House Rent Rule : किराएदार नहीं दे रहा किराया तो ना करें बहस, ये काम कर लेंगे तो भागा-भागा आएगा पैसा देने
House Rent Rule : मकान मालिक और किरायेदार के बीच आपसी विवाद (mutual dispute) आम बात है, खासकर जब किरायेदार समय पर किराया नहीं चुकाता. यदि आपका किरायेदार (tenant) किराया देने से इंकार कर रहा है, तो आप सिर्फ ये काम करें... भागा-भागा आएगा आपको पैसा देने...

HR Breaking News, Digital Desk- (House Rent Rule) मकान मालिक और किरायेदार के बीच विवाद अक्सर होता है, खासकर जब किरायेदार समय पर किराया नहीं चुकाता. यदि आपका किरायेदार किराया देने से इंकार कर रहा है, तो झगड़ने के बजाय legal तरीके अपनाना बेहतर है. इसके लिए आपको कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल करते हुए बकाया धन वसूलने का प्रयास करना चाहिए. कई तरीके हैं जिनसे आप किरायेदार से अपना किराया वसूल सकते हैं, जैसे नोटिस देना या कानूनी कार्रवाई करना.
किरायेदार से किराया वसूलने में मकान मालिक और किराएदार के बीच हुआ रेंट एग्रीमेंट बहुत काम आता है. इस दस्तावेज में ही किराये की राशि, देय तिथि और भुगतान न करने के परिणाम शामिल हैं. यह दस्तावेज़ ही मकान मालिक (landlord) द्वारा की जाने वाली किसी भी कानूनी कार्रवाई का आधार होता है.
किरायेदारी के दौरान, मकान मालिक आमतौर पर किरायेदार से सुरक्षा राशि लेते हैं, जिसे सिक्योरिटी डिपॉजिट कहा जाता है. यह राशि किराया न चुकाने या संपत्ति (property) को नुकसान पहुंचाने पर वसूलने में मदद करती है. यह मकान मालिक के लिए वित्तीय सुरक्षा का काम करती है. यदि किरायेदार किराया देने में आनाकानी करता है, तो मकान मालिक उसे सूचित कर सकते हैं कि वे इस सिक्योरिटी राशि (security amount) से किराए की रकम काट लेंगे.
पहले दें कानूनी नोटिस-
अगर किरायेदार निश्चित तारीख पर किराया नहीं देता है, तो किराये की वसूली के लिए आप कानूनी नोटिस भी भेज सकते हैं. नोटिस में बकाया किराए (Unpaid Rent) का डिटेल, भुगतान की समय सीमा और गैर-अनुपालन के परिणाम शामिल होने चाहिए. सुनिश्चित करें कि नोटिस इंडियन कॉन्ट्रैक्ट एक्ट (Indian contract act) 1872 के तहत बताई गई सभी कानूनी शर्तों के अनुरूप हो.
कोर्ट में करें केस-
अगर किरायेदार कानूनी नोटिस देने के बाद भी किराया (rent) नहीं देता है, तो आप अदालत में केस दायर कर सकते हैं. शुरू में आपको निचली अदालत में ही केस दायर करना होगा. अगर आप किराया पाने के हकदार होंगे और आपने कांट्रेक्ट (contract) की सभी शर्तों को पूरा किया होगा तो कोर्ट आपके पक्ष में फैसला सुना देगी.
बेदखली कार्यवाही-
अगर किरायेदार निरंतर किराया नहीं चुका रहा है, तो आप बेदखली की प्रक्रिया प्रारंभ कर सकते हैं. भारत में बेदखली कानून विभिन्न राज्यों में अलग हैं. किरायेदार को संपत्ति (property to tenant) से निकालने के लिए बेदखली याचिका दायर करने से पहले एक सक्षम अधिवक्ता से सलाह लेना महत्वपूर्ण है. इससे आपको कानूनी प्रक्रिया (legal process) को समझने और सही तरीके से कार्यवाही करने में मदद मिलेगी। उचित मार्गदर्शन आपके अधिकारों की सुरक्षा में सहायक होगा.