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UP Railways : यूपी का इकलौता रेलवे स्टेशन, जहां से मिल जाती है देश के हर हिस्से के लिए ट्रेन

भारत के सबसे बड़े राज्यों में शामिल उत्तर प्रदेश के एक शहर से आप ट्रेन के माध्यम से देश के लगभग हर कोने में आसानी से पहुंच सकते हैं। आइए जानते हैं इसके बारे में।

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HR Breaking News (नई दिल्ली)।  देश में ट्रेन एक ऐसे माध्यम है जिसके द्वारा एक शहर से दूसरे शहर और एक राज्य से दूसरे राज्य में जाना बहुत आसान होता है। ट्रेन से सफर करना बहुत सस्ता और सुरक्षित माना जाता है। 

 

 

 

 

दक्षिण भारत से लेकर उत्तर भारत और पूर्व भारत से पश्चिम भारत में घूमने या किसी काम से जाना होता है, तो सबसे पहले ट्रेन की ही बात होती है। इसलिए भारतीय ट्रेन देश के लिए लाइफ लाइन मानी जाती है।

देश में ऐसे कई रेलवे स्टेशन है जहां से कई शहर और कई राज्यों में जाने के लिए ट्रेन मिलती है। ऐसे में हम आपको उत्तर प्रदेश के एक ऐसे रेलवे स्टेशन के बारे में बताने जा रहे हैं जहां से देश के हर हिस्से में जाने के लिए ट्रेन मिलती है। आइए जानते हैं।

इस जंक्शन से मिलती है देश के हर हिस्से में जाने के लिए ट्रेन


उत्तर प्रदेश के जिस रेलवे स्टेशन (Railway station) से देश के हर हिस्से में जाने के लिए ट्रेन मिलती है उसका नाम मथुरा जंक्शन है। कहा जाता है कि यह देश के सबसे व्यस्त रेलवे स्टेशन में से एक है। कहा जाता है कि मथुरा से देश के किसी भी कोने में जाना हो तो यहां से हर घंटे कोई न कोई ट्रेन मिल जाती है। मथुरा जंक्शन को देश के सबसे बड़े रेवले स्टेशन में से भी एक माना जाता है।


मथुरा जंक्शन से इन रूट की ट्रेन निकलती है


मथुरा जंक्शन एक ऐसा रेवले स्टेशन है जो उत्तर मध्य भारत के आता है और विभिन्न राज्य और शहरों के लिए यहां से ट्रेन पकड़ी जा सकती है। यहां से यूपी, राजस्थान हरियाणा और पंजाब समेत कई अन्य राज्यों के लिए ट्रेनें आसानी से मिल जाती हैं।

कहा जाता है कि दक्षिण में जाने वाली लगभग हर ट्रेन दिल्ली होती हुई मथुरा और फिर मथुरा से किसी अन्य राज्य में जाती है। इसके अलावा इस जंक्शन से पूर्व, पश्चिम और उत्तर भारत के अन्य राज्यों के लिए भी ट्रेन मिलती है। कहा जाता है कि यहां से उत्तर भारत और दक्षिण भारत के लिए 7 अलग-अलग रूट की ट्रेनें निकलती हैं। 

हर रोज 190 से अधिक ट्रेन गुजरती है मथुरा जंक्शन से


देश के सबसे व्यस्त रेलवे स्टेशन में शामिल मथुरा जंक्शन (Mathura Junction) से हर रोज 190 से भी अधिक ट्रेनें गुजरती हैं। यहां मौजूद 10 प्लेटफार्म से हर रोज दिल्ली से तमिलनाडु,  केरल,आंध्रा प्रदेश, बिहार, ओडिशा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ समेत कई अन्य राज्यों में जाने वाली ट्रेन गुजरती है।

मथुरा जंक्शन से कौन-कौन सी ट्रेनें गुजरती हैं?


