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tenant rights : 1 साल बाद कितना किराया बढ़ा सकता है मकान मालिक, किराएदार जान लें अपने अधिकार

Tenancy Law : कहीं भी किसी मकान या प्रोपर्टी में किराए पर रहते हुए अक्सर किराएदार को मकान मालिक की मनमानी का शिकार होना पड़ता है। अधिकतर किराए (rent rules for tenant) के मसले को लेकर दोनों के बीच नोकझोंक व विवाद होते रहते हैं। किराएदारी कानून (kirayedari kanoon) में मकान का किराया (Rent hike rules) बढ़ाने के भी नियम तय किए गए हैं। ऐसे में हर किराएदार को यह जान लेना चाहिए कि 1 साल बाद किराएदार कितना किराया बढ़ा सकता है।

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tenant rights : 1 साल बाद कितना किराया बढ़ा सकता है मकान मालिक, किराएदार जान लें अपने अधिकार

HR Breaking News - (tenant's rights) मकान मालिक व किराएदारों के बीच अधिकतर बार किराए के मुद्दे को लेकर खींचतान चलती रहती है। इसमें मकान मालिक की मनमानी भी सामने आती है। किराएदार के हितों की रक्षा के लिए मकान मालिक (property owner rights) की ओर से किराया बढ़ाने के भी नियम तय किए गए हैं। वह अपनी मर्जी से किराया नहीं बढ़ा सकता।

साल में एक बार ही किराया बढ़ाया जा सकता है, पर कई किराएदार इस बारे में अनजान होते हैं कि एक साल में मकान मालिक (property owner and tenant rights) कितना किराया बढ़ा सकता है। आइये जानते हैं सालभर में मकान मालिक की ओर से मकान या प्रोपर्टी के रेंट में कितनी बढ़ौतरी की जा सकती है।

ये सुविधाएं देने से नहीं किया जा सकता मना-


मकान मालिक की ओर से अपने किराएदार (kirayedar ke adhikar) को बेसिक सुविधाएं देनी होती हैं। वह किरायेदार को बिजली, पानी व शौचालय आदि की सुविधा से मना नहीं कर सकता।  रेंट एग्रीमेंट (rent agreement terms and conditions) के अनुसार इनके लिए चार्ज लेने का अधिकार मकान मालिक को होता है। 

इतना बढ़ाया जा सकता है किराया-


कहीं भी किराए पर रहने के दौरान एक समस्या यह भी आती है कि मकान मालिक (property owner's rights) कभी भी किराया बढ़ा देता है। लेकिन इसे बढ़ाने के भी नियम हैं। एक साल में निर्धारित रूप से ही किराया बढ़ाया जाता है। वैसे राज्य के हिसाब से यह नियम स्थानीय कानून पर भी निर्भर करता है। महाराष्ट्र में रेंट कंट्रोल एक्ट 1999 (Rent Control Act 1999) के अनुसार मकान मालिक की ओर से एक साल में 4 प्रतिशत ही किराया (rental rules) बढ़ाया जा सकता है। मकान में सुविधाएं बढ़ाए जाने पर अधिकतम 25 प्रतिशत तक किराया मकान मालिक बढ़ा सकता है।  


रेंट एग्रीमेंट के ये भी हैं फायदे-


रजिस्ट्रेशन एक्ट 1908 की धारा 17 के अनुसार रेंट एग्रीमेंट किराएदार व मकान मालिकों के हितों की रक्षा में सहायक है। सामान्य तौर पर रेंट एग्रीमेंट 11 महीने (11 month rent agreement rules) का ही बनवाया जाता है। यह एग्रीमेंट रद्द कराना अधिक मुश्किल नहीं होता। मकान मालिक इस एग्रीमेंट के खत्म होने के बाद किराया बढ़ा सकता है।  इसके अलावा मकान मालिक को ये भी बेनेफिट होता है कि किराएदार प्रोपर्टी (property knowledge) पर लंबे समय तक रहने या अपना अधिकार होने का दावा नहीं कर सकता। रेंट एग्रीमेंट से किराएदार व मकान मालिक (tenant landlord rights) दोनों के हितों का बचाव होता है। 

इसलिए बनवाया जाता है 11 माह का रेंट एग्रीमेंट-


ऐसा नहीं है कि रेंट एग्रीमेंट (rent agreement rules) सिर्फ 11 महीने का ही बन सकता है। यह लंबे समय के लिए भी बनवाया जा सकता है। 11 माह का रेंट एग्रीमेंट तो सुविधा को देखते हुए अधिकतर लोग बनवाते हैं। ये आसानी से बनवाया जा सकता है और इसमें सब रजिस्ट्रार के ऑफिस में कागजात (property documents) रजिस्टर्ड कराने की जरूरत नहीं पड़ती। 11 महीने के रेंट एग्रीमेंट में स्टांप ड्यूटी (rent agreement benifits) भी कम देनी पड़ती है। इसी कारण मकान मालिक व किराएदार 11 महीने का रेंट एग्रीमेंट बनवाते हैं।

 

11 माह से अधिक का रेंट एग्रीमेंट ऐसे बनवाएं-


आमतौर पर लोग 11 माह का ही रेंट एग्रीमेंट (rent agreement rules) बनवाते हैं। इससे ज्यादा का रेंट एग्रीमेंट बनवाना हो तो वह भी बनवाया जा सकता है। बहुत से लोग इस बारे में अनजान हैं। बता दें कि अगर आप 5 साल के लंबे समय तक कहीं रहना चाहते हैं तो इसका रेंट एग्रीमेंट (rent agreement) बनवा सकते हैं। यह रेंट एग्रीमेंट सब रजिस्ट्रार से रजिस्टर कराना होगा, जबकि 11 माह के रेंट एग्रीमेंट को आमतौर पर नोटरी से ही सत्यापित कराया जाता है।


इस बात का भी रखें ध्यान -


यह भी ध्यान रखें कि रेंट एग्रीमेंट (rent agreement benefits) के बावजूद मकान मालिक बिना कोई कारण बताए किरायेदार को एक महीने का नोटिस देकर प्रोपर्टी से निकालने का भी अधिकार रखता है। किराएदार (tenant rights) इस बात पर आपत्ति भी दर्ज नहीं करा सकता।

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