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पत्नी के गोल्ड, पैसे और संपत्ति में पति का कितना अधिकार, Supreme Court का ऐतिहासिक फैसला

Husband's right in wife's property - इस बात में कोई दौराय नहीं है कि भारतीय कानून में महिलाओं को संपत्ति में पुरूषों के बराबर अधिकार होता है। लेकिन अब सवाल ये उठता है कि जब एक महिला शादी कर अपने ससुराल जाती है तो वहां महिला के गोल्ड, पैसे ओर संपत्ति में उसके पति का कितना अधिकार होता है। एक ऐसे ही मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Decision) ने बड़ा फैसला सुनाया है। आइए नीचे खबर में जानते हैं -  

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पत्नी के गोल्ड, पैसे और संपत्ति में पति का कितना अधिकार, Supreme Court का ऐतिहासिक फैसला 

HR Breaking News (ब्यूरो)। संपत्ति चाहे किसी की भी क्यों न हो, इसपर मालिकाना हक और बंटवारे को लेकर आए दिन वाद विवाद के मामले सामने आते रहते हैं। पति- पत्नी के बीच संपत्ति विवाद (property dispute) को लेकर एक ऐसा ही मामला सामने आया है। इस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसले दिया है और कहा कि एक पति का अपनी पत्नी (Property Rights) के 'स्त्रीधन' (महिला की संपत्ति) पर कोई अधिकार नहीं होता है। हालांकि, वह संकट के समय इसका इस्तेमाल कर सकता है, लेकिन उसका नैतिक दायित्व है कि वह इसे अपनी पत्नी को लौटा दे। 

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यह बात सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Decision) ने एक ऐतिहासिक फैसले में कही है। सुप्रीम कोर्ट ने पुरुष को निर्देश देते हुए कहा कि एक महिला को उसके खोए हुए सोने के बदले में 25 लाख रुपये का पेमेंट करें। इस मामले में महिला ने दावा किया कि शादी के समय उसके परिवार ने उसे 89 सोने के क्वाइट उपहार में दिए थे। साथ ही शादी के बाद उनके पिता ने उनके पति को 2 लाख रुपये का चेक दिया था।

पति और उसकी मां ने रख लिए पत्नी के सारे गहने

महिला के मुताबिक शादी की पहली रात पति ने उसके सारे गहने (gold jewelry) अपने कब्जे में ले लिए और उन्हें सुरक्षित रखने की आड़ में अपनी मां को सौंप दिये। उसने आरोप लगाया कि पति और उसकी मां ने अपनी पहले से मौजूदा फाइनेंशियल कर्ज (financial loan) को पूरा करने के लिए सभी ज्वैलरी का दुरुपयोग किया था। फैमिली कोर्ट ने 2011 में माना कि पति और उसकी मां ने सही में अपीलकर्ता के सोने के गहनों का दुरुपयोग किया था और वह दुरुपयोग से हुए नुकसान की भरपाई करने की हकदार थी।


पत्नी की संपंत्ति पति के साथ ज्वाइंट संपत्ति नहीं

केरल उच्च न्यायालय (Kerala High Court) ने पारिवारिक अदालत को दी गई राहत को आंशिक रूप से खारिज करते हुए कहा कि महिला पति और उसकी मां के सोने के आभूषणों की हेराफेरी को साबित करने में सक्षम नहीं थी। इसके बाद महिला ने हाई कोर्ट के आदेश  (High Court Decision) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि 'स्त्रीधन' संपत्ति पत्नी और पति की ज्वाइंट संपत्ति नहीं है।

स्त्रीधन में शामिल हैं ये सभी चीजें

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किसी महिला को शादी से पहले, शादी के समय या विदाई के समय या उसके बाद उपहार में दी गई संपत्तियां (Right of husband and wife in property) उसकी स्त्रीधन संपत्तियां हैं। पीठ ने पहले के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि पति का उसकी स्त्रीधन संपत्ति (women's property) पर कोई नियंत्रण नहीं है। वह अपने संकट के समय में इसका उपयोग कर सकता है, लेकिन फिर भी उसका नैतिक दायित्व है कि वह अपनी पत्नी को वह संपत्ति या उसका मूल्य लौटाए।