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PF खाते से पैसे निकालने पर कितना देना होगा टैक्स, नाैकरीपेशा वाले जान लें ये बात

सैलरीड प्रोफेशनल्स को समय-समय पर इनकम टैक्स फाइल करना होता है. अगर वह सैलरी के अलावा किसी दूसरे श्रोत से भी कमाई कर रहे हैं तो उसे भी इनकम टैक्स फाइल करते समय दिखाना होता है. ऐसे में आपकी दूसरी आय भी टैक्सेबल हो सकती है. हालांकि, आपको इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि कौन से सोर्स से आने वाली आय टैक्स के दायरे में आती है और आपको किसी इनकम के लिए टैक्स भरना है.आइए जानते है इसके बारे में विस्तार से.

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HR Breaking News (नई दिल्ली)। अब अगर एम्प्लाइज प्रोविडेंट फंड (Employee Provident Fund) की ही बात करें, तो सैलरीड इंप्लॉई को अपनी सैलरी में से पीएफ के पैसे जमा करने होते हैं, और इसमें इंप्लॉई के कॉन्ट्रिब्यूशन के साथ आपके पैसे निवेश होते रहते हैं. आप मैच्योरिटी के बाद इसमें पैसा निकाल सकते हैं, लेकिन आपके पास यह छूट होती है कि आप पहले भी अपने पीएफ अकाउंट से पैसा निकाल सकते हैं, लेकिन आपको यह भी पता होना चाहिए कि EPF से पैसा निकलने पर आपको टैक्स देना होता है या नहीं.

5 साल से पहले निकाल लिए पैसे


अगर आप पीएफ अकाउंट में कॉन्ट्रिब्यूशन के पांच साल पूरे होने के पहले पैसा निकालते हैं, तो आपको इसपर TDS देना होता है. इसके लिए आपका सर्विस में लगातार 5 साल तक होना जरूरी है. इसमें नए-पुराने दोनों इंप्लॉयर के पास आपके टेन्योर को साथ लेकर काउंट किया जाता है. अगर आप पांच साल या इससे ज्यादा वक्त पूरा होने के बाद अपना ईपीएफ बैलेंस पुराने इंप्लॉयर से नए इंप्लॉयर के पास ट्रांसफर करते हैं, तो आपके फंड पर टीडीएस नहीं कटता है.

पांच सालों में अस्थायी रही है नौकरी


अगर आप पांच सालों के अंदर कहीं कॉन्ट्रैक्ट पर काम करते रहे हैं, तो आपका पीएफ जमा नहीं होगा। कॉन्ट्रैक्ट जॉब में एम्प्लॉयर को पीएफ में कॉन्ट्रिब्यूशन नहीं देना होता है. लेकिन मान लें कि कुछ वक्त बाद आप नौकरी में परमानेंट हो जाते हैं और आपका पीएफ कटना शुरू हो जाता है. आप इस नौकरी में 5 साल पूरे करने के बाद इसे छोड़ देते हैं. और अब आपको अपना ईपीएफ बैलेंस कहीं और ट्रांसफर करना हो तो इसपर टैक्स लगेगा क्योंकि, आपने जो पांच साल कंप्लीट किए हैं, उनमें से कुछ हिस्सा आपने टेंपरेरी पोजीशन पर बिताई है.

आपके फंड को मान्यता नहीं मिली है


ऐसे प्रोविडेंट फंड को जिसे कमिश्नर ऑफ इनकम टैक्स से अप्रूवल नहीं मिला हो, उसे टैक्स छूट के लिए अमान्य माना जाता है. हो सकता है कि इसे प्रॉविडेंट फंड या किसी दूसरी संस्था से मंजूरी मिली हो, लेकिन आपको 5 साल के बाद विथड्रॉल पर छूट पाने के लिए इनकम टैक्स कमिश्नर से अप्रूवल जरूरी होता है. अगर आप URPF के सदस्य हैं तो आपके विदड्रॉल पर टैक्स लगता है, चाहे आपने पांच साल पूरे किए हों या नहीं.

कुछ जरूरी बातें-


सर्विस में लगातार 5 साल पूरे करने से पहले 50,000 रुपये से कम निकालें तो
टीडीएस नहीं कटेगा, लेकिन अगर व्यक्ति टैक्सेबल ब्रेकेट में आता है तो उसे ईपीएफ विदड्रॉल अपने रिटर्न ऑफ इनकम में दिखाना होगा.

सर्विस में लगातार 5 साल पूरे करने से पहले 50,000 रुपये से ज्यादा निकालें तो
पैन देने पर 10% TDS कटेगा. फॉर्म 15G/15H सबमिट करने पर वो भी नहीं कटेगा.

पांच साल पूरे करने के बाद ईपीएफ से विदड्रॉल करें तो
टीडीएस नहीं कटेगा. उसे इस विदड्रॉल को रिटर्न ऑफ इनकम में भी नहीं दिखाना होगा.

 जॉब चेंज करने पर एक अकाउंट से दूसरे अकाउंट में पीएफ का पैसा ट्रांसफर करना है तो
 टीडीएस नहीं कटेगा. इसे रिटर्न ऑफ इनकम में नहीं दिखाना होगा, क्योंकि ये टैक्सेबल नहीं है.

 सर्विस में पांच साल पूरे करने से पहले आपको किसी वजह से नौकरी छोड़नी पड़ती है/पैसे निकालने की वजह आपके बस के बाहर की है तो
टीडीएस नहीं कटेगा. इसे रिटर्न ऑफ इनकम में नहीं दिखाना होगा, क्योंकि ये टैक्सेबल नहीं है.