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UP News - 21 साल तक जमीन का कब्जा न देने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

UP News - इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 21 साल तक जमीन का कब्जा न देने पर बड़ा फैसला सुनाया है। वहीं कानपुर विकास प्राधिकरण (केडीए) पर पांच लाख रुपये हर्जाना लगाया है...आइए नीचे खबर में जाने इस मामले को विस्तार से। 

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HR Breaking News, Digital Desk- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जवाहर विद्या समिति के नाम आवंटित भूखंड का कब्जा न सौंपने और 21 सालों तक मुकदमेबाजी में उलझाकर परेशान करने पर कानपुर विकास प्राधिकरण (केडीए) पर पांच लाख रुपये हर्जाना लगाया है। कोर्ट ने निर्देश दिया कि वह एक हफ्ते में हर्जाना राशि जवाहर विद्या समिति को बैंक ड्राफ्ट के जरिए सौंपे।

इस मामले में जिला उपभोक्ता संरक्षण फोरम की ओर से जारी गैर जमानती वारंट के खिलाफ केडीए ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी जिसे खारिज कर दिया गया। यह आदेश न्यायमूर्ति एस पी केशरवानी तथा न्यायमूर्ति अनीस कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने दिया है।
केडीए ने 19 जनवरी 1984 को जवाहर विद्या समिति के नाम जूही कॉलोनी कानपुर नगर में भूखंड संख्या 70 आवंटित किया था। 99 साल की लीज दी गई किंतु कब्जा नहीं सौंपा गया। समिति ने जिला उपभोक्ता संरक्षण फोरम में शिकायत की। फोरम ने जवाहर विद्या समिति को बकाया मय ब्याज एक माह में जमा करने का आदेश दिया और कहा इसके दो माह में लीज पंजीकृत की जाय।

इस आदेश के खिलाफ प्राधिकरण ने राज्य फोरम में अपील दाखिल की जो खारिज हो गई। इसके बाद राष्ट्रीय फोरम में पुनरीक्षण में चुनौती दी। जो कि खारिज हो गई। इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। वह भी खारिज कर दी गई। इसके बाद भी प्राधिकरण ने समिति को कब्जा नहीं दिया गया।

कहा कि स्थानीय लोग उस जमीन को पार्क के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं तो जिला फोरम में निष्पादन वाद दायर किया गया, जो लंबित है।इधर, प्राधिकरण ने समिति का आवंटन निरस्त करने का प्रस्ताव किया। कहा नौ फीसदी ब्याज सहित जमा पैसा वापस करेंगे। समिति ने याचिका में चुनौती दी तो प्राधिकरण ने हाईकोर्ट में कहा कि जमीन पार्क घोषित हो गयी है। समिति को दूसरी जगह जमीन देंगे। इसका भी प्राधिकरण ने पालन नहीं किया। जिस पर जिला फोरम ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 72 के तहत प्राधिकरण से 10 दिन में सफाई मांगी है।

फोरम ने केडीए वीसी उपस्थित नहीं होने पर गैर जमानती वारंट जारी किया है। विपक्षी समिति के अधिवक्ता आशीष शुक्ला ने बताया कि फोरम ने थानाध्यक्ष स्वरूपनगर को वारंट तामील करने का आदेश दिया है। इस धारा में एक माह से एक साल की सजा व 25 हजार से एक लाख तक जुर्माने की सजा हो सकती है। इसे प्राधिकरण ने चुनौती दी थी। कोर्ट ने कहा पिछले 21 साल से याची विपक्षी समिति को परेशान कर रहा है और पट्टे के बावजूद प्लॉट पर कब्जा नहीं दिया। इस पर कोर्ट ने भारी हर्जाना लगाया है।