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Income Tax विभाग को मिली बड़ी पावर, अब टैक्सपेयर्स की इन चीजों की भी होगी जांच

Income Tax :आयकर विभाग देश के राजस्व को बढ़ाने के लिए बहुत काम करता है। आयकर विभाग की ओर से देश में धन के लेन देन पर नजर रखी जाती है। आयकर विभाग की ओर से देश में जगह जगह गड़बड़ी मिलने पर जांच भी की जाती है। आयकर विभाग (Income Tax) के पास काफी पावर है, यह पावर अब और ज्यादा बढ़ गई है, इसको टैक्सपेयर्स को जान लेना चाहिए। 

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Income Tax विभाग को मिली बड़ी पावर, अब टैक्सपेयर्स की इन चीजों की भी होगी जांच

HR Breaking News (Income Tax) आयकर विभाग के नए नियम आने वाले हैं। ये नियम देश में सभी पर लागू होंगे। इन नियमों के तहत आयकर विभाग को मिले अधिकार बढ़ने जा रहे हैं। आयकर विभाग की जांच का दायरा अब बढ़ जाएगा। जहां भी टैक्स में गड़बड़ी होगी, वहीं आयकर विभाग अब सख्त कार्रवाई कर सकेगा।  

 


 
टैक्स चोरी को लेकर की जा रही सख्ती
 

आयकर विभाग की ओर से देश में टैक्स चोरी के मामलों में सख्ती की जा रही है। टैक्सपेयर्स को यह सख्त नियम जरूर जान लेने चाहिए। आयकर विभाग के नए नियम 1 अप्रैल, 2026 से लागू होंगे। इनमें टैक्स चोरी के मामले में आयकर विभाग अब ज्यादा वाइट जांच कर सकता है। 

 


बढ़ जाएगा कानूनी अधिकारों का दायरा
 

आयकर विभाग के कानूनी अधिकारी को दायरा बढ़ जाएगा। आयकर विभाग आपका सोशल मीडिया अकाउंट, ईमेल, बैंक अकाउंट, कहीं आपने ऑनलाइन इन्वेस्ट किया है वह अकाउंट, ट्रेडिंग अकाउंट यह सब आयकर विभाग जान सकेगा। अगर उन्हें शक होगा तो वह आपके आयकर चोरी के मामले में आपकी संपत्ति को लेकर डिजिटल जांच भी कर सकेगा।

अघोषित आय, पैसा, गोल्ड, ज्वेलरी, महंगी वस्तु, संपत्ति जो भी कुछ आपके पास है। इनकी आयकर विभाग (Income Tax) जांच कर सकता है। अगर आपने आयकर नहीं भरा है तो आप पर इनकम टैक्स एक्ट 1961 के अनुसार यह कानून के दायरे में जांच की जा सकती है। 

आ रहा है नया टैक्स का कानून 
 

इनकम टैक्स (Income Tax) विभाग का नया कानून आ रहा है। इसमें बहुत सारी चीज बदल जाएंगी। इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 132 के तहत डिपार्टमेंट किसी भी संदिग्ध व्यक्ति की संपत्ति और दस्तावेज और खातों की तलाशी में जब्ती कर सकता है।

अब इसमें आयकर विभाग के पास डिजिटल एक्सेस का भी अधिकार आ गया है। यह डिपार्टमेंट को मिल गया है। जिससे डिजिटल चीजों की भी जानकारी हो सकती है। 

डिजिटल प्रॉपर्टी की भी की जाएगी जांच 
 

नए इनकम टैक्स (Income Tax) बिल के अनुसार आपके कंप्यूटर में या फिर कहीं भी वर्चुअल डिजिटल संपत्ति है तो वहां अब जांच के अधिकार में आएगी। इसका मतलब यह है कि ऑथराइज्ड ऑफिसर को शक होगा कि आपने कहीं जानबूझकर टैक्स (Income Tax) की चोरी की है तो वह आपके कंप्यूटर हो या फिर कोई ईमेल और या फिर कोई सोशल मीडिया अकाउंट, उनकी जांच कर सकता है। कानून के तहत इसका पासवर्ड भी ले सकता है। 

क्या होता है वर्चुअल डिजिटल स्पेस 
 

आयकर विभाग वर्चुअल डिजिटल स्पेस के अनुसार सोशल मीडिया अकाउंट, बैंक अकाउंट, ट्रेडिंग अकाउंट, इन्वेस्टमेंट अकाउंट और ईमेल सीधे तौर पर जांच कर सकता है। वर्चुअल स्पेस के अंदर बहुत सारी चीज आती हैं आईए जानते हैं। 

 


वर्चुअल स्पेस में ईमेल सर्वर, सोशल मीडिया अकाउंट, ऑनलाइन इन्वेस्टमेंट अकाउंट, ट्रेडिंग अकाउंट, बैंक अकाउंट आदि आते हैं। किसी भी इस प्रकार की संपत्ति पर आपने कोई जानकारी स्टोर की है तो इसको आयकर विभाग जांच कर सकता है। रिमोट सर्वर और क्लाउड सर्वर भी इसी के दायरे में आते हैं। डिजिटल एप्लीकेशन प्लेटफॉर्म भी इसमें शामिल हैं। 