मथुरा जंक्शन से सिर्फ पैसेंजर गाड़ी ही नहीं, बल्कि कई हाई स्पीड वाली ट्रेनें भी गुजरती हैं। इसमें शताब्दी, जन शताब्दी, गरीब रथ, मेल एक्सप्रेस, संपर्क क्रांति और सुपर फास्ट ट्रेनें आदि गुजरती हैं। इसके अलावा हर दिन कई माल ट्रेन भी गुजरती रहती है। ऐसे में आप यहां से देश के किसी भी हिस्से में जाने के लिए ट्रेन पकड़ सकते हैं।

मथुरा जंक्शन का इतिहास क्या है?


मथुरा का इतिहास पौराणिक काल से बेहद ही खास रहा है। कृष्ण नगरी होने के चलते यहां हर रोज लाखों देशी और विदेशी सैलानी भगवान कृष्ण जी का दर्शन करने पहुंचते हैं। कहा जाता है कि मथुरा जंक्शन पर पहली बार 1875 में ट्रेन चली थी।

भारत का सबसे बड़ा रेलवे स्‍टेशन

यह तो हम सब जानते हैं कि भारत देश का सबसे लंबा रेलवे स्‍टेशन गोरखपुर है, लेकिन क्‍या आप यह जानते हैं कि भारत का सबसे बड़ा रेलवे स्‍टेशन कौन सा है। हावड़ा जंक्शन भारत का सबसे बड़ा रेलवे स्टेशन है। यहां एक, दो या तीन नहीं बल्कि पूरे 23 प्‍लेटफॉर्म हैं और 26 रेल लाइन बिछी हुई हैं।


जानकारी के लिए बता दें कि सबसे बड़ा स्टेशन (biggest station) होने के साथ ही इसे भारत का सबसे व्‍यस्‍त रेलवे स्‍टेशन का भी दर्जा प्राप्‍त है। यह स्टेशन हुगली नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है। यहां से हर रोज करीब 600 ट्रेनें गुजरती हैं, जिसमें हर दिन लगभग 10 लाख लोगों की आवाजाही है। आप पहली बार इस रेलवे स्‍टेशन पर जाएंगे, तो लगेगा जैसे पूरा शहर यहां समा गया है। तो चलिए जानते हैं, भारत के सबसे बड़े रेलवे स्टेशन के बारे में जरूरी बातें। 


इस रेलवे स्टेशन का बांग्‍लादेश से है सीधा रेल संपर्क​


आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हावड़ा जंक्शन (Howarh junction) भारत के सबसे बड़े और पुराने रेलवे स्‍टेशनों में से एक है। इस स्‍टेशन का निर्माण सन्1854 में ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा किया गया था। अंग्रेजों के जमाने का यह रेलवे स्‍टेशन आज तके वैसे ही खड़ा है। इसका नाम हावड़ शहर के नाम पर रखा गया था। भारत का यह इकलौता रेलवे स्टेशन है, जिसका रेल संपर्क सीधे बांग्‍लादेश से है। मैत्री एक्‍सप्रेस जो सीधे कोलकाता से ढाका के बीच चलती है , दोनों शहरों को जोड़ती है। 


क्रांतिकारियों का क्रेंद हुआ करता था ये स्टेशन


चूंकि, यह रेलवे स्‍टेशन ब्रिटिश काल (British period railway station) से जुड़ा है। इसलिए कभी यह जंक्शन क्रांतिकारियों का केंद्र हुआ करता था। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान उनकी मीटिंग और सभी योजनाएं यहीं तैयार होती थीं। प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी योगेश चंद्र चटर्जी को काकोरी कांड से पहले हावड़ा स्टेशन पर ही गिरफ्तार किया गया था।


बेहद खूबसूरत है हावड़ा जंक्‍शन ​


देश के सबसे बड़े स्टेशन हावड़ा जंक्शन को सबसे खूबसूरत स्टेशन (Howrah Junction beautiful station) का भी दर्जा प्राप्‍त है। बाहर से ही नहीं भीतर से भी यह स्‍टेशन विदेश के स्‍टेशनों से कम नहीं लगता। कोलकाता का यह रेलवे स्‍टेशन टर्मिनल 1 और टर्मिनल 2 नाम से भी जाना जाता है। बता दें कि इस जंक्‍शन पर एकसाथ एक ही समय पर कई ट्रेनें खड़ी की जा सकती है। यह क्षमता शायद ही भारत के किसी अन्‍य रेलवे स्‍टेशन की हो।


