fixed deposit : अलग अलग बैंक में FD कराने पर ज्यादा ब्याज समेत मिलते हैं ये 4 बड़े फायदे, निवेश करने से पहले जान लें ये जरूरी बात
FD Benefits : आजकल एफडी में निवेश को सबसे सुरक्षित व शानदार रिटर्न वाला ऑप्शन माना जाता है। इसी कारण अनेक लोग बैंक में एफडी कराने लगे हैं, लेकिन ज्यादातर लोग एक ही बैंक में एक ही एफडी (bank FD rules) कराते हैं। इसके बजाय अलग अलग बैंकों में FD कराने के उससे भी ज्यादा फायदे हैं। इससे ज्यादा ब्याज (FD interest rates) तो मिलता ही है, इसके अलावा 4 बड़े फायदे भी मिलते हैं। अगर आप एफडी में निवेश करने जा रहे हैं तो इन बातों को जरूर जान लें।

HR Breaking News - (Fixed deposit)। एफडी में निवेश करने का प्लान बना रहे लोगों के लिए यह खबर बेहद खास है। अधिकतर लोग इस बात से तो वाकिफ हैं कि एक ही बैंक में एफडी (bank FD ke fayde) कराने के क्या फायदे हैं, लेकिन अलग अलग बैंकों में एफडी कराने के 4 और बड़े बेनेफिट्स के बारे में अनजान ही हैं।
अलग अलग बैंकों में एफडी कराने से अधिक ब्याज लेकर ज्यादा रिटर्न (FD return) तो मिलता ही है, साथ ही इस तरीके से निवेश करके कई और भी फायदे उठा सकते हैं। आइये जानते हैं इस बारे में विस्तार से खबर में।
जोखिम हो जाता है कम
अलग-अलग बैंकों में एफडी (bank FD news) कराने से जोखिम कम होता है और ब्याज दरें घटने-बढ़ने पर रिटर्न पर विपरीत असर नहीं पड़ता। अलग-अलग अवधि की एफडी (bank FD benefits) अलग अलग बैंक में कराकर कई फायदे ले सकते हैं।
अगर आपको चार लाख रुपये निवेश करने हैं तो 1-1 लाख रुपये की चार एफडी (fixed deposit rules) कराएं। इनकी अवधि 1, 2, 3 और 4 साल रख लें। इससे आपको यह फायदा होगा कि 1 साल वाली एफडी मच्योर होने पर उसे 4 साल की एफडी में फिर से इनवेस्ट (FD investment) कर सकते हैं। इससे अप डाउन होने वाली ब्याज दरें बैलेंस हो जाएंगी।
हर साल मिलेगा पैसा
एक और फायदा यह होगा कि एक-एक साल के बाद आपकी एफडी मच्योर होती रहेंगी और आपको हर साल पैसा मिलता रहेगा। बता दें कि अलग-अलग बैंक में एफडी (FD ke fayde) पर मिलने वाला ब्याज अलग अलग होता है।
इसलिए किसी बैंक में आपको एफडी पर कम ब्याज (FD par byaj) मिल रहा है तो दूसरे में ज्यादा ब्याज मिल जाएगा और आपको अच्छा रिटर्न मिलेगा व औसतन ब्याज दरें भी अच्छी खासी होंगी।
FD की अवधि चुनकर ऐसे उठाएं फायदा
एफडी में अवधि व ब्याज दरें (FD interest rates ) सबसे अधिक मैटर करती हैं। पैसों की जरूरत में बीच में आपको एफडी तोड़नी पड़ गई तो कम रिटर्न मिलेगा। एफडी ब्रेक करने पर बैंक ब्याज दरों में कटौती करके पेनाल्टी (penalty on FD breaking) लगा देते हैं। इससे आपको नुकसान ही होगा। इसलिए अधिक लंबी अवधि वाली एफडी (FD tenure) में पैसा लगाने से बचना चाहिए।
टीडीएस भरकर ऐसे ले सकते हैं रिफंड
एफडी पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स (tax rules on FD) चुकाना होता है। सालभर में ब्याज की रकम 10 हजार रुपये से ज्यादा होती है तो इस पर टैक्स देना होगा। टीडीएस (FD TDS rules) न काटे जाने की स्थिति में बॉन्ड्स और एफडी से होने वाली आमदनी को आयकर रिटर्न (income tax return) में दिखाना जरूरी होता है।
अगर आपकी आय टैक्सेबल इनकम (taxable income) से कम है तो आयकर रिटर्न जमा करके टीडीएस कटने पर उसका रिफंड (TDS refund rules) भी ले ले सकते हैं।
इस तरह की एफडी में अधिक फायदा
एफडी भी दो तरह की होती हैं, एक तो बैंक एफडी और दूसरी कॉरपोरेट एफडी। बैंक एफडी (bank FD news) है तो डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन (DICGC) बैंक डूबने पर अधिकतम 5 लाख रुपए की गारंटी देता है, लेकिन कॉरपोरेट एफडी (corporate FD) में कोई गारंटी नहीं होती। इसलिए 20 लाख रुपए को अलग-अलग बैंकों में निवेश किया जाए तो सही रहता है।
यह अंतर है बैंक एफडी और कॉर्पोरेट एफडी में
कॉर्पोरेट एफडी (Fixed Deposit) को कंपनी एफडी भी कहा जाता है, इसमें कंपनियां और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (NBFC) एक निश्चित अवधि के लिए पैसे जमा करती हैं और ब्याज देती हैं।
वैसे तो यह बैंक एफडी की तरह ही होती है और ब्याज (bank FD interest rates) भी अच्छा मिल सकता है पर इसमें कंपनी डूबने पर पैसों की वापसी की कोई गारंटी नहीं होती।