कौन कर सकता है आपके ऑनलाइन खातों की जांच 


आयकर विभाग के बिल में क्लोज 247 दिया गया है, जिसके अनुसार ऑथराइज्ड ऑफिसर आपके वर्चुअल डिजिटल स्पेस का एक्सेस ले सकता है। आपके पासवर्ड को ओवरराइड करके आपकी अघोषिताएं दस्तावेज और संपत्ति तक पहुंच सकता है। कंप्यूटर सिस्टम को वह हैंडल कर सकता है।

चोरी का शक होने पर इनकम टैक्स अधिकारी आपके डिजिटल पासवर्ड को बाईपास करके सीधा आपका अकाउंट खोल सकता है। सेफ्टी सेटिंग्स को भी ओवरराइड कर सकता है। डाटा अनलॉक कर सकते हैं। नया इनकम टैक्स (Income Tax) बिल ये सब करने का अधिकार देता है। 


क्या क्या कर सकता है अधिकृत अधिकारी 


आयकर विभाग के नियमों के अनुसार अधिकृत अधिकारी संयुक्त निदेशक एवं अत्यधिक निदेशक, संयुक्त आयुक्त और अतिरिक्त आयुक्त, सहायक निदेशक और उपनिदेशक, सहायक आयुक्त और उपायुक्त, आयकर अधिकारी और कर वसूली अधिकारी हो सकते हैं। इनको वर्चुअल स्पेस में एंट्री करने का अधिकार दिया गया है। 

1 अप्रैल से मिल जाएगा नया अधिकार 


आयकर अधिकारियों को 1 अप्रैल 2026 से नया अधिकार मिल जाएगा। इसमें किसी व्यक्ति पर शक होने पर उसके सोशल मीडिया अकाउंट, उसके ईमेल, उसके ऑनलाइन इन्वेस्टमेंट अकाउंट, उसके क्रिप्टो अकाउंट व अन्य डिजिटल फाइनेंशियल प्लेटफार्म की जांच की जा सकेगी।

कोई भी उपयुक्त अधिकारी कंप्यूटर, स्मार्टफोन, लैपटॉप, डिस्क या फिर अन्य डिजिटल अकाउंट की तलाशी कर सकता है। इसकी जब्ती भी की जा सकती है। अगर कोई जांच में सहयोग नहीं करता है तो इसका पासवर्ड बाईपास कर सीधा सिक्योरिटी सेटिंग्स को ओवरराइट किया जा सकता है।  


किस पर लागू होंगे ये नियम 


आयकर विभाग का यह नियम वैसे तो सभी टैक्सपेयर्स पर लागू हुआ है, लेकिन इस नियम के तहत जांच उन्हीं की होगी जिसने टैक्स चोरी की होगी और जिस पर आयकर (Income Tax) विभाग को शक होगा।

टैक्स चोरी करने पर ही आयकर विभाग इस प्रकार की कार्रवाई कर सकता है। डिजिटल डाटा का एक्सेस वैसे ही किसी का नहीं लिया जा सकता। कानून के तहत ही यह किया जा सकता है।


पहले और अब के नियम में क्या बदल गया 


आयकर विभाग एक्ट 1961 के सेक्शन 132 के अनुसार अधिकारियों के पास तलाशी लेने का पूरा अधिकार है। वह संपत्ति दस्तावेजों को जब्त कर सकते हैं। नए इनकम टैक्स बिल के तहत उन्हें कंप्यूटर सिस्टम और वर्चुअल डिजिटल स्पेस भी मिल गया है। यानी नियमों को अब बढ़ा दिया गया है। अधिकारी जांच के दौरान अब डिजिटल स्पेस में भी जांच कर सकेंगे। यह अधिकारियों के पास एक पावर बढ़ गई है। 

कानूनी प्रक्रिया के तहत होगा सब


सरकार की ओर से इस पर जवाब भी आया है। विपक्ष ने सवाल उठाया था कि ऐसे ही कैसे डिजिटल एक्सेस किसी को मिल सकता है तो इस पर सरकार का जवाब आया है कि यह सब कानूनी प्रक्रिया के तहत होगा।

अकाउंट तक बिना कानूनी प्रक्रिया के पहुंचने की कोई छूट नहीं है। अधिकारी तभी डाटा एक्सेस कर सकते हैं जब कानून का पालन नहीं हो रहा होगा। यानी टैक्स (Income Tax) नहीं भरा होगा।

टैक्सपेयर्स को नहीं घबराने की जरूरत 


एक्सपर्ट्स का मानना है कि टैक्सपेयर को इस कानून से घबराने की जरूरत नहीं है। यह कानून उन्हीं पर लागू होगा जो लोग टैक्स चोरी करते हैं या फिर जिन पर आयकर विभाग को टैक्स चोरी का शक होगा। उन्हीं के डिजिटल एक्सेस जांच के दौरान आयकर विभाग ले सकेगा। ऐसे ही किसी का डिजिटल एक्सेस आयकर विभाग नहीं लेगा। 

वहीं कुछ एक्सपर्ट्स ने इसको समय की मांग भी बताया है, क्योंकि आजकल डिजिटल करेंसी का भी चलन चल रहा है, जो भारत में चलन में नहीं है ऐसे में इसकी मॉनीटरिंग के लिए भी यह कानून जरूरी है।

उनका मानना है कि इससे कोई निजता का उल्लंघन नहीं हो रहा है। सब कानून के दायरे में ही होगा, जो टैक्सपेयर ट्रांसपेरेंसी बरतते हैं उन्हें इनकम टैक्स (Income Tax) डिपार्टमेंट के सवालों का जवाब नहीं देना होता। इसलिए कोई चिंता करने की जरूरत नहीं है।

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