कैसे पहुंचे ​हावड़ा


हवाई मार्ग: बता दें कि कोलकाता हवाई अड्डा हावड़ा का पास का हवाई अड्डा है। यह एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है जहां से आप कई घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानें ले सकते हैं। इस हवाई अड्डे को काफी अच्छे से बनाया गया है। जो यात्रियों को सुविधाएं और सेवा प्रदान करता है।

रेल द्वारा: हावड़ा रेलवे स्टेशन की भारत के सभी प्रमुख शहरों से बहुत अच्छी कनेक्टिविटी है। यहां से भी बड़े आराम से जा सकते हैं।

सड़क मार्ग : राज्य परिवहन की बसों के साथ-साथ निजी बसें शहर को देश के कई अन्य शहरों से जोड़ती हैं। आप हावड़ा से कोलकाता (10 किमी), खड़गपुर (110 किमी), दुर्गापुर (150 किमी), जमशेदपुर (230 किमी) के लिए काफी आसानी से बसें ले सकते हैं।

इकलौता रेलवे स्टेशन जिसका नही है कोई नाम


जब भी आप ट्रेन से यात्रा करते है तो स्‍टेशन पर एक साइन बोर्ड (sign board at the station) लगा होता है जिस पर स्‍टेशन का नाम अंकित होता है. नाम को पढ़कर ही आप समझ जाते हैं कि ट्रेन कहां पहुंची है. लेकिन अगर हम आपसे कहें कि एक स्‍टेशन ऐसा भी है जिसका कोई नाम ही नहीं है, तो क्‍या आप यकीन करेंगे? जाहिर सी बात है कि नहीं करेंगे... लेकिन ये बिलकुल सच है. ये स्‍टेशन पश्चिम बंगाल में पड़ता है. यहां जानिए इस स्‍टेशन का नाम न होने (Reason for not having station name) की दिलचस्‍प वजह.

कोई नाम न होने की ये है वजह


आपको बता दें कि ये रेलवे स्टेशन पश्चिम बंगाल के बर्धमान जिले से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. बांकुरा-मैसग्राम रेल लाइन पर स्थित यह स्टेशन दो गांवों रैना और रैनागढ़ के बीच (The station is between two villages Raina and Rainagarh.) में पड़ता है. रैना और रैनागढ़ के बीच में होना ही इसका नाम न होने की वजह है.और ऐसा कहा जाता है कि इस स्‍टेशन को 2008 में तैयार किया गया था. उस समय इस स्‍टेशन का नाम रैनागढ़ रखा गया. लेकिन इस स्टेशन की बिल्डिंग का निर्माण रैना गांव की जमीन पर किया गया था, इसलिए रैना गांव के लोगों को ये बात अच्‍छी नहीं लगी और इसके नाम को लेकर विवाद छिड़ गया. 

विभाग ने साइन बोर्ड से  मिटा दिया नाम


रैना गांव के लोगों का कहना था कि इस स्‍टेशन का नाम रैना (Station name Raina) होना चाहिए, जबकि रैनागढ़ वालों का कहना था इसके नाम को नहीं बदला जाए. ये विवाद इतना बढ़ गया कि रेलवे बोर्ड तक पहुंच गया. इस विवाद के चलते रेलवे ने यहां लगे सभी साइन बोर्ड्स से स्टेशन का नाम मिटा दिया. इसके कारण स्‍टेशन पर आने वाले सभी यात्रियों को काफी समस्‍या होती है. जो भी यात्री यहां आता है, बिना नाम का साइन बोर्ड को देखकर हैरान रह जाता है और कन्‍फ्यूजन पैदा हो जाती है कि वो सही जगह आया है या नहीं. हालांकि रेलवे की तरफ से आज भी स्‍टेशन का टिकट रैनागढ़ (Rainagarh Railway station) के नाम से ही जारी किया जाता है.