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Supreme Court ने कर दिया साफ, अब ऐसे नहीं मिलेगा प्रोपर्टी का मालिकाना हक

Supreme Court Desicion : प्रॉपर्टी को खरीदने और उसे किसी को ट्रांसफर कर देने से ही मालिकाना हक नहीं मिल जाता है। इसके लिए कई इंपोर्टेंट डॉक्यूमेंट चाहिए होते हैं और कागजी कार्रवाई होती है। सुप्रीम कोर्ट ने भी प्रॉपर्टी पर मालिकाना हक को लेकर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है और यह साफ कर दिया है कि अब प्रॉपर्टी पर किस तरह से मालिकाना हक (Propert rights) मिलेगा। चलिए जानते हैं - 

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Supreme Court ने कर दिया साफ, अब ऐसे नहीं मिलेगा प्रोपर्टी का मालिकाना हक

HR Breaking News - (Propert rights)। प्रॉपर्टी खरीदना और बेचना काफी आसान काम है लेकिन प्रॉपर्टी पर मालिकाना हक साबित करना और दावा ठोकना उतना आसान नहीं है। इसके लिए प्रॉपर्टी के कई इंपोर्टेंट कागजात की जरूरत पड़ती है। अक्सर प्रॉपर्टी पर मालिकाना हक को लेकर वाद-विवाद के मामले सामने आते रहते हैं। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Desicion) ने प्रॉपर्टी के मालिकाना हक पर एक बड़ा फैसला सुनाया है।

सुप्रीम कोर्ट ने फैसले के दौरान कहा है कि पावर ऑफ अटॉर्नी (power of attorney) या सेल एग्रीमेंट टाइटल ट्रांसफर के लिए को पर्याप्त नहीं हैं। प्रॉपर्टी पर मालिकाना हक को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दर्ज करवाई गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए यह बताया कि प्रॉपर्टी ट्रांसफर करने के बाद किस प्रकार मालिकाना हक मिलेगा। 

सुप्रीम कोर्ट ने कही बड़ी बात - 

सर्वोच्च अदालत (Supreme court Latest News) ने किसी प्रॉपर्टी के टाइटल ट्रांसफर से जुड़े मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। टाइटल ट्रांसफर के बाद प्रॉपर्टी पर मालिकाना हक को लेकर एक मामले की कोर्ट ने सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी भी प्रॉपर्टी का टाइटल ट्रांसफर (Property transfer Rule) तभी होगा जब इसके लिए रजिस्टर्ड दस्तावेज होगा। इस दस्तावेज के बैगर संपत्ति का ट्रांसफर पूर्ण नहीं माना जाएगा। यह मान्य है। 

मालिकाना हक के लिए ये डॉक्यूमेंट इंपोर्टंट - 


सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा प्रॉपर्टी के टाइटल ट्रांसफर (Property laws) के लिए रजिस्टर्ड दस्तावेज सबसे जरूरी है। इसके अलावा कोर्ट का कहना है  कि सिर्फ सेल एग्रीमेंट या पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए टाइटल ट्रांसफर नहीं की जा सकती है इसे पर्याप्त नहीं माना जा सकता। सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने कहा कि रजिस्ट्रेशन एक्ट 1908 के अनुसार रजिस्टर्ड दस्तावेज होने पर ही संपत्ति का मालिकाना मिलेगा।

जानिये क्या था पूरा मामला - 


याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में प्रॉपर्टी पर मालिकाना हक को लेकर दावा किया था। उन्होंने कहा कि वह प्रॉपर्टी उसके भाई ने उनको गिफ्ट डीड में दी थी। तो इस अनुसार संपत्ति (Property News) भी उसकी है और संपत्ति पर कब्जा भी उसी का है।

वहीं, दूसरे पक्ष ने प्रॉपर्टी पर दावा ठोकते हुए खुद को संपत्ति का मालिक बताया। कोर्ट में दूसरे पक्ष ने दलील दी कि पॉवर ऑफ अटॉर्नी (power of attorney), हलफनामा और एग्रीमेंट टू सेल उनके पक्ष में है।

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला - 

याचिकाकर्ता ने दूसरे पक्ष के जवाब में कहा कि प्रतिवादी के दावे के अनुसार, जिन डॉक्यूमेंट को पेश करते हुए प्रॉपर्टी का मालिक होने का दावा किया गया है, असल में वे मान्य ही नहीं हैं। याची ने दलील दी कि बिना रजिस्टर्ड (Property registry) दस्तावेज के अचल संपत्ति का मालिकाना हक ट्रांसफर नहीं हो सकता।

इसपर सुप्रीम कोर्ट ने भी सहमति जताई। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court News) ने कहा कि अचल संपत्ति का मालिकाना हक बिना रजिस्टर्ड दस्तावेज के ट्रांसफर नहीं हो सकता है। इस वहज से कोर्ट ने दूसरे पक्ष के दावे को रद्द कर दिया। वहीं, याचिका लगाने वाले की अपील को स्वीकार कर लिया।

 ऑफ अटार्नी, एग्रीमेंट टू सेल के मायने -

जब पावर ऑफ अटार्नी (Power of attorney) और एग्रीमेंट टू सेल से मालिकाना हक ट्रांसफर नहीं होता है तो इन डॉक्यूमेंट के क्या मायने हैं। दरअसल, पावर ऑफ अटार्नी भी कानूनी अधिकार देता है। दरअसल, यह डॉक्यूमेंट प्रॉपर्टी के असली मालिक के अलावा किसी अन्य व्यक्ति को संपत्ति खरीदने व बेचने का फैसला लेने का अधिकार देता है।

लेकिन, इसमें संपत्ति का मालिक दूसरा व्यक्ति नहीं बन जाता है। एग्रीमेंट टू सेल (agreement to sell) में खरीदार और विक्रेता के मध्य प्रॉपर्टी से संबंधित सभी डिटेल होती हैं। इसमें पेमेंट संबंधि भी सारी जानकारी होती है।

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