लोन की EMI नहीं भरने वालों को तगड़ा झटका, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

HR Breaking News - (Supreme court decision)। आज के समय में घर, कार, बाइक यहां तक की मोबाइल फोन खरीदने के लिए लोन की सुविधा उपलब्ध है। बड़ी से बड़ी चीज और छोटी से छोटी चीज के लिए बड़े ही आसानी से लोन मिल जाता है। देश में सरकारी बैंकों और प्राइवेट कंपनियों ने लोन को लगातार लोगों के लिए काफी आसान बनाया है। चाहे आपका सिबिल स्कोर (CIBIL Score) कम ही क्यों न हो, किसी न किसी अन्य शर्त पर सभी कंपनी आसानी से सस्ता लोन उपलब्ध करा ही देती है।
लेकिन लोन लेना जितना आसान है, उतना भुगतान करना आसान नहीं है। कई बार यह भारी पड़ जाता है। किसी न किसी वजह से लोग कई बार समय पर EMI भरने से चुक जाते हैं। ऐसे ही लोन की EMI न भरने वालों को सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) का फैसला तगड़ा झटका देगा। लोन न चुकाने वाले को सुप्रीम कोर्ट के फैसले से शॉक लगना तय है।
लोन नहीं भरना पड़ेगा भारी
सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने लोन न भरने के मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। लोन नहीं भरना आपके लिए भारी पड़ सकती है। लोन की ईएमआई (EMI) नहीं भरने के मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme court Latest News) का बड़ा फैसला आया है। लोगों को इस जजमेंट को जरूर जान लेना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार आप लोन न चुकाने पर अपनी कीमती चीज से हाथ धो बैठेंगे, लोन देने वाली कंपनी उसकी मालिक बन जाएगी।
वाहन का मलिक रहेगा फाइनेंसर -
अकसर, लोग डाउन पेमेंट (down payment) भरकर वाहन के लिए लोन ले लेते हैं। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि यदि वाहन की EMI का समय पर भुगतान नहीं करते हैं तो आपके वाहन का मालिक लोन देने वाली कंपनी या फाइनेंसर बन जाएगा। सुप्रीम कोर्ट (supreme court News) ने एक मामले की सुनवाई करते हुए बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोन की EMI पूरी न होने तक फाइनेंसर ही वाहन मालिक होगा।
वाहन पर कब्जा करना अपराध नहीं
यदि आप कोई वाहन लोन लेकर खरीदते हैं तो आपको ये सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) का फैसला जरूर जान लेना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि लोन लेने वाला किस्त बाउंस करता है तो लोन देने वाली कंपनी या फाइनेंसर वाहन पर कब्जा कर सकते हैं, यह कोई अपराध नहीं है और ना ही लोन लेने वाला कोई केस कर सकता है।
जानिये पूरा मामला -
आंबेडकर नगर निवासी राजेश ने साल 2003 में फाइनेंस पर महिंद्रा मार्शल गाड़ी खरीदी थी। यह कार तिवारी ने 1 लाख रुपये की डाउनपेमेंट करके बाकी लोन से फाइनेंस की थी। वहीं, उनकी प्रति माह EMI 12,531 रुपये की बनी थी। राजेश तिवारी ने केवल 7 महीने तक ही लोन की ईएमआई (EMI Rules) चुकाई। फिर किस्त का भुगतान नहीं किया तो 5 महीने बाद फाइनेंस कंपनी ने कार जब्त कर ली।
उपभोक्ता अदालत में लोन लेने वाले के पक्ष में गया फैसला
लोन लेने वाले कार मालिक ने उपभोक्ता अदालत में केस दायर कर दिया। केस की सुनवाई के दौरान उपभोक्ता कोर्ट (Court decision) ने फाइनेंस करने वाले पर 2 लाख 23 हजार रुपये का जुर्माना लगा दिया। अदालत ने बिना नोटिस उपभोक्ता की गाड़ी उठाने का हवाला दिया। साथ ही उपभोक्ता कोर्ट ने कहा कि फाइनेंसर की ओर से ग्राहक को किस्त भुगतान के लिए पूरा मौका नहीं दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी के पक्ष में दिया फैसला -
उपभोक्ता कोर्ट के फैसले के बाद फाइनेंसर ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Decision) ने अपना अहम फैसला दिया। कोर्ट ने कहा कि कार खरीदने वाला डिफॉल्टर था। कार खरीदने वाले ने खुद माना कि वह 7 EMI ही चुका सका।
जबकि फाइनेंसर की ओर से 12 महीने के बाद गाड़ी कब्जे में ली गई है। इस तरह सुप्रीम कोर्ट ने उपभोक्ता आयोग के जुर्माने को रद्द कर दिया। वहीं, नोटिस बिना गाड़ी उठाने के कारण फाइनेंसर पर 15 हजार रुपये का जुर्माना लगाया।