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Business Idea: क्यों लगना चाह रहे हो नौकरी?, करें ये बिजनेस हर महीने लाखों में होगी कमाई

New Business Idea/Cumin Farming: आज हम आपको ऐसी खेती के बारे में बताना चाह रहे हैं, जिसकी खेती कर कई किसान खुशहाल हो गए हैं। इस खेती को अपनाकर आप लाखों रुपये की आमदन ले सकते हैं। जानें इसके बारे में पूरी जानकारी.. 
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क्यों लगना चाह रहे हो नौकरी?, करें ये बिजनेस हर महीने लाखों में होगी कमाई
                    

HR Breaking News,(डिजिटल डेस्क):  रसोई में कोई भी सब्जी बनानी हो या अन्य कोई पकवान सभी में जीरे(cumin ) का प्रयोग किया जाता है। इसके बगैर इसके सारे मसालों का स्वाद फीका सा लगता है। जीरे को भूनकर छाछ, दही आदि में स्वाद बढ़ाने के प्रयोग होता है। भी डाल जाता है। ये न केवल आपके स्वाद को बढ़ता है, बल्कि स्वास्थ्य की दृष्टि से भी इसका सेवन काफी फायदेमंद है। यदि इसकी उन्नत तरीके से खेती(Cumin Farming)  की जाए तो इसका बेहतर उत्पादन कर अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। आइए जानते हैं जीरे की खेती(Cumin Cultivation) का तरीका और इस दौरान ध्यान रखने वाली बातों के बारें में ताकि किसान भाइयों को इसकी खेती से लाभ मिल सके।

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कहां-कहां होता है इसका का उत्पादन 


देश का 80 प्रतिशत से अधिक जीरा गुजरात व राजस्थान राज्य में उगाया जाता है। राजस्थान में देश के कुल उत्पादन का लगभग 28 प्रतिशत जीरे का उत्पादन किया जाता है तथा राज्य के पश्चिमी क्षेत्र में कुल राज्य का 80 प्रतिशत जीरा पैदा होता है लेकिन इसकी औसत उपज (380 कि.ग्रा.प्रति हे.) पडौसी राज्य गुजरात (550 कि.ग्रा.प्रति हेक्टेयर) के अपेक्षा काफी कम है।

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जीरे की उन्नत किस्में और उनकी विशेषताएं

  • आर जेड-19 : जीरे की यह किस्म 120-125 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इससे 9-11 क्विंटल तक प्रति हैक्टेयर तक उत्पादन प्राप्त होता है। इस किस्म में उखटा, छाछिया व झुलसा रोग कम लगता है।
  • आर जेड- 209 : यह भी किस्म 120-125 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इसके दाने मोटे होते हैं। इस किस्म से 7-8 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक उपज प्राप्त होती है। इस किस्म में भी छाछिया व झुलसा रोग कम लगता है।
  • जी सी- 4 : जीरे की ये किस्म 105-110 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इसके बीज बड़े आकार के होते हैं। इससे 7-9 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। यह किस्म उखटा रोग के प्रति संवेदशील है।
  • आर जेड- 223 : यह किस्म 110-115 दिन में पककर तैयार हो जाती है। जीरे की इस किस्म से 6-8 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। ये किस्म उखटा रोग के प्रति रोधक है। इसमें बीज में तेल की मात्रा 3.25 प्रतिशत होती है।

 कैसे करें जीरे की खेती ?

जीरे की खेती के लिए सबसे पहले खेत की तैयारी करें। इसके लिए मिट्टी पलटने वाले हल से एक गहरी जुताई तथा देशी हल या हैरो से दो या तीन उथली जुताई करके पाटा लगाकर खेत को समतल कर लेना चाहिए। इसके बाद 5 से 8 फीट की क्यारी बनाएं। ध्यान रहे समान आकार की क्यारियां बनानी चाहिए जिससे बुवाई एवं सिंचाई करने में आसानी रहे। इसके बाद 2 किलो बीज प्रति बीघा के हिसाब से लेकर 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम नामक दवा से प्रति किलो बीज को उपचारित करके ही बुवाई करें। बुवाई हमेशा 30 सेमी दूरी से कतारों में करें। कतारों में बुवाई सीड ड्रिल से आसानी से की जा सकती है।

कब-कब करें सिंचाई


जीरे की बुवाई के तुरन्त बाद एक हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए। जीरे की बुवाई के 8 से 10 दिन बाद दूसरी एक हल्की सिंचाई दे जिससे जीरे का पूर्ण रूप से अंकुरण हो पाए। इसके बाद आवश्यकता हो तो 8-10 दिन बाद फिर हल्की सिंचाई की जा सकती है। इसके बाद 20 दिन के अंतराल पर दाना बनने तक तीन और सिंचाई करनी चाहिए। ध्यान रहे दाना पकने के समय जीरे में सिंचाई नहीं करनी चाहिए ऐसा करने से बीज हल्का बनता है।

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जीरे की खेती से मुनाफा


 कमाई के लिहाज से भी जीरा काफी लाभ देने वाला है। अभी जीरे का दाम 200 रुपये प्रत‍ि क‍िलोग्राम से भी अध‍िक है, ऐसे में इसकी खेती बंपर प्रॉफ‍िट दे सकती है। ऐसे में 5 एकड़ से दो सवा दो लाख रुपये कमाई होती है।