था. रेलवे ने उस समय तक संपूर्ण को सिर्फ ₹42 लाख चुकाए थे, उस हिसाब से उन्हें 1.5 करोड़ रुपए और मिलने थे. जब रेलवे ने तय समय पर यह रकम sampuran singh को नहीं चुकाई तो साल 2017 में जिला और सत्र न्यायाधीश जसपाल वर्मा ने लुधियाना स्टेशन को संपूर्ण सिंह के साथ अटैच कर दिया. इसके साथ ही दिल्ली अमृतसर स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस को भी संपूर्ण सिंह के हवाले कर दिया गया.

इस तरह कुछ समय के लिए संपूर्ण सिंह दिल्ली अमृतसर स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस के मालिक बन गए थे. लुधियाना के सेक्शन इंजीनियर ने अदालत के अधिकारी के जरिए ट्रेन को 5 मिनट में ही मुक्त करवा लिया था. यह मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है.