जमीन अधिग्रहण को लेकर Supreme Court का बड़ा फैसला, बताया- अब कैसे तय होगी मुआवजे की रकम
Supreme Court : देशभर में आधुनिकरण काफी तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में सरकार कई जगहों की जमीनों को अधिग्रहित कर रही है। जमीन अधिग्रहण के मामले में हाल ही में सुप्रीम कोर्ट (supreme court news) ने एक अहम फैसला सुनाया है। मामले की सुनवाई करते हुए अब सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि मुआवजे की रक्म कैसे तय की जाएगी। आइए विस्तार से जानते हैं कोर्ट के इस फैसले के बारे में।
HR Breaking News - (Supreme court decision) भारत की सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में भूमि अधिग्रहण के मामले में एक अहम फैसला सुनाया है। फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने इस बात को सपष्ट किया है कि अब जमीन अधिग्रहण पर मिलने वाला मुआवजा (Property Taken By Govt.) और उसकी ब्याज दरों को किस हिसाब से तय किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की वजह से देशभर के करोड़ों लोगों को राहत मिली है। खबर में जानिये भुमि अधिग्रहण से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के इस अहम फैसले के बारे में।
किसानों के लिए सुनाया अहम फैसला-
देश की शीर्ष अदालत ने हाल ही में किसानों (Update for farmers) के लिए जमीन अधिग्रहण को लेकर एक बड़ा और अहम फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले के दौरान जानकारी देते हुए बताया कि राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (National Highways Authority of India) (एनएचएआई) अधिनियम के तहत जिन किसानों की जमीन को अधिग्रहीत नहीं किया गया था, उन्हें मुआवजा एवं ब्याज पूर्व की तिथि से ही लागू करके दिया जाएगा।
एनएचएआई की याचिका को किया खारिज-
न्यायमूर्ति ने जानकारी देते हुए बताया है कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI new rule) की एक याचिका खारिज करते हुए इस फैसला को दिया है। एनएचएआई ने अपनी याचिका में 19 सितंबर, 2019 के उच्चतम न्यायालय (SC latest decision) के फैसले को भविष्य में लागू करने की मांग की गई थी। प्राधिकरण ने उन मामलों को दोबारा खोलने पर रोक लगाने की मांग भी की थी जहां भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही को पूरा किया जा चुका है। इसके बाद मुआवजे (Compensation on Land acquisition) का अंतिम निर्धारण किया जा चुका है।
सुप्रीम कोर्ट ने कही ये बड़ी बात-
पीठ ने फैसला देते हुए बताया कि कोर्ट को आवेदक की ओर से रखी दलीलों में कोई दम नहीं दिखता है। कोर्ट (court decision on Land acquisition) ने 2019 के तरसेम सिंह के एक मामले में ‘मुआवजा’ और ‘ब्याज’ की लाभकारी प्रकृति के बारे में स्थापित सिद्धांतों की पुष्टि की थी। विवेकपूर्ण विभेद के अभाव वाले अन्यायपूर्ण वर्गीकरण से बचने की जरूरतों पर भी बल दिया जा रहा है। नतीजतन, कोर्ट (SC latest update) द्वारा वर्तमान आवेदन को खारिज करना उचित समझते हैं।
भावी रूप से लागू नहीं होगा फैसला
कोर्ट ने जानकारी देते हुए बताया कि आवेदन में यह स्पष्टीकरण मांगा गया है कि तरसेम सिंह (tarsem singh case) मामले में आए निर्णय को सिर्फ भावी दृष्टि से लागू माना जाता है। लेकिन कोर्ट की राय में ऐसा स्पष्टीकरण देने से तरसेम सिंह निर्णय से दी जाने वाली राहत को प्रभावी रूप से खत्म कर दिया जाएगा। इस निर्णय (SC latest update) को भावी रूप से लागू करने पर स्थिति वैसी ही हो जाएगी जैसी निर्णय के पहले ही की गई थी।
इस परिस्थिति में मुआवजे से वंचित रहेगा किसान-
सुप्रीम कोर्ट ने उदाहरण देते हुए बताया कि 2019 के निर्णय को भावी रूप में प्रस्तुत किया जाता है, तो एक भूस्वामी की जमीन जो 31 दिसंबर, 2014 को अधिग्रहीत (Land acquisition rules) की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि वो किसान मुआवजा और ब्याज के लाभ से वंचित रहने वाले हैं। एक दिन बाद एक जनवरी, 2015 को अगर किसी किसान की जमीन अधिग्रहीत (Land acquisition rules in India) हुई थी तो उन किसानों को लाभ पाने का पूरा अधिकार है।
इन लोगों को होगा लाभ-
इन लोगों को वैधानिक लाभ पाने का पूरा हक होगा। पीठ (SC verdict on land acquisition) ने फैसले में स्पष्ट किया कि उसके 2019 के निर्णय का अंतिम परिणाम केवल उन पीड़ित भूमि स्वामियों को क्षतिपूर्ति और ब्याज देने तक ही सीमित किया गया था, जिनकी भूमि (land acquisition) 1997 और 2015 के बीच एनएचएआई ने अधिग्रहीत की गई थी। इसने किसी भी तरह से उन मामलों को फिर से खोलने का निर्देश नहीं दिया था जो पहले ही अंतिम रूप ले चुके थे।
