High Court : सरकारी कर्मचारियों के मनचाहे ट्रांसफर के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला
Allahabad High Court Decision : शिक्षकों ने ट्रांसफर को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दर्ज करवाई थी। जिसमें शिक्षकों का कहना था कि उनके ट्रांसफर मनपसंद जिले में ही किए जाने चाहिए। अब हाल ही में इस मामले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है।
HR Breaking News (ब्यूरो)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि स्थानांतरण नीति प्रशासनिक होती है। यह कोई वैधानिक प्रावधान नहीं, जिसे न्यायालय से लागू कराया जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि किसी को मनपसंद जिले में स्थानांतरण का मूल अधिकार नहीं है।
इसी के साथ कोर्ट ने प्रधानाध्यापिकाओं का अंतर्जनपदीय स्थानांतरण निरस्त करने के आदेश पर हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने श्रद्धा यादव, मिथिलेश यादव, मीनाक्षी गुप्ता और विवेक कुमार श्रीवास्तव व अन्य कई की याचिकाओं पर दिया है। कोर्ट ने कहा कि न्यायालय स्थानांतरण नीति में सामान्यतया तब तक हस्तक्षेप नहीं करता, जब तक कि मनमानी न हो। कोर्ट ने स्थानांतरण नीति के खंड 5 को अधिक स्पष्ट करने पर बल दिया।
मामले के तथ्यों के अनुसार अपर मुख्य सचिव ने दो जून 2023 को 2023-24 की अंतर्जनपदीय स्थानांतरण नीति जारी की। याचियों ने ऑनलाइन आवेदन किया और उनके स्थानांतरण कर दिए गए लेकिन कार्यमुक्त नहीं किया गया। इस पर याचिकाएं की गईं। बेसिक शिक्षा परिषद ने स्थानांतरण निरस्त कर दिया। कहा गया कि याची पदोन्नत होकर प्रधानाध्यापक हो चुके हैं।
जिन जिलों में इनका स्थानांतरण किया गया है, वहां इन्हीं के बैच के सहायक अध्यापक कार्यरत हैं। यदि याचियों का स्थानांतरण किया गया तो असहज स्थिति होगी। सहकर्मी के साथ असमंजसता के कारण कार्य करने में प्रतिकूलता होगी। ऐसे में यह नहीं कह सकते कि स्थानांतरण निरस्त करना न्यायसंगत नहीं है और स्थानांतरण निरस्त नहीं किया जा सकता। सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।