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Home Loan : होम लोन देते वक्त बैंक चुपके से वसूलते हैं ये 5 चार्जेज, लोन लेने वाले जान लें ये जरूरी बात

Home Loan Charges : होम लोन देते समय बैंक ब्याज दरें निर्धारित करने के अलावा कई तरह की फीस और चार्ज भी ग्राहक से वूसल करता है। कई चार्ज तो ऐसे होते हैं जिनके बारे में लोन लेने वाले को पता ही नहीं होता और न ही बैंक इनके बारे में कोई जिक्र करते यानी ये चार्ज (Home Loan Hidden Charges) चुपके से वसूल लिए जाते हैं। अगर लोन लेने का प्लान कर रहे हैं तो इन चार्जेज के बारे में जरूर जान लें।

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Home Loan : होम लोन देते वक्त बैंक चुपके से वसूलते हैं ये 5 चार्जेज, लोन लेने वाले जान लें ये जरूरी बात

HR Breaking News - (Home loan Fees)। होम लोन लेने के बाद इसे चुकाना एक चुनौती भरा काम है, इसकी ईएमआई (home loan EMI)  में ही ब्याज के रूप में काफी पैसा चुकाना होता है। इतना ही नहीं लोन लेने से पहले ही ग्राहक को इतने चार्ज (home loan par charge) देने पड़ते हैं कि उसमें मोटी रकम चली जाती है।

हैरानी की बात तो यह है कि इन चार्जेज के बारे में बैंक (bank charges on home loan) वाले भी नहीं बताते और चुपके से पैसे वसूल लेते हैं, इसलिए इन्हें हिडन चार्जेज भी कहा जाता है। आइये जानते हैं इन चार्जेज के बारे में।


एप्लीकेशन फीस -


जब बैंक में लोन के लिए अप्‍लाई करते हैं तो यह सबसे पहले लिया जाने वाला चार्ज (home loan bank charges) होता है। बैंक अनुसार यह अलग-अलग होता है, इसे लॉगिन  चार्ज भी कहा जाता है। जब लोन अप्रूव हो जाता है तो इसे लोन की प्रोसेसिंग फीस (home loan processing fees) में एड कर दिया जाता है। लोन अप्रूव नहीं हुआ तो बैंक इसे आवेदन शुल्क के रूप में रख लेते हैं।

लोन प्रीपेमेंट करने पर फोरक्लोजर चार्ज -


फ्लोटिंग रेट पर होम लोन लेने के बाद इसे समय से पहले चुकाते हैं तो आमतौर पर चार्ज नहीं लिया जाता। इसके बजाय फिक्‍स्‍ड रेट पर होम लोन लिया है और इसे समय से पहले चुकाते हैं तो बैंक फोरक्‍लोजर चार्ज (home loan foreclosure fees) लेकर अपने बेनेफिट को पूरा करते हैं। इसे लेकर बैंकों के नियम अलग अलग हो सकते हैं।


स्विचिंग चार्ज -


लोन देते समय बैंक ग्राहक को ब्याज दरें (home loan interest rates) निर्धारित करने के लिए फ्लोटिंग रेट लोन और फिक्‍स्‍ड रेट लोन का ऑप्शन देते हैं। इनमें से कोई एक चुनना होता है। बाद में अगर कोई ग्राहक इसे चेंज कराना चाहे तो बैंक इसके बदले स्विचिंग चार्ज (switching charge) वसूलते हैं। यह ब्याज दरें चेंज कराते समय बची हुई लोन राशि का 0.25 प्रतिशत से लेकर 3 प्रतिशत तक का हो सकता है।

रिकवरी चार्ज -


बैंक से लोन लेने के बाद कोई इसे नहीं चुकाता है तो बैंक लोनधारक को डिफॉल्‍टर (loan defaulter) घोषित कर देता है। इसके बाद बैंक लोन राशि वसूलने के लिए ग्राहक के खिलाफ लोन राशि की रिकवरी (loan recovery charges) करने के लिए कार्रवाई करता है। रिकवरी कार्रवाई की इस प्रक्रिया में जितना पैसा खर्च होता है, वह भी रिकवरी चार्ज के रूप में ग्राहक से वसूला जाता है। लोन की मूल राशि नीलामी प्रक्रिया (property auction rules) से वसूल की जाती है।


ऑब्जरवेशन फीस-


घर खरीदने के लिए जब होम लोन (home loan all charges)  लेते हैं तो बैंक की ओर से उस घर की वैल्यूएशन के लिए बैंक (bank news) की टीम आती है। यह प्रोपर्टी की वैधानिक अप्रूवल, लेआउट अप्रूवल, कंस्ट्रक्शन मानदंड आदि पर संपत्ति की वैल्यू (property valuation) तय करते हैं।

इसमें यह देखा जाता है कि जितने का होम लोन लिया जा रहा है, उतने का वह घर या प्रोपर्टी है भी या नहीं। इस ऑब्जरवेशन कार्य के लिए बैंक निरीक्षण शुल्‍क (property observtion fees) ग्राहक से ही लेते हैं। इस फीस को कुछ बैंक प्रोसेसिंग फीस में जोड़ते हैं तो कुछ बैंक अलग से वसूलते हैं। 

लीगल फीस -


संपत्ति में कानूनी पेंच फंसा है या नहीं, इसे चेक करने के लिए लीगल फीस (home loan legal fees) ली जाती है। बैंक कानूनी जानकारों को यह जिम्मेदारी देते हैं। ये विशेषज्ञ टाइटल डीड, प्रॉपर्टी ओनरशिप हिस्ट्री और डिप्रिसिएशन, नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC), ऑक्यूपेंसी प्रमाण पत्र आदि प्रोपर्टी डॉक्यूमेंट्स (property documents) की जांच करते हैं।

इसके बाद वे बैंक को लोन देने या न देने के बारे में बताते हैं। प्रोपर्टी पाक साफ है या नहीं, ये विशेषज्ञ ही बैंक (bank loan charges) को बताते हैं। इसके बदले वे लीगल फीस लेते हैं, जो होम लोन लेने वाले ग्राहक से वसूली जाती है।